थाईलैंड में Crypto Tax माफ, क्या भारत भी इसके लिए तैयार है?
थाईलैंड सरकार ने Crypto में निवेश और ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। वित्त मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, थाईलैंड में 1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2029 तक क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से होने वाली आमदनी पर कोई कैपिटल गेन टैक्स (Crypto Tax) नहीं लगेगा, बशर्ते ये ट्रेड ऑथराइज क्रिप्टो एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स के ज़रिए हो।
यह फैसला क्रिप्टो ट्रेडिंग को रेग्युलेटेड फ्रेमवर्क के तहत लाने और देश को ग्लोबल फाइनेंशियल हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही, थाईलैंड एशिया में क्रिप्टो फ्रेंडली पॉलिसी अपनाने वाले अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।
क्रिप्टो लेन-देन पर टैक्स छूट का उद्देश्य
थाईलैंड सरकार का मानना है कि क्रिप्टो लेन-देन केवल निवेश नहीं, बल्कि फंडरेजिंग, इनोवेशन और डिजिटल इकॉनॉमी के विस्तार में भी सहायक साबित हो सकता है। डिप्टी फाइनेंस मिनिस्टर Julapun Amornvivat ने साफ किया कि यह Crypto Tax छूट FATF (Financial Action Task Force) की AML Guidelines का पालन करते हुए दी जा रही है, जिससे अवैध गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से मीड टर्म में थाईलैंड की अर्थव्यवस्था को 1 बिलियन बाट (लगभग $30.7 मिलियन) की अतिरिक्त टैक्स इनकम होगी।

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क्या भारत भी उठा सकता है ऐसा कदम?
थाईलैंड द्वारा उठाए गए इस एतिहासिक कदम के बाद भारत को लेकर यह सवाल उठना स्वाभाविक है, कि क्या भारत जैसी डिजिटल पावर को भी क्रिप्टो लेन-देन को टैक्स फ्रेंडली नहीं बनाना चाहिए?
भारत को विश्व का सबसे बड़ा IT हब माना जाता है। हमारे पास एक विशाल और स्किल्ड टेक्नीकल वर्कफ़ोर्स, तेज़ी से बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी, ग्लोबल कंपनियों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, स्ट्रांग स्टार्टअप इकोसिस्टम और “Digital India” जैसी गवर्नमेंट इनिशिएटिव हैं।
इन सभी एलिमेंट्स के होते हुए, अगर सरकार क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर टैक्स छूट की पॉलिसी लाती है, तो इससे इंजीनियरों, डेवेलपर्स और स्टार्टअप्स को नए अवसर मिल सकते हैं। इससे न केवल ब्लॉकचेन और वेब3 जैसी नई टेक्नोलॉजी को बल मिलेगा, बल्कि भारत खुद को इनोवेशन और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी का ग्लोबल लीडर बना सकता है।
थाईलैंड के इन्वेस्टर्स और इंडस्ट्री के लिए क्या मायने रखती है Crypto Tax छूट?
