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भारत में Cryptocurrency Tax के बारे में जानिए, डिटेल में  

भारत Cryptocurrency को लेकर अब भी पसोपेश की स्थिति में है हालांकि अब तक भारत में क्रिप्टो को लीगल स्टेटस नहीं प्राप्त हुआ है। लेकिन फिर भी भारत सरकार ने Finance Act, 2022 के द्वारा इसे लेकर कुछ प्रोविज़न बनाये हैं जो अब तक भारत में क्रिप्टो और इससे जुड़ी गतिविधियों पर टैक्स और उनके क्लासिफिकेशन पर कुछ स्पष्टता लाते हैं।

इसके अलावा भारत सरकार ने 2025 में भी Cryptocrrency Tax से जुड़े कुछ नए प्रावधान जोड़े हैं। इस ब्लॉग में हम Crypto Tax से जुड़े इन्हीं प्रावधानों और इनसे जुड़े सभी आस्पेक्ट्स को समझेंगे आसान भाषा में। आइये जानते हैं भारत में क्रिप्टोकरेंसी का लीगल स्टेटस क्या है, Crypto Tax भारत में कैसे लागू होता है और इनसे जुड़ी किन बातों का ध्यान रखना क्रिप्टो इन्वेस्टर के लिए आवश्यक है।

भारत में Cryptocurrency का लीगल स्टेटस

भारत में क्रिप्टोकरेंसी फिलहाल लीगल टेंडर की तरह नहीं यूज़ की जा सकती, लेकिन यह इल्लीगल भी नहीं है। इसका मतलब है कि आप Cryptocurrency में बिना किसी कानूनी कार्यवाही के डर के इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग कर सकते हैं, लेकिन सरकार ने इसे लेकर कुछ खास टैक्स नियम बनाए हैं। जिनका पालन करना सभी ट्रेडर के लिए जरुरी है।

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने साल 2022 में एक नया टैक्स फ्रेमवर्क लागू किया था, जिससे क्रिप्टो और इससे जुड़े टोकन को वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) में शामिल किया और इनके ट्रांजैक्शन से होने वाली आय पर 30% का फ्लैट टैक्स लागू किया, इसके साथ ही एक्सचेंज पर होने वाले ट्रांजेक्शन पर 1% TDS सोर्स पर ही लिए जाने की बात भी इस एक्ट में शामिल थी।

Virtual Digital Assets (VDAs) क्या होते हैं?

Financial Bill,2022 में क्रिप्टोकरेंसी को VDA के दायरे में लाया गया था, Income Tax Act के सेक्शन 2(47A) के अनुसार Virtual Digital Assets ऐसा कोई डाटा, कोड, नंबर या टोकन (Indian या Foreign Currency को छोड़कर) है, जो Cryptography के द्वारा बनाया गया हो और उसकी एक वैल्यू हो। इसमें क्रिप्टोकरेंसी जैसे Bitcoin, Ethereum और NFT जैसे डिजिटल टोकन शामिल हैं। इसके साथ ही सरकार के पास यह अधिकार है कि वह किसी नए डिजिटल एसेट को VDA घोषित कर सकती है या किसी को इससे बाहर कर सकती है।

कैपिटल गेन टैक्स और Cryptocurrency Tax से इसका सम्बन्ध

Capital Gain Tax ऐसा टैक्स होता है जो आपको तब देना पड़ता है जब आप कोई एसेट या कहें कैपिटल (जैसे जमीन, घर, शेयर या Cryptocurrency) बेचकर मुनाफा कमाते हैं।

आइये आसान भाषा में समझते हैं:

मान लीजिए आपने 2 साल पहले ₹50,000 में एक बिटकॉइन खरीदा था। अब आपने उसे ₹80,000 में बेच दिया। तो आपको ₹30,000 का प्रॉफिट हुआ। इसी प्रॉफिट पर जो टैक्स लगता है, उसे कैपिटल गेन टैक्स कहेंगे। भारत में Income Tax Act के Section 115BBH के तहत 30% टैक्स (4% Cess के साथ) अप्लाई होता है। इसके साथ ही Airdrop, Staking और माइनिंग से होने वाली इनकम भी इस टैक्स के दायरे में शामिल है। 

ध्यान रखने योग्य बात यह है कि इसमें केवल Cost of Acquisition को ही घटाया जा सकता है, कोई अन्य खर्च जैसे ट्रांजैक्शन फीस या नेटवर्क चार्ज डिडक्ट नहीं किए जा सकते। साथ ही, यदि आपको इसमें कोई घाटा होता है, तो आप उसे किसी अन्य इनकम से एडजस्ट नहीं कर सकते और ना ही इसे  आगे बढ़ा सकते हैं।

