भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2027 से OECD का Crypto Reporting Framework लागू करने का ऐलान किया है। इस फैसले से भारतीय निवासियों की ऑफशोर क्रिप्टो होल्डिंग्स अब टैक्स नेट में आ जाएंगी। यानी विदेशी एक्सचेंज या वॉलेट में रखे गए क्रिप्टो एसेट्स पर भी भारत में टैक्स देना होगा।
भारत इसके लिए जल्द ही Multilateral Competent Authority Agreement (MCAA) पर साइन करेगा। यह एग्रीमेंट अलग-अलग देशों को क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शंस की जानकारी ऑटोमैटिक एक्सचेंज करने की सुविधा देता है।

Source – यह इमेज OECD X अकाउंट से ली गई है।
Crypto Reporting Framework (CARF), OECD द्वारा बनाया गया एक ग्लोबल स्टैंडर्ड है, जिसका उद्देश्य है कि Crypto-Asset Service Providers (CASPs) अपने यूज़र्स की डिटेल्ड जानकारी और ट्रांज़ैक्शंस टैक्स अधिकारियों को रिपोर्ट करें। बाद में यह डेटा अलग-अलग देशों की टैक्स एजेंसियों के बीच शेयर किया जाता है।
इस फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए भारत को MCAA पर साइन करना होगा। भारत ने पहले भी 2015 में ट्रेडिशनल फाइनेंशियल अकाउंट्स के लिए MCAA साइन किया था, लेकिन क्रिप्टो एसेट्स के लिए नया समझौता ज़रूरी है।
भारत में क्रिप्टो होल्डिंग्स रखने वाले इन्वेस्टर्स पर Crypto Reporting Framework का सीधा असर होगा।
भारत में पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी पर 30% टैक्स और 1% TDS लागू है। लेकिन यह मुख्य रूप से घरेलू लेन-देन तक सीमित है। 2027 से लागू होने वाले Crypto Reporting Framework के तहत विदेशी एक्सचेंज और ऑफशोर होल्डिंग्स भी टैक्स रिपोर्टिंग के दायरे में आएंगे।
हालाँकि यह लम्बे समय से माना जा रहा था कि जल्द ही भारत में क्रिप्टो से जुड़ा कोई नया फ्रेमवर्क आ सकता है। जिसके संकेत हाल ही में मिले थे जब अगस्त में Bitcoin Policy Institute of India Launch किया गया था।
मेरे अनुभव और एक्सपर्टीज के आधार पर, मैं मानता हूँ कि Crypto Reporting Framework भारत के क्रिप्टो सेक्टर के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा।
पहले, कई भारतीय इन्वेस्टर्स टैक्स बचाने के लिए विदेशी एक्सचेंज का उपयोग करते थे। लेकिन अब Crypto Reporting Framework लागू होने के बाद टैक्स चोरी लगभग नामुमकिन हो जाएगी।
यह न केवल टैक्स कंप्लायंस को मजबूती देगा, बल्कि भारत की क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी पॉलिसी को ग्लोबल लेवल पर लीजिटिमेसी भी दिलाएगा। हालांकि शुरुआत में इन्वेस्टर्स को हर ट्रांज़ैक्शन का हिसाब रखना बोझिल लग सकता है, लेकिन लंबे समय में यह कदम इंडस्ट्री को और अधिक ट्रांसपेरेंट और इन्वेस्टर-फ्रेंडली बनाएगा।
भारत का OECD Crypto Reporting Framework अपनाना टैक्स ट्रांसपेरेंसी और ग्लोबल कोऑपरेशन की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। 2027 से भारतीय इन्वेस्टर्स को अपनी सभी ऑफशोर और ऑनशोर क्रिप्टो होल्डिंग्स पर पूरी तरह टैक्स कंप्लायंस करना होगा।
मेरी राय में, Crypto Reporting Framework उन निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो क्रिप्टो को लंबे समय तक एक लीगल और सैफ एसेट क्लास मानकर चल रहे हैं। यह न केवल टैक्स चोरी को रोकेगा बल्कि क्रिप्टो मार्केट को और क्लीन बनाएगा।
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