भारत दुनिया की सबसे तेजी के सहत बढती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से है, ऐसे में पूरी दुनिया भारत पर नजरे जामाए बैठी हैं। भारत जो कुछ भी करता हैं, वह दुनिया के लिए के सबक बन जाता हैं। इसका जीताजागता उदाहरण है क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का निर्माण। दरअसल भारत की अध्यक्षता में हुई G20 समिट में भारत के प्रयासों के बाद ही दुनिया भर के सभी बड़े देश मिलकर एक ऐसे क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की दिशा में काम कर है, जो G20 देशों के साथ नॉन-G20 देशों को भी मान्य हो। हालांकि अभी इस क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के निर्माण में समय है, क्योंकि इसमें सभी मानदंडो का पालन किया जा रहा हैं। साथ ही IMF-FSB की गाइडबुक के जरिये क्रिप्टो रूल्स को आकार देने का प्रयास किया जा रहा हैं।
भारत सरकार इस पूरी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, यहाँ आप यह भी कह सकते हैं कि भारत सरकार यहाँ उस धागे का काम कर रही हैं, जो दुनियाभर के देशों को क्रिप्टो रेगुलेशन से जुड़े फ्रेमवर्क के लिए एक माला में पिरोए हैं। यह भारत के प्रयासों का नतीजा ही है कि G20 के वे देश भी क्रिप्टो रेगुलेशन पर उठाए जा रहे इस कदम पर सहमत हुए हैं, जो हर कदम पर एक दूसरे के विरुद्ध नजर आते थे। इन देशों में अमेरिका, फ़्रांस, चीन और रूस जैसे देशों के नाम शामिल हैं। लेकिन भारत के आह्वान पर सभी देश न केवल एक सर्वमान्य क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के लिए राजी हो गए हैं, बल्कि इस दिशा में एक साथ मिलकर काम भी कर रहे हैं।
भारत क्रिप्टोकरंसी को लेकर किये जा रहे हैं अपने प्रयासों के चलते, आने वाले समय में क्रिप्टोकरंसी हब बन सकता हैं, जो कई बड़े क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज भी मानते हैं। लेकिन भारत को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कुछ छोटे बदलाव करने होंगे, जो इस प्रकार हैं-
क्रिप्टो टैक्स में राहत : भारत को सबसे पहले अपने देश में क्रिप्टोकरंसी पर लगाए जा रहे टैक्स में थोड़ी राहत देनी होगी। भारत में अभी क्रिप्टोकरंसी ट्रेडिंग में होने वाले प्रॉफिट पर 30% टैक्स और 1% TDS लगाया जाता है। अगर भारत को क्रिप्टोकरंसी हब बनना है तो सबसे पहले क्रिप्टो पर लगने वाले टैक्स को कम करना होगा। इसके लिए सरकार चाहे तो इसे उस टैक्स के दायरे में ला सकती हैं, जो शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने पर लगता हैं, जो की 10% से 15% के बीच है। सरकार के इस कदम से क्रिप्टोकरंसी निवेशकों की संख्या में इजाफ तो होगा ही, साथ ही वे लोग भी इस मार्केट में ज्यादा से ज्यादा निवेश करेंगे, जो ज्यादा टैक्स होने के चलते कम निवेश कर रहे हैं।
क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए नियम में छूट : भारत में कई बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज है जिनमें WazirX, CoinDCX और CoinSwitch जैसे नाम शामिल हैं। ये सभी एक्सचेंज वर्तमान में एक ही परेशानी का सामना कर रहे हैं, जो है क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन। दरअसल भारत में क्रिप्टोकरंसी से जुड़े नियम काफी सख्त हैं, जिनके चलते क्रिप्टो निवेशक भारतीय एक्सचेंजों के बजाए, विदेशी एक्सचेंजों पर VPN या अन्य जरियों से निवेश कर रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों का ट्रेडिंग वॉल्यूम गिर रहा है। ऐसे में सरकार को क्रिप्टो एक्सचेंजों को नियमों में कुछ छूट देना होगी।
क्रिप्टो फ्रेंडली माहौल बनाकर : भारत में सरकार को आम लोगों के लिए क्रिप्टो फ्रेंडली माहौल बनाना होगा। इसके लिए सरकार को सबसे पहले क्रिप्टोकरंसी के प्रति जागरूकता लानी होगी। सरकार चाहे तो ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरंसी से जुडी एजुकेशन को अनिवार्य कर सकती हैं। इससे नई पीढ़ी में क्रिप्टोकरंसी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। साथ ही क्रिप्टोकरंसी मार्केट को लेकर जो भ्रम है वह भी दूर होगा।
बताए गए कदम भले ही आपको बड़े लग रहे हों, लेकिन सरकार के लिए छोटे बदलाव है, क्योंकि सरकार लम्बे समय से इस दिशा में काम कर रही हैं। अगर सरकार क्रिप्टोकरंसी से जुड़े इन बदलावों को भी अपना लेगी तो भारत को क्रिप्टो हब बनने से कोई नहीं रोक सकता।
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