एक और बात भारत में Cryptocurrency Tax केवल प्रॉफिट पर नहीं बल्कि हर एक ट्रांजैक्शन पर लगता है। यही कारण है कि कई इन्वेस्टर्स अब अपने टैक्स रिकार्ड को मैनेज करने के लिए ऑटोमेटेड टूल्स और एक्सपर्ट की मदद लेने लगे हैं।

Cryptocurrency ट्रांसफर पर 1% TDS - Section 194S

क्रिप्टो एसेट्स के लेन-देन को ट्रैक करने के लिए, सरकार ने Section 194S के तहत नया नियम जोड़ा है। इसके मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति साल में ₹10,000 से ज्यादा की क्रिप्टो पेमेंट करता है (या कंपनी के मामले में ₹50,000 से ज्यादा), तो 1% TDS डिडक्ट होगा। अगर पेमेंट पूरी तरह से किसी वस्तु या किसी दूसरी करेंसी के बदले किया गया हो, तो भी टैक्स जमा करना ज़रूरी होगा। 

यह नियम 1 जुलाई 2022 से प्रभाव में आया और इसका उद्देश्य क्रिप्टो ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना और टैक्स बेस को मजबूत करना है। 

गिफ्ट में मिली Cryptocurrency भी है टैक्सेबल

Income Tax Act के सेक्शन 56(2)(x) के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी को ₹50,000 से अधिक वैल्यू का VDA गिफ्ट करता है, तो वह जिसे गिफ्ट मिला है उसकी इनकम मानी जाएगी और उस पर भी Crypto Tax लगेगा। इसे Property की केटेगरी में रखा जाएगा और गिफ्ट पर लगने वाले टैक्स रूल्स की तरह इस पर टैक्स लागू होगा। इसका मतलब है की अगर आपको कोई ₹50,000 रूपए से ज्यादा का क्रिप्टो उपहार में देता है तो आप पर अपनी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा।   

इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग गिफ्ट के नाम पर टैक्स चोरी न कर सकें। 

2025 में Cryptocurreny Tax में हुए बदलाव

2025 में भारत सरकार ने Crypto Tax Structure को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के अनुरूप बनाने के लिए Income Tax Act 1961 में अमेंडमेंट किया गया है। अब भारत में Virtual Digital Assets (VDAs) जैसे क्रिप्टो एसेट्स और NFT को प्रॉपर्टी या कैपिटल एसेट की तरह माना जाएगा, बिलकुल वैसे ही जैसे U.K., U.S. और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में होता है। इसका मतलब है कि इनकी खरीद-बिक्री से होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होगा, जो होल्डिंग पीरियड के आधार पर शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म हो सकता है।

इसके अलावा, सरकार ने Income Tax Act की Section 158B के तहत यह भी प्रावधान किया है कि अगर कोई व्यक्ति अपने VDA को इनकम टैक्स रिटर्न में डिसक्लोज नहीं करता है और वह जांच में पकड़ा जाता है, तो उस पर सीधे 60% टैक्स लगेगा। ये बदलाव न केवल ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए हैं, बल्कि टैक्स चोरी को रोकने के लिए भी एक कड़ा संदेश हैं। 

Crypto Tax Calculator: एक जरूरी टूल

Crypto Tax Calculator ऑनलाइन टूल होता है, इनकी मदद से आप अपने ट्रांजैक्शन हिस्ट्री डालकर यह जान सकते हैं कि आपकी कितनी Crypto Tax लायबिलिटी बन रही है। कुछ पॉपुलर टूल्स जैसे KoinX, ClearTax, CoinTracker आदि आपके पोर्टफोलियो के आधार पर सटीक क्रिप्टो टैक्स कैलकुलेशन करते हैं।

इन टूल्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको रियल-टाइम टैक्स लायबिलिटी दिखाते हैं। इसके अलावा, ये टूल्स आपको ट्रांजैक्शन रिपोर्ट और ITR फाइलिंग में भी मदद करते हैं। 

क्रिप्टो ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट के लिए मार्केट और देश दुनिया में होने वाले डेवलपमेंट को जानने जितना ही जरूरी इस पर लगने वाले टैक्स और उनके प्रभाव के बारे में जानना भी है। भारत में Crypto Tax को लेकर सरकार ने स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए हैं और इनका पालन करना हर इन्वेस्टर के लिए जरूरी है। अगर आप इन नियमों को समझकर सही ढंग से निवेश करेंगे, तो भविष्य में किसी लीगल या फाइनेंशियल मुसीबत से बच सकते हैं।

तो सही जानकारी के साथ में टैक्स प्लानिंग कीजिए और क्रिप्टो ट्रेडिंग के बाद होने वाली किसी भी लीगल प्रॉब्लम से बचिए।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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