चीन के पॉलिसीमेकर्स उभरते क्रिप्टोकरेंसी मार्केट को देखते हुए क्रिप्टो से संबंधित ट्रांजेक्शन को शामिल करने के लिए अपने Anti-Money Laundering (AML) Regulations में एक बड़ा संसोधन करने की तैयारी कर रहे हैं। जिसको लेकर चीन के प्रधानमंत्री Li Qiang ने स्टेट काउंसिल की एक कार्यकरी बैठक की अध्यक्षता की। जिसमें AML लॉ से जुड़ा रिवाइज्ड ड्राफ्ट, 2023 में स्टेट काउंसिल की कार्य योजना में शामिल किया गया। इसी के साथ बैठक में इस बारे में भी जानकारी दी गई कि 2025 तक इस कानून में हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे। अर्थात 2025 तक चीन अपना रिवाइज्ड क्रिप्टो AML Regulations पेश कर देगा। गौरतलब है कि चीन में 2021 से क्रिप्टो के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। इसी साल चीन में Anti-Money Laundering (AML) नियमों का पहला रिवाइज्ड ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया था।
चीन पहला ऐसा देश नहीं है जो क्रिप्टोकरेंसी को AML के दायरे में लाकर अपने नियमों में संसोधन कर रहा हैं, इससे पहले अमेरिका जैसा बड़ा देश भी क्रिप्टोकरेंसी और इससे जुड़ी फर्म्स को AML और KYC का पालन करने का आदेश दे चुका हैं। ठीक इसी तरह जापान ने भी वर्ष 2017 में अपने भुगतान सेवा अधिनियम में संशोधन किए थे। जिसके बाद सभी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को फाइनेंशियल सर्विस एजेंसी (FSA) के साथ रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य कर दिया गया और AML रेगुलेशन्स को लागू करना आवश्यक हो गया है। 2018 के बाद से दक्षिण कोरिया में भी सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए एएमएल प्रोग्राम को लागू कर दिया गया था। ठीक इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों को AML से जुड़े नियमों का पालन करना अनिवार्य हो चुका हैं।
भारत भी 7 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी करते हुए क्रिप्टो और VDA को मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के अंतर्गत आने की घोषणा कर चुका हैं। जिसको लेकर वर्तमान में सरकार सख्त भी दिखाई दे रही हैं और 9 ऑफशोर वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) सर्विस प्रोवाइडर्स को भारत में प्रतिबंधित कर चुकी हैं। इससे पहले सरकार ने इन 9 विदेशी एक्सचेंजों को अवैध रूप से संचालन करने और Money Laundering (PML) Act में उल्लेखित प्रावधानों का पालन करने में विफल रहने के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
कुल मिलाकर सभी देश अपने-अपने तरीके से क्रिप्टो पर AML Regulations लागू कर चुके हैं। लेकिन वर्तमान में सभी देश इन नियमों को लागू करने की दिशा में अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं। जबकि ये सभी बड़े देश उस G20 समूह के सदस्य हैं, जो वर्तमान में सर्वमान्य ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की दिशा में कार्य कर रहा है। इसमें सबसे बड़ी बात यह भी है कि भारत, जिसकी अध्यक्षता में क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के निर्माण की दिशा में कार्य हो रहा है, वह खुद क्रिप्टो को मार्च 2023 में PML Act के तहत AML-CFT फ्रेमवर्क में शामिल कर चुका है। यहाँ सवाल यही उठता है कि जो देश क्रिप्टोकरेंसी पर एक सर्वमान्य नियम लागू करने को लेकर विचार कर रहे हैं। वे एक सर्वमान्य AML Regulations को लेकर क्यों एक साथ काम नहीं कर सकते। या फिर बानाए जा रहे ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में AML Regulations को क्यों शामिल नहीं कर सकते।
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