Zero Knowledge Proofs क्या होते हैं, इनके बारे में जानिए, डिटेल में
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी ने ट्रांसपेरेंसी और सिक्योरिटी को नए सिरे से परिभाषित किया है, लेकिन जैसे-जैसे इनका उपयोग डिजिटल आइडेंटिटी, फाइनेंशियल डाटा और सेंसेटिव इनफार्मेशन के लिए बढ़ता जा रहा है, प्राइवेसी को लेकर चुनौतियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। क्या ऐसा संभव है कि आप बिना इनफार्मेशन को दिखाए यह साबित कर सकते हैं कि आपके पास वह इनफार्मेशन है, इसी प्रश्न का प्रेक्टिकल आंसर है, Zero Knowledge Proofs। यह एक ऐसी रेवोलुशनरी टेक्नोलॉजी है जो यूज़र्स को बिना अपनी आइडेंटिटी या डाटा शेयर किए वेरिफिकेशन की परमिशन देती है।
Zero Knowledge Proofs क्या होते हैं?
Zero Knowledge Proofs एक क्रिप्टोग्राफिक मेथड है जो यह प्रूव करती है कि किसी व्यक्ति (जिसे Prover कहा जाता है) के पास किसी इनफार्मेशन का सही प्रूफ है और वह व्यक्ति इसे किसी दूसरे (Verifier) को बताए बिना वेरीफाई करा सकता है। इस प्रोसेस में न तो जानकारी शेयर होती है, न ही उसका कोई हिस्सा लीक होता है, लेकिन फिर भी Verifier यह सुनिश्चित कर लेता है किया जा रहा क्लेम सही है। इसे “Zero Knowledge” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह Verifier को केवल उतनी ही जानकारी दी जाती है जितने की आवश्यकता होती है।
Zero Knowledge Proofs कैसे काम करते हैं?
Zero Knowledge Proofs की प्रोसेस में दो पक्ष होते हैं, Prover और Verifier। Prover एक क्लेम करता है, जैसे कि उसके पास किसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन है, Verifier यह वेरीफाई करना चाहता है कि क्लेम सही है या नहीं, लेकिन वो उस सॉल्यूशन को देखना नहीं चाहता ।
इसके लिए ZKP Challenge-Response टेक्निक का उपयोग करता है, जिसमें हर बार Verifier एक रैंडम क्वेश्चन पूछता है और Prover उस पर रिस्पांस करता है। यदि Prover के पास सच में वह जानकारी होती है, तो वह हर बार सही उत्तर देगा और Verifier को बिना इनफार्मेशन देखे ही इस बात का ट्रस्ट हो जाता है कि Prover के पास सही जानकारी है।
इससे जुड़ा एक पॉपुलर एक्साम्प्ल “Cave Puzzle” है, जहां एक व्यक्ति एक सीक्रेट दरवाज़े के दोनों ओर जाने की केपेबिलिटी प्रूव करता है बिना यह बताए कि उसे दरवाजा खोलना कैसे आता है। यह उदाहरण ZKP की कोर फिलोसोफ को सरल तरीके से दर्शाता है।
Zero Knowledge Proofs के प्रमुख प्रकार
इस टेक्नोलॉजी के दो मुख्य प्रकार हैं, Interactive ZKP और Non-Interactive ZKP।
Interactive ZKP में Verifier और Prover के बीच कई बार इंटरैक्शन होता है। यह टेक्नोलॉजी तब सूटेबल होती है जब दोनों पार्टी एक्टिव रूप से कम्युनिकेशन कर सकती हो।
Non-Interactive ZKP में केवल एक बार प्रूफ तैयार कर दिया जाता है, जिसे कोई भी Verifier बाद में चेक कर सकता है। इस केटेगरी में zk-SNARKs (Succinct Non-interactive Arguments of Knowledge) और zk-STARKs (Scalable Transparent Arguments of Knowledge) जैसे मॉडर्न वेरिएंट आते हैं, जो DApps में बेहद लोकप्रिय हैं।
zk-SNARKs और zk-STARKs क्या हैं?
zk-SNARKs और zk-STARKs दोनों ही Advanced Zero Knowledge Proofs हैं जो बिना इंटरैक्शन के Cryptographic Proofs बनाते हैं। zk-SNARKs की मुख्य विशेषता है कि ये बेहद छोटे और जल्दी वेरीफाई हो सकने वाले प्रूफ तैयार करते हैं, लेकिन इनके लिए एक ट्रस्टेड सेटअप की आवश्यकता होती है।
वहीं zk-STARKs ज़्यादा स्केलेबल होते हैं, ट्रांसपेरेंट होते हैं और इनमें ट्रस्टेड सेटअप की ज़रूरत नहीं होती। हालाँकि, इनकी प्रूफ साइज़ और कम्प्यूटेशनल डिमांड थोड़ी ज़्यादा होती है। Ethereum जैसे नेटवर्क में स्केलेबिलिटी और प्राइवेसी को बेहतर बनाने के लिए इन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है।
Blockchain में ZKP का उपयोग कैसे होता है?
