भारत में Crypto Market को लेकर लोगों का रुझान काफी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इससे संबंधित कोई Regulation नहीं होने के कारण निवेशकों में चिंता भी है। Supreme Court ने Cryptocurrency से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब Bitcoin जैसी Digital Currency के एक्सचेंज पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जा रहा है, तो इसे सराकर द्वारा Regulate क्यों नहीं किया जा रहा? सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि Cryptocurrency पर पूरी तरह से Ban लगाना व्यावहारिक नहीं है, बल्कि इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। सरकार के इसके लिए विशेषज्ञों से राय लेकर जल्द नीति बनाना चाहिए।
Cryptocurrency को Regulate करने संबंधी यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने ‘शैलेश बाबूलाल भट्ट बनाम गुजरात’ केस की सुनवाई के दौरान की है। इस केस में याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने साल 2018 में BitConnect कंपनी के दो कर्मचारियों का अपहरण कर उनसे 2091 बिटकॉइन, 11,000 लाइटकॉइन और ₹14.5 करोड़ जबरन वसूले थे। चूंकि भारत में अभी तक क्रिप्टो से संबंधित कोई नियामक नहीं है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि आरोपी स्वयं ठगा गया है या दूसरों को ठग रहा था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने कहा, “हम Cryptocurrency के मामले में विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन कुछ न कुछ नियंत्रण तो होना ही चाहिए। बैन लगाना जमीनी सच्चाई से आंख मूंदने जैसा होगा।” जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि जब क्रिप्टो ट्रांजेक्शन पर 30 फीसदी टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब सरकार इसे किसी हद तक मान्यता दे रही है, लेकिन फिर भी इसका रेगुलेशन क्यों नहीं हो रहा? इस कारण डिजिटल करेंसी से जुड़े मामलों में सुनवाई के दौरान कई परेशानी खड़ी होती है।
इस दौरान ASG भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि वह केंद्र सरकार से इस पर निर्देश लेंगी और जुलाई तक Crypto Policy और Investigation Report पेश कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अब ‘शैलेश बाबूलाल भट्ट बनाम गुजरात’ केस की अगली सुनवाई 30 मई तय की है और CBI को निर्देश दिया कि वह तब तक आगे की जांच पूरी करे।
इसके अलावा करीब 2000 करोड़ रुपए के WazirX Hack Case में अब सीबीआई की भी एंट्री हो चुकी है। Patiala House Court ने इस मामले में अब CBI जांच की सिफारिश की है। CBI की एंट्री से अब International wallet tracking और Cyber Syndicate की पहचान तेजी से और निष्पक्ष तरीके से हो सकती है। मुख्य आरोपी सौविक मंडल द्वारा फर्जी अकाउंट के जरिए की गई धोखाधड़ी से यह केस और जटिल हो गया है। वहीं, सिंगापुर कोर्ट ने WazirX के मोराटोरियम को 6 जून 2025 तक बढ़ा दिया है, जिससे यूजर्स को रीफंड के लिए अभी और इंतजार करना होगा। CBI जांच से भारतीय निवेशकों को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
भारत में भी निवेशकों का एक बड़ा वर्ग Cryptocurrency में निवेश कर रहा है या निवेश करना चाहता है, लेकिन देश में इसके लिए कोई नियामक संस्था नहीं होने के कारण लोगों के मन में इसके प्रति आशंकाएं भी काफी ज्यादा है। हालांकि इसके बावजूद भारत में लाखों निवेशक क्रिप्टो में पैसा लगा चुके हैं। केंद्र सरकार ने क्रिप्टो को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी है, लेकिन टैक्स जरूर वसूल रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद केंद्र पर दबाव बढ़ सकता है और जल्द ही कोई स्पष्ट नीति इससे संबंध में जारी हो सकती है।
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