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Bitcoin कैसे काम करता है, पूरी प्रोसेस जानिए विस्तार से

Bitcoin को लोग अक्सर एक डिजिटल करेंसी या इन्वेस्टमेंट का टूल मानते हैं, लेकिन इसकी असली ताकत इसके टेक्निकल स्ट्रक्चर में छुपी है। यह एक ऐसा सिस्टम है जो बिना किसी मीडिएटर के ट्रांज़ैक्शन को वेरीफाई करता है, उसे रिकॉर्ड करता है और उसे सुरक्षित भी रखता है। Bitcoin केवल एक डिजिटल मुद्रा नहीं है, बल्कि एक ऐसा सिस्टम है जो भरोसे को प्रोग्रामिंग में बदल देता है। Blockchain, Mining और Nodes मिलकर इस रिवॉल्यूशनरी क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांज़ैक्शन को संभव बनाते हैं।

Bitcoin कैसे काम करता है?

जब कोई यूज़र Bitcoin किसी को भेजता है, तो यह ट्रांज़ैक्शन दुनिया भर में फैले एक ओपन और डिसेंट्रलाइज़्ड नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट होता है। इस नेटवर्क के हज़ारों कंप्यूटर, जिन्हें नोड्स कहा जाता है, इस ट्रांज़ैक्शन को वेरिफ़ाई करते हैं।

यदि वह ट्रांज़ैक्शन सही पाई जाती है, तो उसे Blockchain नामक डिजिटल लेजर में हमेशा के लिए  जोड़ दिया जाता है। यह पूरा सिस्टम बिना किसी सेंट्रल अथॉरिटी के, केवल क्रिप्टोग्राफ़ी, कैलकुलेशन और नेटवर्क कंसेंसस के आधार पर काम करता है।

Blockchain क्या होती है और ट्रांज़ैक्शन इसमें कैसे लिखा जाता है?

Blockchain को आप एक ओपन और डिजिटल लेजर समझ सकते हैं जिसमें हर ट्रांज़ैक्शन सीक्वेंस से रिकॉर्ड होता है।
यह डिजिटल लेजर Block में डिवाइडेड होता है, जहाँ हर Block में:

  • कई वैलिड ट्रांज़ैक्शन शामिल होते हैं,
  • एक Timestamp होता है जो दिखाता है कि Block कब बना है,
  • और एक क्रिप्टोग्राफ़िक हैश होता है जो पिछले Block से इसे जोड़ता है।

इस तरह से यह Chain बनती चली जाती है, ब्लॉकचेन की विशेषता है की यह बहुत ही सिक्योर और ट्रांसपेरेंट सिस्टम है।
Blockchain के कारण ही Bitcoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी को “Immutable” और “Trustless” कहा जाता है, जिसमे एक बार जो रिकॉर्ड हो गया, वह बदला नहीं जा सकता।

Mining क्या होती है और Bitcoin Miners क्या करते हैं?

Mining वह प्रोसेस है जिसके द्वारा नए Blocks बनते हैं और पुराने ट्रांज़ैक्शन ब्लॉकचेन में जुड़े रहते हैं। इसे आप एक कंप्यूटेशनल कॉम्पिटिशन की तरह समझ सकते हैं।

  • जैसे ही एक नया ट्रांज़ैक्शन ब्रॉडकास्ट होता है, Miners उसका वेरिफिकेशन शुरू करते हैं।
  • वे कठिन क्रिप्टोग्राफ़िक पज़ल को सोल्व करते हैं, जिसे Proof of Work कहा जाता है।
  • जो Miner इस पज़ल को सबसे पहले सोल्व करता है, उसे नया Block बनाने का मौका मिलता है और उसे इस काम के लिए पहले से निर्धारित रिवॉर्ड Bitcoin के रूप में मिलते हैं जिसे Block Reward कहा जाता है।

2025 में यह रिवॉर्ड 3.125 Bitcoin था, जो अगली Bitcoin Halving के बाद 1.5625 Bitcoin रह जाएगा।
Bitcoin Mining ही वह प्रोसेस है जो पूरे नेटवर्क को सिक्योर बनाती है, क्योंकि Block जोड़ना कम्प्यूटेशनली  महंगा है, इसलिए कोई आसानी से इसके सिस्टम के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता।

Nodes क्या होते हैं और ये क्यों ज़रूरी हैं?

