देश को हिलाने वाला बड़ा Cyber Fraud, करोड़ों रुपये USDT में बदले गए
फेक जॉब ऐप्स से करोड़ों की ठगी का बड़ा केस आया सामने, ED ने कसा शिकंजा
भारत की Enforcement Directorate (ED) ने एक बड़े Cyber Fraud मामले में कड़ा कदम उठाते हुए 92 बैंक अकाउंट्स से कुल ₹8.46 करोड़ का फंड अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। जाँच में यह भी सामने आया है कि कुछ फंड ऐसे खातों से जुड़ा था जिनका उपयोग CoinDCX पर क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन के लिए किया गया था। यह कार्रवाई उस फर्जी नेटवर्क का हिस्सा है जिसने नकली जॉब और निवेश ऐप्स के जरिए देशभर के लोगों से लगभग ₹285 करोड़ की ठगी की। ED की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक यह फंड कई परतों में बैंक अकाउंट्स और क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से घुमाया गया, ताकि असली सोर्स को छिपाया जा सके।

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विक्टिम्स ने कैसे खोया अपना पैसा
- शुरुआत में छोटे टास्क पूरे करने पर पैसे मिले।
- बाद में ज्यादा पैसे जमा करने के लिए कहा गया।
- अचानक विड्रॉल ब्लॉक कर दिया गया।
- ऐप, वेबसाइट और सपोर्ट सभी गायब हो गए।
Cyber Fraud की घटना आए दिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में Delhi Police ने Crypto Linked Cyber Fraud का पर्दाफाश किया था। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में एक साथ चली ED की कार्रवाई में कई बड़े मास्टरमाइंड गिरफ्तार किए गए।
फर्जी ऐप्स के ज़रिए देशभर में बड़ा Cyber Fraud
Cyber Fraud की जाँच तब शुरू हुई जब कई राज्यों में NBC App, Power Bank App, HPZ Token, RCC App और अन्य इसी तरह के टास्क बेस्ड प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुईं। इन ऐप्स ने लोगों को कम समय में कमाई का लालच दिया और WhatsApp व Telegram समूहों के माध्यम से नए यूज़र जोड़ने की कोशिश की। यूज़र्स को यह विश्वास दिलाया गया कि वे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नकली निगोशिएट करके कमाई कर सकते हैं। शुरुआत में फ्रॉड नेटवर्क छोटे पेआउट देकर भरोसा बढ़ाता था, लेकिन जैसे-जैसे जमा राशि बढ़ती गई, ऐप्स ने पैसे निकालने की सुविधा रोक दी।
ठगी के बाद पीड़ितों का पैसा ऐप वॉलेट्स में फंस गया
जाँच में ED को पता चला कि पीड़ितों से UPI और बैंक खातों के माध्यम से पैसे इकट्ठे किए जाते थे। कई शेल एंटिटीज़ के नाम पर खोले गए अकाउंट्स में पैसा पहुँचते ही आगे भेज दिया जाता था, जिससे शुरुआती लेवल पर किसी भी बैंक को संदेह न हो। जैसे ही यूजर्स का जमा अमाउंट बढ़ने लगा, ऐप्स ने अचानक विड्रॉल ब्लॉक कर दिया। पीड़ितों से कहा गया कि उन्हें “टैक्स” या “फीस” भरनी होगी, लेकिन एडिशनल पेमेंट के बाद भी उनसे उनके पैसे वापस नहीं मिले। अंत में ऐप्स बंद कर दिए गए, वेबसाइट गायब हो गई और यूज़र अकाउंट डिएक्टिवेट हो गए।
स्कैमर्स का बैंकिंग नेटवर्क कैसे काम करता था
ED की मनी-ट्रेल रिपोर्ट बताती है कि ₹285 करोड़ से अधिक की ठगी एक व्यवस्थित नेटवर्क बनाकर की गई थी। इस नेटवर्क में 30 से ज्यादा प्राइमरी बैंक अकाउंट्स शामिल थे, जिनका उपयोग केवल कुछ दिनों के लिए किया गया ताकि बैंकिंग सिस्टम उन्हें जल्दी पकड़ न सके। इन अकाउंट्स से रकम 80 से अधिक अन्य खातों में भेजी गई, जिससे पैसों की दिशा लगातार बदलती रही और जांच मुश्किल होती गई।
USDT में बदलकर फंड को क्रिप्टो में छिपाया गया
