डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस की दुनिया में एक बड़ा विवाद सामने आया है। जिसमें Bancor ने Uniswap पर अपनी पेटेंट टेक्नोलॉजी के इललीगल उपयोग करने का गंभीर आरोप लगाते हुए न्यूयॉर्क के एक फेडरल कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया है। यह केस Bprotocol Foundation और LocalCoin Ltd. द्वारा दायर किया गया है, जो Bancor के मूल डेवलपर्स और इसके ओनर राइट्स हैं।
Bancor का दावा है कि उन्होंने 2016 में Constant Product Automated Market Maker (CPAMM) टेक्नोलॉजी का इन्वेंशन किया था और 2017 में इसका पेटेंट भी करवाया था। इस टेक्नोलॉजी के ज़रिए ट्रेडिंग को पूरी तरह ऑटोमेटेड और ऑन-चेन बनाया गया, जो DeFi इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा इनोवेशन था। लेकिन Uniswap ने नवंबर 2018 में बिना किसी परमिशन या लाइसेंस के इसी टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अपना प्रोटोकॉल लॉन्च कर दिया।
Bancor के प्रोजेक्ट लीड Mark Richardson ने बयान में कहा कि Uniswap लगातार बिना परमिशन के उनकी पेटेंट टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है और इसी के आधार पर बड़ा प्रॉफिट अर्न कर रहा है। उन्होंने कहा, "जब कोई ऑर्गेनाइजेशन हमारी परमिशन के बिना हमारी टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है और हमारे साथ कॉम्पिटिशन करता है, तो हमें मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ती है।"
Richardson का मानना है कि इस तरह की नकल अगर बिना किसी पनीशमेंट के जारी रही, तो यह पूरी DeFi इंडस्ट्री में इनोवेशन की गति को इंटरप्ट कर सकती है। Bancor ने कहा कि उन्होंने यह टेक्नोलॉजी सबसे पहले लागू की थी और Uniswap ने उसका फायदा उठाया है। उनका कहना है कि Uniswap की टीम ने कभी इस टेक्नोलॉजी को उपयोग करने के लिए अधिकार, पार्टनरशिप या लाइसेंस नहीं लिया।
इस विवाद का असर सीधे तौर पर मार्केट में भी देखने को मिला। जैसे ही यह खबर सामने आई, Uniswap का टोकन UNI 4-5% तक गिर गया था। यह गिरावट इस बात का संकेत है कि इन्वेस्टर्स इस केस को लेकर चिंतित हैं और इसके नतीजे का असर Uniswap की रेपुटेशन और फ्यूचर के प्रोजेक्ट्स पर पड़ सकता है। हालाँकि ख़बर लिखे जाने तक इसके प्राइस में वृद्धि दिख रही है और वर्तमान में यह $6.31 पर ट्रेड कर रहा है, जिसमें पिछले 24 घंटे में 5.45% की वृद्धि हुई है।
Bancor के अनुसार, उनका 2017 का व्हाइटपेपर और पेटेंट इस बात का प्रमाण हैं कि उन्होंने सबसे पहले यह टेक्नोलॉजी डेवलप की थी और अब वह कोर्ट से फेयर कंपनसेशन की डिमांड कर रहे हैं। DeFi इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स इस मुकदमे को एक टर्निंग पॉइंट की तरह देख रहे हैं, जहां यह तय होगा कि क्या ब्लॉकचेन और Web3 की दुनिया में पेटेंट लॉ को सिरियसली लिया जाएगा या नहीं।
Bancor और Uniswap के बीच का यह लीगल कनफ्लिक्ट केवल दो प्रोटोकॉल के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह पूरे DeFi और Web3 स्पेस के लिए एक अहम मिसाल बन सकता है। जहां एक ओर ओपन-सोर्स और इंडिपेंडेंट डेवलपमेंट का कल्चर है, वहीं दूसरी ओर इनोवेशन की सेफ्टी और उसके अधिकार भी उतने ही ज़रूरी हैं।
अगर कोर्ट Bancor के पक्ष में फैसला सुनाती है, तो DeFi स्पेस में पेटेंट लॉ को फॉलो करने की नई वेव शुरू हो सकती है। वहीं, अगर Uniswap को राहत मिलती है, तो इससे यह संकेत जा सकता है कि ओपन प्रोटोकॉल्स के बीच टेक्नोलॉजी शेयरिंग अब भी वैलिड और एक्सेप्टेबल है। फिलहाल, पूरी इंडस्ट्री की नजरें इस मुकदमे पर टिकी हुई हैं।
यह भी पढ़िए: Binance ने की FTX Lawsuit को लेकर नई मांग, जानिए क्या कहासाक्षी मोदी एक स्किल्ड क्रिप्टो कंटेंट राइटर हैं, जिनका बैकग्राउंड जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में है। वह ब्लॉकचेन, Web3 और डिजिटल एसेट्स जैसे कॉम्प्लेक्स टॉपिक्स को आसान और क्लियर भाषा में एक्सप्लेन करने में माहिर हैं। साक्षी करीब एक साल से क्रिप्टो इंडस्ट्री में SEO-ऑप्टिमाइज्ड आर्टिकल्स, ब्लॉग्स और न्यूज स्टोरीज़ लिख रही हैं, जिनमें टेक्निकल इनसाइट और क्रिएटिविटी का बैलेंस होता है।
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