Cryptography को क्यों कहा जाता है Blockchain Security का आधार
सिक्योरिटी, ट्रांसपेरेंसी और डिसेंट्रलाइजेशन ट्रिनिटी Blockchain Technology का आधार है। जहाँ एक और Consensus Mechanism इसे डिसेंट्रलाइज बनाता है, वहीं दूसरी और Blockchain का आर्किटेक्चर इसकी ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने के लिए जरुरी सभी उपायों को शामिल करता है। इसी तरह Cryptography इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता सिक्योरिटी का आधार है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे की Cryptography क्या होती है, यह Blockchain को कैसे सिक्योर बनाती है?
Cryptography: ब्लॉकचेन का स्मार्ट लॉकिंग सिस्टम
Blockchain में Cryptography ठीक वैसे ही काम करती है जैसे किसी लॉकर को पासवर्ड से प्रोटेक्ट किया जाता है। यह टेक्नोलॉजी इसके हर ट्रांज़ैक्शन को सुरक्षित बनाती है जिससे की कोई भी ट्रांज़ैक्शन के बीच में डाटा को बदल न सके।
Cryptography क्या होती है?
Cryptography का मतलब है, किसी भी जानकारी को इस तरह से Encode करना कि वो सिर्फ उसी को समझ आए जिसके पास सही उसे ब्रेक करने की Key हो। इसमें सामान्य टेक्स्ट को एक ऐसी लैंग्वेज में बदल दिया जाता है जिसे बिना Key के कोई भी Decode नहीं कर सकता है।
जिस तरह से अली बाबा की कहानी में गुफा का दरवाजा “खुल जा सिम-सिम” बोले बिना नहीं खोला जा सकता था, उसी तरह Cryptography से सिक्योर्ड ब्लॉक बिना Key के नहीं एक्सेस किया जा सकता है।
Blockchain में Cryptography कैसे काम करती है?
Cryptography के ज़रिए Blockchain में कुछ कोर फंक्शन एक्सीक्यूट किए जाते हैं, जिसके द्वारा पूरे सिस्टम की सिक्योरिटी को बनाए रखा जाता है:
Public Key और Private Key Cryptography
ब्लॉकचेन पर होने वाली हर ट्रांज़ैक्शन दो Digital Key से सिक्योर की जाती है:
- Public Key: यह सभी के लिए अवेलेबल होती है, इसका उपयोग मेसेज को Encrypt करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इसी से डिजिटल सिग्नेचर को वेरीफाई किया जाता है। इसे आप अपने बैंक के अकाउंट नंबर की तरह समझ सकते हैं, जो सभी के पास अवेलेबल होता है, लेकिन आपकी सिक्योर इनफार्मेशन को केवल इसके द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता।
- Private Key: यह केवल यूज़र के पास होती है इसका उपयोग मेसेज को Decrypt करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करके डिजिटल सिग्नेचर बनाए जाते हैं।
- इसे आप अपने ATM Pin की तरह समझ सकते हैं, जिसके बिना कॉन्फिडेंशिअल इनफार्मेशन को एक्सेस करना पॉसिबल नहीं होता है।
Digital Signatures
Digital Signature एक तरह का मैकेनिकल प्रूफ होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि:
- ट्रांज़ैक्शन सही यूजर ने किया है
- Data के साथ कोई मैनीपुलेशन नहीं हुआ है
हर ट्रांज़ैक्शन पर भेजने वाले का डिजिटल सिग्नेचर होता है, जो मैथमेटिकली वेरीफाई किया जा सकता है।
Hashing: Blockchain का फिंगरप्रिंट
Hash (Secure Hash Algorithm) एक फिक्स्ड लेंग्थ का आउटपुट होता है, जो ट्रांज़ैक्शन डाटा से जनरेट किया जाता है। यह हर ब्लॉक के लिए यूनिक होता है और डाटा बदल देने पर उस ब्लॉक का Hash बदल जाता है और एक नया ब्लॉक जनरेट हो जाता है।
ब्लॉकचेन में दो ब्लॉक को चेन में Hash का उपयोग करके ही कनेक्ट किया जाता है। हर ब्लॉक में उसके पिछले ब्लॉक का Hash लिखा होता है, जिसके कारण ब्लॉक की क्रोनोलॉजी बनती है और ब्लॉकचेन अस्तित्व में आती है।
Blockchain में Public Key और Private Key कैसे काम करते हैं, Step by Step Guide

Blockchain में हर यूज़र के पास दो Digital Key होती हैं, Private Key और Public Key। ये Keys क्रिप्टोग्राफ़िक रूप से एक-दूसरे से कनेक्टेड होती हैं और पूरे ब्लॉकचेन इकोसिस्टम में ऑथेंटिकेशन और वेरिफिकेशन का आधार बनती हैं।
यहाँ हम step-by-step समझेंगे कि किसी क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन के दौरान ये दोनों Keys कैसे उसे सिक्योर करती है:
Step 1: Private Key और Public Key क्रिएशन
जब कोई यूजर नया Crypto Wallet बनाता है, तो सिस्टम द्वारा एक Private Key जनरेट की जाती है फिर इसी से एक Public Key तैयार होती है, Wallet Address इसी Public Key से बनता है।
Step 2: Transaction की शुरुआत
User जब किसी क्रिप्टोकरेंसी ट्रांज़ैक्शन की शुरुआत करता है, तो वह इसकी डिटेल्स जैसे रिसीवर का एड्रेस, भेजी जाने वाली राशि और इनपुट रेफ़रेन्स को मिला कर एक डाटा तैयार करता है।
