
Global Fintech Fest में Crypto Ban, जानिए क्या है मामला
भारत के सबसे बड़े Fintech इवेंट में छाया क्रिप्टो पर सन्नाटा
मुंबई में आयोजित Global Fintech Fest 2025 इस बार देश के फाइनेंशियल इनोवेशन का सबसे बड़ा मंच बना, लेकिन इस प्लेटफ़ॉर्म से Crypto और Stablecoins विषय पूरी तरह गायब रहा। तीन दिन तक चले इस फेस्ट में दुनिया के 100 से अधिक देशों से आए 1 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों और 800 से अधिक स्पीकर्स ने हिस्सा लिया। Prime Minister Narendra Modi और ब्रिटिश प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने इस आयोजन को ग्लोबल लेवल पर हाईलाइट किया, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि Bitcoin के $125,000 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बावजूद किसी ने भी मंच से इसका ज़िक्र नहीं किया।
दरअसल, यह साइलेंस किसी टेक्नीकल कारण से नहीं बल्कि एक पॉलिसी कॉशन का नतीजा था। फेस्ट के आयोजकों, Payments Council of India, National Payments Corporation of India (NPCI) और Fintech Convergence Council, ने सभी स्पीकर्स को स्पष्ट निर्देश दिया था, कि कृपया स्टेज या कार्यक्रम स्थल पर पॉलिटिकल, क्रिप्टो, रिलीजियस और पर्सनल रिमार्क्स से बचें। यह लाइन बताने के लिए काफी थी कि भारत का रुख अब भी डिजिटल एसेट्स के मामले में सतर्क है।
Source - यह इमेज Sapna Singh की X Post से ली गई है।
Global Fintech Fest में Crypto क्यों नहीं था एजेंडा पर?
Global Fintech Fest 2025 का थीम इस बार “Empowering Digital India” पर केंद्रित थी। Global Fintech Fest का मकसद डिजिटल पेमेंट्स, ई-रुपी (e-Rupee) और फिनटेक इनोवेशन को बढ़ावा देना था। लेकिन आयोजकों ने साफ कर दिया कि Crypto और Stablecoins पर चर्चा नहीं होगी, ताकि इवेंट की पॉलिसी फोकस को लेकर कोई विवाद न हो।
Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार वर्तमान में क्रिप्टो पर कोई अलग कानून लाने की दिशा में “not introducing legislation” के मूड में है। यानी, फिलहाल भारत क्रिप्टो रेगुलेशन पर वेट एंड वाच की पॉलिसी अपना रहा है।
इसके उलट, जापान, सिंगापुर और हांगकांग जैसे एशियाई देश एक्टिवली क्रिप्टो फ्रेंडली फ्रेमवर्क बना रहे हैं, ताकि विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके। यानी, जब बाकी एशिया ब्लॉकचेन को अपनाने की दौड़ में आगे बढ़ रहा है, भारत अपनी Digital Rupee रणनीति पर भरोसा दिखा रहा है।
फोकस रहा e-Rupee और Payment Innovation पर
इस साल के Global Fintech Fest में सबकी नजरें RBI की नई डिजिटल पहल, e-Rupee पर टिकी थीं। Reserve Bank of India (RBI) ने अपने डिजिटल करेंसी पायलट प्रोजेक्ट के तहत Deposit Tokenization और Sandbox Program की घोषणा की। इससे देश के फिनटेक सेक्टर को एक बड़ा डिजिटल बूस्ट मिलने की उम्मीद है।
Global Fintech Fest के दौरान 50 से अधिक नए प्रोडक्ट्स लॉन्च हुए, जिनमें शामिल हैं PayPal का ग्लोबल वॉलेट, Revolut का इंडिया डेब्यू और UPI आधारित बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम।
इसी मंच पर PM Modi ने डिजिटल करेंसी को समर्थन देते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि RBI द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे डिजिटल करेंसी इनिशिएटिव देश की विकास गाथा को और मजबूत करेंगे। यह बयान इस बात को मजबूत करता है कि इंडिया फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी से ज्यादा e-Rupee और Blockchain-based Payments System पर भरोसा कर रहा है।
RBI का सतर्क लेकिन स्ट्रेटेजिक कदम
Global Fintech Fest के दौरान RBI Deputy Governor T. Rabi Sankar ने स्पष्ट कहा कि हंम अपनी CBDC (Central Bank Digital Currency) को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। उन्होंने कहा, इंडिया को अपने CBDC को देश भर में लॉन्च करने की कोई जल्दी नहीं है। इसका सबसे बड़ा उपयोग क्रॉस बॉर्डर पेमेंट्स में है।
RBI का यह दृष्टिकोण बताता है कि वह पहले इंटरऑपरेबिलिटी पर ध्यान देना चाहता है ताकि देश की डिजिटल करेंसी अन्य देशों के CBDC सिस्टम के साथ सिंक हो सके। यह सोच भारत की Cautious Yet Visionary Policy को दर्शाती है, एक ऐसा मॉडल जो इनोवेशन के साथ-साथ फाइनेंशियल सिक्योरिटी को भी बराबर तवज्जो देता है।
विशेषज्ञों का कहना, Crypto Policy की कमी बनी रुकावट
Global Fintech Fest के साइडलाइन में कई फिनटेक एक्सपर्ट्स और वेंचर कैपिटलिस्ट्स ने माना कि इंडिया की अस्पष्ट नीति ने Stablecoin Innovation को धीमा किया है। जहाँ कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि क्रिप्टो पर देश के मिक्स सिंगल्स इनोवेटर्स के लिए निराशाजनक प्रभाव पैदा कर रहे हैं।
वहीँ कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंडिया अगर सिर्फ स्टेबलकॉइन-बेस्ड रेमिटेंसेस की अनुमति दे दे, तो देश का फॉरेन एक्सचेंज इनफ्लो और तेज़ हो सकता है। इस बीच, डेटा से पता चलता है कि भारत का फिनटेक सेक्टर अब भी मजबूत है।
इंडिया की रणनीति सावधानी में ही सुरक्षा
अपने 13 सालों के राइटर के तौर पर ग्लोबल मार्केट को कवर करने के अनुभव से कहूँ तो सरकार का यह क्रिप्टो साइलेंस दरअसल स्मार्ट स्ट्रेटेजी है। क्योंकि जहां अन्य देश जल्दबाजी में रेगुलेशन बना रहे हैं, हमारी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि जब डिजिटल करेंसी को पूरी तरह अपनाया जाए, तो वह सुरक्षित और सस्टेनेबल हो। RBI की स्लो एंड स्टेडी पॉलिसी भारत को एक ऐसे डिजिटल इकोसिस्टम की ओर ले जा सकती है जहां e-Rupee, UPI और Blockchain तीनों साथ मिलकर इकोनॉमिक ट्रांसपेरेंसी को नया आयाम दें।
कन्क्लूजन
Global Fintech Fest 2025 ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि, देश अभी Bitcoin या Stablecoin पर नहीं, बल्कि अपने e-Rupee और डिजिटल फाइनेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रहा है। जहां अन्य देशों की नजर क्रिप्टो प्रॉफिट पर है, वहीं हमारा देश सिक्योरिटी, ट्रांसपेरेंसी और इकोनॉमिक स्टेबिलिटी को प्राथमिकता दे रहा है। भविष्य में जब ग्लोबल CBDC सिस्टम्स आपस में जुड़ेंगे, तब भारत की यह सावधानी ही उसकी सबसे बड़ी ताकत साबित होगी।