
Bitcoin Holding बनी Jetking की BSE Listing का रोड़ा, एप्लीकेशन रिजेक्ट
Bitcoin की वजह से BSE ने रिजेक्ट की Jetking की लिस्टिंग एप्लीकेशन
भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियमों को लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है, जिसका एक उदहारण हाल ही में सामने आया। हाल ही में Bombay Stock Exchange (BSE) ने Jetking की लिस्टिंग एप्लीकेशन को यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि कंपनी के पास Bitcoin Holdings है। Jetking के पास वर्तमान में केवल 12 BitCoin हैं, जिनकी कीमत लगभग $1.2 मिलियन बताई जा रही है।
BSE ने यह साफ किया कि जब तक भारत में Virtual Digital Assets (VDA) पर स्पष्ट नीति नहीं आती, तब तक इस तरह की कंपनियों को लिस्टिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह फैसला न सिर्फ Jetking बल्कि उन सभी कंपनियों के लिए बड़ा संकेत है जो Digital Asset Treasury (DAT) मॉडल को अपनाना चाहती हैं।
Source - यह इमेज Sapna Singh की X Post से ली गई है।
BSE का सख्त स्टैंड और उसका असर
BSE का कहना है कि फिलहाल इंडिया में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। ऐसे में किसी भी कंपनी को लिस्ट करना, जिसकी बैलेंस शीट पर Bitcoin या अन्य डिजिटल एसेट्स हों, नियामकीय जोखिम पैदा कर सकता है। जेटकिंग का मामला यह दिखाता है कि भारत के रेगुलेटर्स अभी भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सावधानी बरत रहे हैं।
दूसरी ओर, लंदन और सिंगापुर जैसे मार्केट्स में Digital Asset Treasury को तेजी से अपनाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, हाल ही में Fineqia International ने Satsuma Technology में निवेश किया, जिसने Bitcoin Treasury के लिए £163.6 मिलियन की फंडिंग जुटाई। यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर DAT मॉडल को वैधता मिल रही है, लेकिन भारत अभी उस दिशा में कदम पीछे खींच रहा है।
Jetking का क्रिप्टो से जुड़ाव
Jetking एक IT और टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग से जुड़ी कंपनी है, जिसने हाल के वर्षों में ब्लॉकचेन और डिजिटल एसेट्स में रुचि दिखाई है। कंपनी के पास 12 BTC की होल्डिंग है, जो दिखाता है कि वह डिजिटल ट्रेज़री को एक भविष्य की रणनीति के रूप में देख रही थी।
हालांकि, इंडिया जैसे देश में जहां टैक्स नियम और VDA रेगुलेशन अभी भी साफ नहीं हैं, यह होल्डिंग कंपनी के लिए उल्टी साबित हुई। जेटकिंग ने लिस्टिंग के लिए एप्लीकेशन दी थी ताकि वह स्टॉक मार्केट में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके, लेकिन Bitcoin Holding ही उसकी राह में रुकावट बन गया।
मेरे हिसाब से यह मामला भविष्य की कई कंपनियों के लिए सीख है कि भारत में अभी डिजिटल एसेट्स को बैलेंस शीट में शामिल करना जोखिम भरा हो सकता है।
भारत पीछे रह सकता है
बतौर 13 सालों से लिखने वाले लेखक और 6 साल से क्रिप्टो मार्केट में निवेशक, मेरा मानना है कि जेटकिंग का केस इंडिया के रेगुलेटरी एप्रोच की कमजोरियों को उजागर करता है। दुनिया में जहां DAT मॉडल को एक इनोवेटिव स्ट्रक्चर माना जा रहा है, वहीं भारत इसे खतरे की तरह देख रहा है।
यदि इंडिया इसी तरह सतर्कता बरतता रहा और कंपनियों को क्रिप्टो होल्डिंग्स के साथ लिस्ट होने की अनुमति नहीं दी, तो यह टेक और फाइनेंस सेक्टर में इनोवेशन को रोक देगा। Jetking जैसी कंपनियाँ, जो क्रिप्टोकरेंसी को बैलेंस शीट में शामिल करने की कोशिश कर रही हैं, वे भारत से बाहर जाकर बेहतर अवसर तलाश सकती हैं।
क्रिप्टो पॉलिसी का अभाव और निवेशकों पर असर
इंडिया में फिलहाल क्रिप्टो पर केवल टैक्स पॉलिसी हैं, लेकिन कोई रेगुलेटरी फ्रेमवर्क नहीं है। BSE का कदम यह दर्शाता है कि जब तक सरकार और SEBI डिजिटल एसेट्स पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं देते, तब तक कंपनियों के लिए इस तरह का कदम उठाना मुश्किल रहेगा।
निवेशकों के लिए यह स्थिति भ्रम पैदा करती है। एक तरफ क्रिप्टोकरेंसी को टैक्स किया जा रहा है, जिसका मतलब है कि इसे मान्यता मिली है। दूसरी तरफ कंपनियों को केवल Bitcoin Holdings रखने के कारण लिस्टिंग से रोका जा रहा है। यह डुअल पॉलिसी मार्केट में असुरक्षा का माहौल बनाती है।
कन्क्लूजन
Jetking का लिस्टिंग एप्लीकेशन रिजेक्ट होना इंडिया की क्रिप्टो पॉलिसी की वर्तमान स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह स्पष्ट है कि जब तक VDA पर ठोस रेगुलेशन नहीं आते, तब तक कंपनियों को BSE और NSE जैसे प्लेटफॉर्म पर आसानी से जगह नहीं मिलेगी।
मेरे अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि भारत को अगर Web3 और Digital Asset Treasury में अग्रणी बनना है, तो उसे जल्द से जल्द नियामकीय स्पष्टता लानी होगी। वरना Jetking जैसी कंपनियाँ या तो अपने विज़न को सीमित कर देंगी या फिर भारत से बाहर अवसर तलाशेंगी।