Nodes वे कंप्यूटर होते हैं जो Bitcoin Network को चलाते हैं। ये हर ट्रांज़ैक्शन को वेरिफ़ाई करते हैं, Blocks को वैलिडेट करते हैं और पूरे नेटवर्क में कोर्डिनेशन बनाए रखते हैं।

मुख्यतः Nodes तीन प्रकार के होते हैं:

  • Full Nodes: ये ब्लॉकचेन का कम्पलीट डाटा रखते हैं और हर रूल को एनफोर्स करते हैं।
    उदाहरण के लिए जब कोई नया Block नेटवर्क में आता है, Full Node वेरीफाई करता है कि क्या उसमें कोई अनऑथोराइज़ ट्रांज़ैक्शन तो नहीं हुआ है।
  • Lightweight Nodes: ये लिमिटेड डाटा रखते हैं और वेरिफिकेशन के लिए Full Nodes पर डिपेंडेंट रहते हैं। अधिकतर मोबाइल वॉलेट ऐप्स Lightweight Nodes होते हैं।
  • Mining Nodes: इनका काम नए ब्लॉक की Mining करना होता है और यही Bitcoin Ledger में Blocks का निर्माण करते हैं। इसके लिए बहुत अधिक पॉवर के हार्डवेयर का इस्तेमाल होता है।

Nodes ही वह डिसेंट्रलाइज़्ड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाते हैं जिसकी वजह से Bitcoin किसी एक आर्गेनाईजेशन पर डिपेंड नहीं है।

Bitcoin की ट्रांज़ैक्शन कैसे वेरिफ़ाई होती है? एक स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस

Bitcoin नेटवर्क में ट्रांज़ैक्शन की प्रोसेस निम्नानुसार होती है:

  1. एक यूजर, मान लीजिए राम, गोपाल को 0.01 BTC भेजता है।
  2. यह ट्रांज़ैक्शन नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट होता है।
  3. Nodes इस ट्रांज़ैक्शन को वेरिफ़ाई करते हैं, जैसे कि राम के पास पर्याप्त बैलेंस है या नहीं।
  4. अगर ट्रांज़ैक्शन वैलिड होता है तो यह Miners के पास भेज दिया जाता है, जिनका काम इन्हें Block में जोड़ना होता हैं।
  5. Miner क्रिप्टोग्राफ़िक पज़ल सोल्व करता है और नए ब्लॉक को ब्लॉकचेन में जोड़ देता है।
  6. अब यह ट्रांज़ैक्शन पूरे नेटवर्क में हमेशा के लिए जोड़ दिया जाता है और एक बार जुड़ने के बाद कोई इसे बदल नहीं सकता है।

यह पूरी प्रोसेस Trust को ऑटोमेट कर देती है यानी ट्रांज़ैक्शन सही है या नहीं इसको कोई इंसान वेरीफाई नहीं करता बल्कि यह प्रोसेस प्रोग्रामिंग और मैथमेटिकल कैलकुलेशन पर आधारित हो जाती है।

Bitcoin में सिक्योरिटी को कैसे बनाये रखा जाता है?

Bitcoin की सबसे बड़ी ताक़त इसका सिक्योरिटी मॉडल है, जो इन एलेमेंट्स से मिलकर बनता है:

  • Blockchain Cryptography: हर ट्रांज़ैक्शन पर डिजिटल सिग्नेचर होता है और जिसके बाद ही नोड उसे वेरीफाई कर सकता है।
  • Proof of Work: Block जोड़ने की प्रोसेस कठिन है, जिससे स्पेम और फेक ब्लॉक जोड़ना लगभग असंभव है।
  • डिसेंट्रलाइजेशन: कोई एक नोड या आर्गेनाइजेशन पूरे नेटवर्क पर कण्ट्रोल नहीं रखती है।
  • ट्रांसपेरेंसी: हर ट्रांज़ैक्शन पब्लिक होता है, कोई भी इसे देख सकता है, लेकिन इसकी ओनरशिप सिक्योर रहती है।

यही सब मिलकर Bitcoin को Censorship-resistant और Tamper-proof बनाते हैं।

Bitcoin सिर्फ डिजिटल मुद्रा नहीं, एक नया सिस्टम है

Bitcoin को समझना केवल इसके प्राइस चार्ट देखने से संभव नहीं है। इसकी असली विशेषता इसके स्ट्रक्चर में है, Blockchain जिस पर हर ट्रांज़ैक्शन को ट्रेस किया जा सकता है, Mining जो नेटवर्क को सिक्योर रखती है और Nodes जो पूरे सिस्टम को डिसेंट्रलाइज़्ड बनाए रखते हैं।
इसमें ट्रस्ट को कोड से चलता है जिसको बदला नहीं जा सकता और कण्ट्रोल किसी एक एंटिटी के हाथ अमीन नहीं रह जाता है, यही से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की भी शुरुआत मानी जा सकती है। 

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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