ट्रांसपेरेंसी Blockchain Network के बेसिक कांसेप्ट में से एक है, लेकिन यह ट्रांसपेरेंसी कई बार प्राइवेसी को चुनौती देती है। उदाहरण के लिए, Ethereum पर हर ट्रांजैक्शन पब्लिक होता है। लेकिन जब किसी को अपनी आइडेंटिटी छिपाकर किसी कार्य को करना हो जैसे वोट डालना या प्राइवेट ट्रांज़ैक्शन करना हो तो ट्रांसपेरेंसी रुकावट बन जाती है।
Zero Knowledge Proofs इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन प्रदान करते हैं। ये यूज़र्स को परमिशन देते हैं कि वे अपने ट्रांज़ैक्शन या आइडेंटिटी को दिखाए बिना नेटवर्क पर भरोसे के साथ पार्टिसिपेट कर सकें। उदाहरण के लिए, Zcash जैसे Privacy-focused Coin में ZKP का उपयोग होता है जिससे Blockchain Transaction की इनफार्मेशन जैसे सेंडर, रिसीवर और अमाउंट सब कुछ प्राइवेट रहता है, लेकिन नेटवर्क को यह विश्वास होता है कि ट्रांजैक्शन वैलिड है।
Zero Knowledge Proofs के कुछ प्रमुख उपयोग
- डिजिटल आइडेंटिटी: ZKP का उपयोग करके व्यक्ति बिना आइडेंटिटी उजागर किए ऑनलाइन सर्विस का उपयोग कर सकते हैं।
- प्राइवेट ट्रांजैक्शन: फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन को सीक्रेट रखना संभव होता है, जिससे सर्विलांस और डाटा लीकेज से बचाव होता है।
- e-Voting: वोटिंग सिस्टम में प्राइवेसी की आवश्यकता होती है और साथ ही यह साबित करना होता है कि हर वोट वैलिड है, ZKP इसे संभव बनाता है।
- KYC और AML कंप्लायंस: उपयोगकर्ता अपनी प्राइवेट इनफार्मेशन को शेयर किए बिना KYC वेरिफिकेशन कर सकते हैं।
Zero Knowledge Proofs के लाभ
इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा बेनिफिट यह है कि यह डाटा को शेयर किए बिना ट्रस्ट एस्टेब्लिश करने में केपेबल होते हैं। यह प्राइवेसी को बढ़ाता है, सिक्योरिटी को स्ट्रांग करता है और यूज़र को अपने डाटा पर पूरा कण्ट्रोल देता है। साथ ही, Non-interactive ZKP Proof को बार-बार उपयोग किया जा सकता है, जिससे एफिशिएंसी भी बढ़ती है।
Zero Knowledge Proofs से जुडी चुनौतियाँ और सीमाएँ
हालांकि Zero Knowledge Proofs भविष्य की टेक्नोलॉजी है, लेकिन इसमें अभी भी कुछ प्रैक्टिकल चेलेंज मौजूद हैं। जैसे zk-SNARKs के लिए ट्रस्टेड सेटअप की आवश्यकता, कम्प्यूटेशन की लागत, और प्रूफ जनरेशन में लगने वाला समय। इसके अलावा, यह टेक्नोलॉजी नई होने के कारण डेवलपर टूलिंग और जनरल एडॉप्शन भी अभी लिमिटेड है।
Zero Knowledge Proofs का भविष्य
जैसे-जैसे Web3, CBDCs और डिसेंट्रलाइज आइडेंटिटी सिस्टम का एक्सपेंशन हो रहा है, ZKP एक फाउंडेशनल टेक्नोलॉजी के रूप में उभर रही है। भारत जैसे देशों में जहाँ डाटा प्रोटेक्शन एक उभरता हुआ मुद्दा है, वहाँ Zero Knowledge Proofs डिजिटल आइडेंटिटी और फाइनेंशियल ट्रांज़ैक्शन में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। Ethereum 2.0 और Polygon जैसे नेटवर्क भी zk-rollups और zkEVM जैसी टेक्नोलॉजी पर जोर दे रहे हैं, जिससे इनकी यूटिलिटी आने वाले समय में कई गुना बढ़ेगी।
आज के डिजिटल युग में प्राइवेसी और ट्रस्ट दोनों की आवश्यकता है और Zero Knowledge Proofs इन्हें एक साथ लाकर एक यूनिक सॉल्यूशन सामने रख रहे हैं। यह टेक्नोलॉजी ब्लॉकचेन को न केवल सुरक्षित बनाती है, बल्कि इसे अधिक स्केलेबल भी बनाती है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट आगे बढ़ेगा, हमें ऐसे डिसेंट्रलाइज सिस्टम देखने को मिलेंगे जहाँ यूज़र्स बिना अपनी इनफार्मेशन शेयर किए हर सर्विस का सिक्योर और प्राइवेसी के साथ उपयोग कर सकेंगे। ZKP न केवल टेक्निकल इनोवेशन है, बल्कि यह डिजिटल फ्रीडम की ओर एक बड़ा कदम भी है।