2018 से, भारत ने क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के प्रति रूढ़िवादी रुख बनाए रखा है। हालाँकि, Reuters द्वारा रिपोर्ट किए गए एक हालिया बयान से पता चलता है कि Securities and Exchange Board of India (SEBI) संभावित बदलाव का संकेत दे रहा है।
हाल के एक बयान में, SEBI ने उल्लेख किया कि वह क्रिप्टोकरेंसी के लिए रेगुलेटरी ऑप्शन की शुरुआत कर सकता है, जो इस विकसित मार्केट के साथ जुड़ने की इच्छा का संकेत देता है। यह विकास भारत में क्रिप्टोकरेंसी के प्रति उत्साही और निवेशकों के लिए अधिक अनुकूल माहौल की राह खोल सकता है।
रॉयटर्स के अनुसार, भारत के मार्केट्स रेगुलेटर ने प्रस्ताव दिया है कि क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की निगरानी का अधिकार विभिन्न अथॉरिटीज को दिया जाना चाहिए। The Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने फाइनेंस मिनिस्ट्री की पॉलिसी को आकार देने के लिए एक सरकारी पैनल को यह सिफारिश की है। इस पैनल का लक्ष्य जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का है। क्रिप्टोकरेंसी पर SEBI का रुख भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से काफी अलग है, जो कथित तौर पर स्टेबल कॉइन पर प्रतिबंध का समर्थन करता है।
SEBI ने सुझाव दिया कि वह सिक्योरिटीज और इनिशियल कॉइन ऑफरिंग्स (ICOs) जैसी क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी कर सकता है। इसके साथ ही यह इक्विटी मार्केट से संबंधित उत्पादों के लिए लाइसेंस भी जारी कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह US SEC के समान होगा जहां यह क्रिप्टो एक्सचेंजों को नियंत्रित करता है।
इसने यह भी सिफारिश की है कि RBI स्टेबल कॉइन्स को रेगुलेट कर सकता है। इसके अलावा, Regulatory and Development Authority of India (IRDAI), Pension Fund Regulatory and Development Authority (PFRDA) के साथ कोआर्डिनेशन में बीमा और पेंशन से संबंधित वर्चुअल एसेट की निगरानी कर सकता है। इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों की शिकायतों का समाधान भारत के कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत करने का प्रस्ताव है।
2018 से RBI क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में है। यह टैक्स चोरी के जोखिम और फिस्कल स्टेबिलिटी पर प्रतिकूल प्रभाव को उजागर करता आया है। RBI का मानना है कि क्रिप्टो की डिसेंट्रलाइस्ड नेचर के कारण इसके नियंत्रण में कठिनाई हो सकती है। RBI को इस बात की भी चिंता है कि क्रिप्टोकरेंसी के कारण इनकम में नुकसान मनी क्रिएशन का परिणाम हो सकता है। RBI ने अभी भी कड़े एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन की आवश्यकता पर जोर दिया है, इस प्रकार क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय फाइनेंशियल सिस्टम से बाहर रखा गया है।
SEBI द्वारा रेगुलेटरी ऑप्शन्स पर विचार करने और RBI के सतर्क रुख के साथ, भारत का क्रिप्टोकरेंसी लैंडस्केप एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। यदि SEBI कुछ क्रिप्टो एसेट को रेगुलेट करने के लिए आगे बढ़ता है, तो यह US SEC के समान, मार्केट में स्पष्टता और वैधता ला सकता है। यह अधिक निवेशकों को आकर्षित कर सकता है और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में इनोवेशन को बढ़ावा दे सकता है।
इसके अलावा, कंस्यूमर प्रोटेक्शन लॉ के तहत निवेशकों की शिकायतों का समाधान क्रिप्टोकरेंसी के महत्व की बढ़ती मान्यता को बताता है। इसलिए, यह संभावित बदलाव भारत के फाइनेंशियल इकोसिस्टम में क्रिप्टोकरेंसी के लिए अधिक इंक्लूसिव एप्रोच का सुझाव देता है, जो विकास और अवसर को बढ़ावा देता है।
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