जाँच में यह भी पता चला कि अपराधियों ने बैंक से मिले पैसे को USDT में बदलने के लिए Binance P2P, WazirX, BuyUcoin और CoinDCX जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग किया। ED ने कहा कि कई क्रेडिटर्स ने इन प्लेटफॉर्म्स पर क्रिप्टो को कम कीमत पर खरीदा और Binance P2P पर हाई रेट पर बेच दिया, क्योंकि पेमेंट सीधे उन्हीं अकाउंट्स से हो रहा था जिनमें ठगी का अमाउंट आया था। विशेष रूप से ₹4.81 करोड़ CoinDCX के कुछ NON-KYC खातों से USDT में बदला गया, जिससे यह साफ हुआ कि P2P ट्रांज़ैक्शन में पहचान छिपाने की गुंजाइश ज्यादा होती है।
WhatsApp और Telegram बने ठगी का मुख्य रास्ता
ED ने पाया कि यह नेटवर्क सोशल प्लेटफॉर्म का गहराई से उपयोग कर रहा था। WhatsApp और Telegram समूहों में लोगों को नौकरी और कमाई का लालच देकर जोड़ा गया। उन्हें लिंक भेजे गए जो वैलिड दिखते थे, जबकि असल में वे फर्जी ई-कॉमर्स या निवेश पोर्टल थे। कई यूज़र्स को नए लोगों को जोड़ने के बदले अधिक रिटर्न का वादा किया जाता था, जिससे यह नेटवर्क तेजी से फैल गया।
कुछ समय पहले स्कैम का एक और मामला सामने आया था। खबर थी की Surat Crypto Scam में 44 लाख का फ्रॉड हुआ था। माना जा रहा है कि यह ठगी इसलिए संभव हुई क्योंकि जिन लोगों पर वे सालों से विश्वास कर रहे थे, वही उनके साथ खेल कर गए। परिवार जैसा भरोसा, ज्यादा लाभ का लालच इन सबने मिलकर इस बड़े फ़्रॉड को अंजाम देने में भूमिका निभाई।
ED की कार्रवाई और बढ़ती हुई निगरानी
₹8.46 करोड़ की जब्ती यह दिखाती है कि एजेंसी साइबर-फ्रॉड में क्रिप्टो की भूमिका को लेकर अधिक सतर्क हो रही है। अधिकारियों ने कहा है कि डिजिटल एसेट्स पर बढ़ती निर्भरता के कारण ऐसे मामलों में जाँच और ज्यादा होनी चाहिए। अभी तक कुल ठगी की गई राशि का केवल एक हिस्सा ही बरामद किया जा सका है, जबकि बाकी रकम कई खातों और डिजिटल वॉलेट्स में छिपाई गई है।
भारत के क्रिप्टो इकोसिस्टम के लिए चेतावनी
यह मामला बताता है कि फर्जी ऐप्स, नकली निवेश योजनाओं और P2P एक्सचेंजों के कॉम्बिनेशन से अपराधी बेहद तेजी से बड़ी रकम को ट्रांसफर कर सकते हैं। एनालिस्ट का मानना है कि इस घटना ने क्रिप्टो लेनदेन की ट्रांसपेरेंसी और KYC नियमों की मजबूती की जरूरत पर और अधिक ध्यान खींचा है।
मेरे 7 साल के क्रिप्टो और डिजिटल फाइनेंस अनुभव के आधार पर, यह केस साफ बताता है कि P2P ट्रांज़ैक्शन और Non-KYC अकाउंट्स भारत में सबसे बड़ा सुरक्षा जोखिम बन चुके हैं। फर्जी ऐप्स और क्रिप्टो रूट मिलकर बहुत कठिन फ्रॉड तैयार करते हैं। ऐसे मामलों में सख्त वेरिफिकेशन, यूज़र एजुकेशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग अब जरूरी हो गई है।
कन्क्लूजन
इस बड़े साइबर-फ्रॉड मामले ने दिखा दिया कि फर्जी जॉब ऐप्स, निवेश प्लेटफॉर्म और P2P क्रिप्टो रूट कैसे लोगों को मिनटों में करोड़ों का नुकसान पहुँचा सकते हैं। ED की कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह घटना बताती है कि डिजिटल पेमेंट और क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन में मजबूत KYC, सुरक्षा और जागरूकता कितनी जरूरी है। देशभर के यूज़र्स को अब पहले से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि फ्रॉड नए-नए तरीकों से फैल रहा है।
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट केवल जांच में सामने आई जानकारी पर बेस्ड है। इसका उद्देश्य किसी प्लेटफॉर्म, ऐप या कंपनी पर आरोप लगाना नहीं है। ED की ऑफिशियल कार्रवाई और अपडेट के आधार पर ही निष्कर्ष निकाले जाएं। डिजिटल निवेश और ऐप्स का उपयोग हमेशा सावधानी से करें।
