CoinSwitch को मिली WazirX से चोरी हुए एसेट्स सिक्योर करने की मंज़ूरी
Bombay High Court ने CoinSwitch पक्ष में सुनाया फैसला
भारत की क्रिप्टो इंडस्ट्री में एक ऐसा फैसला आया है जिसने सभी की नज़रें अपनी ओर खींच ली हैं। Bombay High Court ने CoinSwitch (Bitcipher Labs) के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि कंपनी को वजीरएक्स प्लेटफ़ॉर्म पर रखे गए चोरी हुए एसेट्स को सिक्योर करने का पूरा अधिकार है। यह डिसीजन 7 अक्टूबर 2025 को सुनाया गया, जो न सिर्फ़ कॉइनस्विच के लिए राहतभरा है, बल्कि भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए एक नयी मिसाल भी पेश करता है।
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WazirX Hack से कैसे शुरू हुई CoinSwitch की मुश्किलें
जुलाई 2024 में भारत के प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स पर एक बड़ा साइबर अटैक हुआ था। इस हमले में हैकर्स ने प्लेटफॉर्म के मल्टी-सिग्नेचर वॉलेट सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाकर लगभग $234 मिलियन (₹1,950 करोड़) मूल्य के ERC-20 Token चुरा लिए थे।
इस घटना से न सिर्फ वजीरएक्स बल्कि अन्य एक्सचेंज और निवेशक भी प्रभावित हुए। कॉइनस्विच उन इंस्टीट्यूशन में शामिल थी जिनके फंड्स वजीरएक्स पर फंसे रह गए थे। WazirX Hack के बाद कई एसेट्स फ्रीज़ हो गए, जिससे कॉइनस्विच ने अपने अधिकारिक दावे को लेकर कानूनी रास्ता अपनाया।
CoinSwitch और उसकी सहयोगी कंपनी Nextgendev Solutions ने अपने एसेट्स की सुरक्षा के लिए एक Arbitral Tribunal का रुख किया। यह फैसला आने वाले महीनों में भारतीय क्रिप्टो रेगुलेशन की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।
कानूनी लड़ाई, Tribunal के आदेश और WazirX की अपील
दिसंबर 2024 और मार्च 2025 में ट्रिब्यूनल ने कॉइनस्विच के पक्ष में आदेश जारी किए। आदेश के अनुसार, वजीरएक्स (Zanmai Labs) को या तो बैंक गारंटी देनी थी या फिर दावा सुरक्षित करने के लिए एस्क्रो अकाउंट में राशि जमा करनी थी।
लेकिन वजीरएक्स ने इस आदेश को Bombay High Court में चुनौती दी। कंपनी की दलील थी कि यह हैक Force Majeure Clause के अंतर्गत आता है, यानी यह घटना उनके नियंत्रण से बाहर थी, इसलिए उन्हें इसकी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।
हालांकि कॉइनस्विच का पक्ष साफ था, अगर एसेट्स चोरी हुए हैं, तो उन्हें सुरक्षित करने की जिम्मेदारी उस एक्सचेंज की है जिस पर वे रखे गए थे। CoinSwitch ने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं क्रिप्टोकरेंसी यूज़र्स के भरोसे को गहराई से प्रभावित करती हैं, इसलिए कानूनी सुरक्षा बेहद जरूरी है।
Bombay High Court का फैसला CoinSwitch के पक्ष में
Justice Sundaresan ने वजीरएक्स की याचिका खारिज करते हुए ट्रिब्यूनल के आदेश को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि CoinSwitch द्वारा अपने क्लेम को सिक्योर करने की मांग पूरी तरह “वाजिब और न्यायसंगत” है, खासकर ऐसे हालात में जब साइबर-अटैक्स की वजह से भारी नुकसान हुआ हो।
यह फैसला भारतीय क्रिप्टो मार्केट के लिए एक लैंडमार्क जजमेंट माना जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में एक्सचेंजों की जिम्मेदारी तय होना बेहद ज़रूरी है ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे।
Bombay High Court के इस फैसले से न केवल कॉइनस्विच को राहत मिली, बल्कि अन्य क्रिप्टो एक्सचेंजों को भी यह संदेश गया कि सिक्योरिटी और ट्रांसपेरेंसी अब सिर्फ़ ऑप्शन नहीं, बल्कि आवश्यकता है।
यह फैसला भारत के क्रिप्टो फ्यूचर के लिए क्यों ज़रूरी था
अपने क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में 13 वर्षों के अनुभव से मैं यह कह सकता हूँ कि CoinSwitch और वजीरएक्स के बीच यह विवाद सिर्फ़ दो कंपनियों के बीच का झगड़ा नहीं था, यह भारत की क्रिप्टो गवर्नेंस स्ट्रक्चर की रिलायबिलिटी का टेस्ट था। मेरे विचार में, यह फैसला उन सभी निवेशकों के लिए उम्मीद की किरण है जिन्होंने बीते वर्षों में एक्सचेंज हैक, वॉलेट फ्रीज़ और फंड लॉस जैसी घटनाओं का सामना किया है।
कॉइनस्विच जैसे रेप्युटेड एक्सचेंज का यह कदम यह दिखाता है कि अब इंडस्ट्री खुद को सिर्फ़ टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि कानूनी और वित्तीय जिम्मेदारियों से भी जोड़ रही है।
इस फैसले से यह भी साबित हुआ कि भारत में न्यायपालिका अब ब्लॉकचेन और डिजिटल एसेट्स जैसे आधुनिक विषयों को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। अगर CoinSwitch का यह केस इंडस्ट्री के लिए मिसाल बनता है, तो आने वाले समय में यूज़र प्रोटेक्शन और रेगुलेटरी ट्रस्ट का लेवल कई गुना बढ़ेगा।
कन्क्लूजन
Bombay High Court का यह फैसला सिर्फ कॉइनस्विच के लिए राहत नहीं है, यह पूरे क्रिप्टो सेक्टर के लिए Accountability और Security की दिशा में बड़ा कदम है। अब सभी एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफ़ॉर्म पर रखे गए यूज़र या पार्टनर एसेट्स पूरी तरह सुरक्षित हों। साथ ही, Force Majeure जैसी कानूनी शर्तों का दुरुपयोग कर जिम्मेदारी से बचने की कोशिशें अब अदालतों में सफल नहीं होंगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने दिखाया कि भारत की क्रिप्टो इंडस्ट्री अब परिपक्व हो रही है। कॉइनस्विच का यह कदम सिर्फ़ कानूनी जीत नहीं, बल्कि इंडस्ट्री में भरोसे की जीत है। यह फैसला आने वाले वर्षों में भारतीय Web3 इकोसिस्टम का एक मजबूत आधार बनेगा।