Step 3: Transaction पर Digital Signature करना
User इस ट्रांज़ैक्शन डाटा को अपनी Private Key से डिजिटली साइन करता है। यह सिग्नेचर यह वेरीफाई करता है कि यह ट्रांज़ैक्शन उसी व्यक्ति ने औथोराइज़ किया है जिसके पास वह Private Key है।
Step 4: Signature और Public Key के साथ Transaction Broadcast करना
इस तरह से तैयार एन्क्रिप्टेड ट्रांज़ैक्शन डाटा को भेजने वाली की Public Key और Digital Signature के साथ नेटवर्क पर ब्रॉडकास्ट किया जाता है।
Step 5: नेटवर्क पर Signature Verification
Blockchain Network के नोड्स (जैसे माइनर या वैलीडेटर) इस ट्रांज़ैक्शन को रीसीव करते हैं और वेरीफाई करते हैं कि:
- Signature valid है या नहीं
- Data के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है
- Public Key और Signature सही है या नहीं
Step 6: Valid Transaction को Block में शामिल करना
अगर सिग्नेचर वैलिड होता है, तो ट्रांज़ैक्शन को एक्सेप्टेड मान लिया जाता है और माइनर इसे Block में जोड़ देते हैं।
Step 7: Blockchain में Record और Finalization
ट्रांज़ैक्शन जिस ब्लॉक में शामिल होता है, वह नेटवर्क में पब्लिश हो जाता है। अब यह ट्रांज़ैक्शन हमेशा के लिए ब्लॉकचेन पर दर्ज हो जाता है, जिसे बदला नहीं जा सकता।
Blockchain में Cryptography के फ़ायदे
क्रिप्टोग्राफी ब्लॉकचेन को न सिर्फ सिक्योर बनाती है बल्कि पूरी इकोसिस्टम को चलाने में भी मदद करती है। इसके कुछ मुख्य लाभ हैं:
Data Security: क्रिप्टोग्राफी के ज़रिए ब्लॉकचेन में स्टोर डाटा को अनऔथोराइज़ एक्सेस से बचाया जाता है।
Authentication और Trust: Public-private Key Cryptography से यह वेरीफाई किया जा सकता है कि ट्रांज़ैक्शन किसने किया है, जिसके कारण किसी थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन की ज़रूरत नहीं होती है।
Data Integrity: Hashing की वजह से ब्लॉकचेन का डाटा टैम्पर प्रूफ बन जाता है और कोई भी उसमें बदलाव नहीं कर सकता।
Fraud Prevention: हर ट्रांज़ैक्शन पर डिजिटली सिग्नेचर होता है, जिससे फेक ट्रांज़ैक्शन को आसानी से रोका जा सकता है।
Decentralization: Cryptography ही वह आधार है जिस पर ब्लॉकचेन बिना किसी सेंट्रल अथॉरिटी के काम कर सकता है।
Cryptography की लिमिटेशन
जहाँ Cryptography के कई फायदे हैं, वहीं इसके कुछ प्रैक्टिकल लिमिटेशन भी हैं जिन्हें समझना ज़रूरी है:
Private Key Authentication: अगर किसी यूजर ने अपनी Private Key खो दी, तो वह अपना एक्सेस हमेशा के लिए खो देता है। ब्लॉकचेन में कोई “Forgot Password” ऑप्शन नहीं होता है।
Complex Implementation: क्रिप्टोग्राफ़िक अल्गोरिदम काफी काम्प्लेक्स होते हैं और उन्हें सही तरह से इम्प्लीमेंट करना आसान नहीं होता, कोई भी गलती हो जाने पर सिक्योरिटी रिस्क बढ़ सकते हैं।
Computational Cost: Hashing और एन्क्रिप्शन प्रोसेस में बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पॉवर की जरुरत होती है, जिससे एनर्जी कंसम्पशन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, खासकर Proof of Work आधारित सिस्टम में।
Quantum Computing का संभावित खतरा: फिलहाल जो कंप्यूटर अवेलेबल है उन्हें क्रिप्टोग्राफ़िक अल्गोरिदम ब्रेक करने में लाखों साल लग सकते हैं लेकिन भविष्य में डेवलप होने वाले क्वांटम कंप्यूटर इनको कुछ ही मिनटों में ब्रेक करने की क्षमता पा सकते हैं। जो दिखाता है की फ्यूचर रेडी रहने के लिए क्रिप्टो वर्ल्ड को नए सॉल्यूशन अभी से ढूंढने की जरुरत है। कुछ नए ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट जैसे Quantum Resistant Ledger (QRL) इस खतरे से निपटने के लिए फ्यूचर अपग्रेड और नए प्रोटोकॉल पर काम कर रहे हैं।
क्रिप्टोग्राफ़ी जिसके बिना ब्लॉकचेन की कल्पना भी संभव नहीं
Cryptography, Blockchain की रीढ़ और सबसे बड़ी ताकत है। यह सिस्टम को इस हद तक सिक्योर बनाती है कि आज तक इसे हैक नहीं किया जा सका है। चाहे Public-Private Key, Hashing और Digital Signature, ये सभी टेक्नोलॉजी मिलकर Blockchain को ट्रस्टलेस, सिक्योर और डिसेंट्रलाइज बनाती हैं।
लेकिन Quantum Computing इसके लिए बड़ी चुनौती बनाकर उभर रही है, इसलिए क्रिप्टो इंडस्ट्री को Post-Quantum Cryptography जैसे सॉल्यूशन्स पर अभी से काम करना होगा, ताकि भविष्य में भी यह टेक्नोलॉजी उतनी ही सुरक्षित और भरोसेमंद बनी रहे।