थाईलैंड में यह Crypto Tax छूट क्रिप्टो को एक इंस्टीट्यूशनली मान्यता प्राप्त इन्वेटमेंट टूल के रूप में स्थापित करती है। यह विशेष रूप से उन निवेशकों को आकर्षित करेगी जो वर्तमान में टैक्स बोझ के कारण ग्रे एरिया में काम कर रहे हैं।
दूसरी ओर, भारत में 30% टैक्स और 1% TDS जैसी कठोर नीतियों के कारण कई निवेशक ऑफशोर एक्सचेंज की ओर रुख कर चुके हैं, जिससे देश को टैक्स रिवेन्यू और टेक्नोलॉजी दोनों का नुकसान हो रहा है।
थाईलैंड की हालिया क्रिप्टो पॉलिसी और एक्टिविटी
थाईलैंड सरकार न केवल Crypto Tax माफी की ओर बढ़ी है, बल्कि उन्होंने मई में टूरिस्ट्स को क्रिप्टो में खर्च की अनुमति देने की योजना भी बनाई थी। इससे देश में क्रिप्टो का प्रेक्टिकल उपयोग बढ़ेगा।
इसके साथ, सरकार ने Bybit, OKX, CoinEx, XT.COM जैसे एक्सचेंज को बैन कर दिया, जो लोकल लाइसेंस के बिना काम कर रहे थे। यानी सरकार रेगुलेशन और इनोवेशन दोनों का संतुलन बना रही है।
KuCoin जैसी कंपनियां थाईलैंड में SEC लाइसेंस प्राप्त कर चुकी हैं, जबकि Tether ने यहां अपना टोकनाइज़्ड गोल्ड लॉन्च किया है। इससे यह साफ है कि थाईलैंड क्रिप्टो को केवल ट्रेडिंग टूल नहीं, बल्कि डिजिटल एसेट क्लास के रूप में देख रहा है।
क्रिप्टो पॉलिसी को लेकर दुबई की राह पर थाईलैंड
जहाँ थाईलैंड क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर टैक्स छूट देकर क्रिप्टो कैपिटल बनने की रेस में मजबूती से एंट्री ले चुका है। वहीँ दुबई आज के समय में क्रिप्टोकरेंसी की अनडिक्लेयर्ड ग्लोबल कैपिटल बन चुका है, जहां क्रिप्टो इनकम पर कोई टैक्स नहीं है और सभी एक्टिविटी रेगुलेटेड फ्रेमवर्क में होती हैं।
दुबई की इसी क्रिप्टो-फ्रेंडली एप्रोच के चलते Binance, OKX जैसे बड़े एक्सचेंज दुबई में अपने ऑफिस स्थापित कर चुके हैं या रेगुलेटरी अथॉरिटी से लाइसेंस प्राप्त कर चुके हैं।
साथ ही SVG, Seychelles और British Virgin Islands जैसे देश भी क्रिप्टो को अपनाकर टूरिज़्म और फाइनेंशियल एक्टिविटी को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में भारत को भी पॉलिसी को फ्लेक्सिबल करना, नहीं तो वह इस रेस में पिछड़ सकता है।
भारत को क्यों अपनाना चाहिए Crypto Tax में लचीलापन
एक क्रिप्टोकरेंसी राइटर होने के नाते मेरा मानना है कि, भारत को थाईलैंड से प्रेरणा लेते हुए एक वेल-रेग्युलेटेड लेकिन इनोवेशन-फ्रेंडली फ्रेमवर्क अपनाना चाहिए।
भारत के पास सबसे ज्यादा टेक्नीकल ग्रेजुएट्स, AI और ब्लॉकचेन में लीडर बनने का पोटेन्शिअल और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी है। अगर सरकार Crypto Transaction पर टैक्स छूट देती है या नियमों को सरल बनाती है, तो इससे भारत को तीन बड़े फायदे होंगे –
- इनोवेशन को बढ़ावा – DeFi, NFT, GameFi जैसे स्पेस में नए स्टार्टअप्स उभरेंगे।
- इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी – भारतीय और विदेशी निवेशकों को एक स्थिर और आकर्षक माहौल मिलेगा।
- रेवेन्यू में इजाफा – टैक्स छूट से मार्केट का दायरा बढ़ेगा, जिससे अंततः टैक्स बेस बढ़ेगा।
कन्क्लूजन
थाईलैंड ने दिखाया है कि अगर रेगुलेशन और इनोवेशन को बैलेंस किया जाए, तो क्रिप्टो को इकॉनमी की नई एनर्जी बनाया जा सकता है। भारत को भी इस दिशा में विचार करना चाहिए। क्योंकि जिस देश के पास दुनिया की सबसे बड़ा टेक टैलेंट है, वहां Crypto Tax के बोझ के कारण इनोवेशन को दबाना सुसाइडल होगा।
समय आ गया है कि भारत Crypto Tax Policy को उदार बनाए और Web3 में अगले रिवोल्यूशन को लीड करे।