अगर Bitcoin ग्लोबल लीगल करंसी बन जाता है तो, पूरी दुनिया में एक ऐसी करंसी का वर्चस्व होगा जो कि डिसेंट्रलाइज्ड होगी, जिसमें किए गए ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन जैसी सिक्योर टेक्नोलॉजी में रहेंगे। इसके साथ ही यह डॉलर पर सभी देशों की निर्भरता को कम कर देगी। यह उन गरीब देशों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार करेगी, जो वर्तमान में चरमराई हुई अर्थव्यवस्था के कारण भुखमरी की कगार पर पहुँच गए है। हालांकि यह एक टेडी खीर है, क्योकि El Salvador जैसे कुछ एक देशों को छोड़ दिया जाए तो, वर्तमान में कोई भी देश Bitcoin को लीगल करंसी नहीं बना पाया है। इसके पीछे का मुख्य कारण क्रिप्टोकरंसी के रेगुलेशन में आ रही विभिन्न समस्याएँ हैं। फिलहाल विभिन्न देशों की सरकारे क्रिप्टो रेगुलेशन की दिशा में कानून लाने पर काम कर रही है। G20 देश भी इसपर अपनी प्रतिबद्धता दर्शा चुके हैं। हाल ही में G20 की अध्यक्षता कर रहा भारत भी क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के लिए अपना प्रेसिडेंसी नोट जारी कर चुका हैं, जो इस बात की ओर इशारा करता है, कि भविष्य में ही सही लेकिन Bitcoin एक लीगल करंसी तो बन ही सकती है, जिसमें ट्रांजेक्शन को ग्लोबली स्वीकार भी किया जा सकता है।
Bitcoin की एक ग्लोबल लीगल करंसी बनने की उम्मीद इसलिए भी की जा सकती है, क्योंकि यह सबसे पुरानी क्रिप्टोकरंसी है। साथ ही इस क्रिप्टोकरंसी को Elon Musk जैसे बड़े बिजनेसमैन के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार Vivek Ramaswamy और Robert F. Kennedy Jr. का समर्थन भी मिल चुका हैं। इसके साथ ही क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंजों के खिलाफ लगातार कार्रवाई करने वाला अमेरिका का सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) भी अपने अधिकारिक बयानों में Bitcoin को सपोर्ट कर चुका है। अपने बयान में SEC बार-बार इस बात पर जोर देता रहा है कि Bitcoin के अलावा सभी करंसिज सिक्योरिटी हैं।
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