अपनी खूबसूरती और बेहतरीन ग्लोबल कल्चर के लिए पहचाने जाने वाला Maldives अब क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में भी अपनी पहचान बनाने जा रहा है। हालाँकि यह देश वर्तमान में अपनी गिरती हुई इकोनॉमी और कैश क्राइसिस से जूझ रहा है। लेकिन इस संकट से उभरने के लिए Maldives ने एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में, Maldives Government ने क्रिप्टो हब डेवलप करने का डिसीजन लिया है। इसके लिए उसने दुबई की फर्म MBS Global Investments के साथ एग्रीमेंट किया है। इस एग्रीमेंट के तहत Dubai की फर्म MBS Global Investments, Maldives की राजधानी माले में Maldives International Finance Centre बनाने के लिए 9 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करेगी। यह सेन्टर मुख्य रूप से ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी पर फोकस्ड होगा। वहीं हब को डेवलप करने के पीछे Maldives का उद्देश्य देश में क्रिप्टोकरेंसी और Blockchain Technology के क्षेत्र में FDI को आकर्षित करना है। जिससे Maldives क्रिप्टो इकोनॉमी के रूप में डेवलप हो पाए। इस कदम के साथ ही Maldives दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल हो गया है जो क्रिप्टो को फ्यूचर इकोनॉमी का इंजन मान रहे हैं।
Maldives की इकोनॉमी प्रमुख रूप से पर्यटन और मछलीपालन पर निर्भर करती है। जिसके कारण यह ग्लोबल इकनोमिक शॉक्स के प्रति बहुत अधिक वल्नरेबल है। ऐसे में Maldives क्रिप्टो और ब्लॉकचेन को अपनी इकोनॉमी डाइवर्स करने के टूल के रूप में देख रहा है। अभी जब Web3 और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी अपने डेवलपमेंट के शुरूआती दौर में है और दुनिया के बड़े देशों के बीच इसको लेकर रुझान मिला जुला है। Maldives का यह कदम इसके फ्यूचरिस्टिक विज़न को दर्शाता है। क्रिप्टो हब का विकास Maldives में FDI लाएगा साथ ही साथ यहाँ रोजगार के अवसर भी देगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत राजधानी माले में Maldives International Finance Centre विकसित किया जाएगा। यह फैसिलिटी लगभग 8 लाख स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में डेवलप होगी, जहाँ ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और क्रिप्टो कंपनियों के लिए आवश्यक सभी सुविधाए विकसित की जायेगी। Maldives का अनुमान है कि इससे लगभग 16 हजार लोगो को एम्प्लॉयमेंट मिलेगा। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग 5 वर्ष का समय लगेगा और इसमें लगभग 9 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट किए जायेंगे। जो Maldives की एक साल की GDP से भी ज्यादा बड़ी रकम है।
विकल्पों की कमी के कारण छोटे देशों की इकोनॉमी अधिकांशतः एक या दो सेक्टर पर डिपेंड रहती है। यह डिपेंडेंसी उनकी इकोनॉमी को बहुत अधिक वल्नरेबल बना देती है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और इसके रियल वर्ल्ड यूज़ ने इन देशों को एक नया ऑप्शन उपलब्ध करवाया है। सिंगापुर, हांगकांग, UAE जैसे एशिया के छोटे देशों ने इस मौके को बेहतरीन तरीके से भुनाया है और वर्तमान में यह क्रिप्टो वर्ल्ड के पिलर के रूप में विकसित हो चुके हैं। यह देश आपस में मिलकर इस मामले में काम कर रहे हैं जैसे हाल ही में, Singapore और Vietnam के बीच Digital Asset Regulation के लिए डील हुई थी। इन देशों से प्रेरणा लेकर Maldives भी इसी ट्रेंड को फॉलो करके अपनी इकोनॉमी को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है।
Maldives का क्रिप्टो हब विकसित करने का डिसीजन सिर्फ एक आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश नहीं, बल्कि भविष्य की अर्थव्यवस्था को अपनाने की दिशा में एक साहसी कदम है। ब्लॉकचेन और क्रिप्टो टेक्नोलॉजी को अपनाकर वह न केवल अपनी सीमित और वल्नरेबल इकोनॉमी को डाइवर्सिफाई करना चाहता है बल्कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स और टेक्नोलॉजी फर्म्स को भी आकर्षित करना चाहता है। सिंगापुर, दुबई और हांगकांग जैसे देशों की सफलता को देखकर Maldives का यह कदम लॉजिकल और स्ट्रेटेजिक रूप से मजबूत दिखता है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो यह न केवल Maldives की इकोनॉमिक स्ट्रेंथ बढ़ाएगा, बल्कि देश को एक टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित भी कर सकता है।
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