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Bitcoin Halving क्या है और Bitcoin Price पर क्या इम्पैक्ट डालता है?

कोई भी रिसोर्स अगर लिमिटेड हो और उसकी डिमांड लगातार बनी रहे, तो उसका वैल्यू समय के साथ बढ़ती है, यही कांसेप्ट Bitcoin में भी लागू किया गया है। इसे इम्प्लीमेंट करने के लिए एक ख़ास तरीका अपनाया गया है जिसे Bitcoin Halving कहा जाता है।

लेकिन Bitcoin Halving सिर्फ़ एक टेक्निकल प्रोसेस नहीं, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी की पूरी इकोनोमी को प्रभावित करता है क्योंकि आज भी Bitcoin का मार्केट डोमिनेंस क्रिप्टो मार्केट में 60% से अधिक है, इस प्रोसेस का इम्पैक्ट इन्वेस्टर, डेवलपर्स, माइनर और पूरे Web3 इकोसिस्टम पर पड़ता है।

Bitcoin Halving क्या है?

Bitcoin Halving का मतलब है, बिटकॉइन माइनिंग के लिए मिलने वाले रिवॉर्ड को आधा कर देना।

जब कोई माइनर Bitcoin की Blockchain पर एक नया Block बनाता है, तो उसे नेटवर्क की ओर से एक फिक्स्ड क्वांटिटी में बिटकॉइन मिलते हैं। लेकिन हर 210,000 Blocks जुड़ने के बाद यह रिवॉर्ड आधा कर दिया जाता है, इसका लगभग 4 साल में रिपीट होने वाली प्रोसेस है। इसे ही Bitcoin Halving कहा जाता है।

उदाहरण के लिए:

  • जब 2009 में Bitcoin लॉन्च हुआ, तब एक Block पर 50 BTC का रिवॉर्ड मिलता था।
  • 2012 में यह घटकर 25 हो गया,
  • 2016 में 12.5,
  • 2020 में 6.25,
  • और 2024 में यह सिर्फ 3.125 बिटकॉइन रह गया है।

इस तरह, जैसे-जैसे समय बीतता है, नए बिटकॉइन बनते तो हैं, लेकिन उनकी रफ़्तार धीमी होती जाती है, जिससे सप्लाई कंट्रोल में रहती है और कमी बनी रहती है।

Bitcoin की सप्लाई को कण्ट्रोल करने वाला रूल

इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसकी टोटल सप्लाई पहले से तय है, जो केवल 21 मिलियन टोकन है। यह रूल किसी आर्गेनाइजेशन द्वारा नहीं, बल्कि नेटवर्क के कोड में लिखा हुआ है और कोई भी इसे बदल नहीं सकता। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप Bitcoin Whitepaper देख सकते हैं।

Bitcoin Halving इसी सप्लाई को धीमा करने का एक तरीका है। इसका उद्देश्य है कि:

  • बिटकॉइन की सप्लाई पर कण्ट्रोल रूप से बना रहे
  • और इसकी वैल्यू लंबे समय तक सस्टेनेबल बनी रहे

इसलिए Bitcoin Halving केवल रिवॉर्ड कम करने की प्रोसेस नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की मॉनेटरी पॉलिसी का हिस्सा है।

Bitcoin Halving क्यों की जाती है?

इसके दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं:

  1. Controlled Inflation: अगर बिटकॉइन अनलिमिटेड बनते रहें, तो उसकी वैल्यू गिर जाएगी। Halving से सप्लाई धीरे-धीरे बढ़ती है जिससे प्राइस स्टेबल रहता है।
  2. Decentralized Monetary System: यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी गवर्नमेंट या अथॉरिटी  बिटकॉइन की सप्लाई को कण्ट्रोल न कर सके, सब कुछ नेटवर्क पर पहले से लिखे रूल के अनुसार चलता है।

यह पूरी प्रोसेस Bitcoin को एक लिमिटेड और वैल्युएबल डिजिटल एसेट बनाती है, इसी कारण से इसे डिजिटल गोल्ड भी कहा जाता है।

अब तक कितनी बार Bitcoin Halving हो चुकी है?

2024 में आखिरी बार Bitcoin Halving हुई थी, इसे मिलाकर अब तक 4 बार Halving हो चुकी है:

  • 2012: 50 → 25 BTC per Block
  • 2016: 25 → 12.5 BTC per Block
  • 2020: 12.5 → 6.25 BTC per Block
  • 2024: 6.25 → 3.125 BTC per Block

हर Halving के बाद माइनिंग रिवॉर्ड आधा हो जाता है और सप्लाई ग्रोथ कम हो जाती है। यह शेड्यूल Pre-defined है, अगली Halving 2028 के आसपास होगी।

हर Bitcoin Halving के बाद प्राइस पर क्या असर पड़ा है?

इतिहास बताता है कि हर Halving के बाद Bitcoin की प्राइस बढ़ी है, हालांकि यह जरुरी नहीं है की प्राइस बढे ही।

  • 2012 Halving: BTC $12 से बढ़कर $1,100 के करीब पहुँच गया
  • 2016 Halving: BTC $650 से $20,000 तक पहुँच गया
  • 2020 Halving: BTC $9,000 से बढ़कर $69,000 तक पहुँच गया 

यह प्राइस Halving के तुरंत बाद नहीं बढ़तीं हैं लेकिन कुछ महीनों के अंदर मार्केट में इसकी कमी का असर दिखने लगता है। इन्वेस्टर उम्मीद करते हैं कि सप्लाई कम होने से डिमांड बढ़ेगी, जिससे इसकी प्राइस बढ़ेगी।

Bitcoin Halving से Miners पर क्या असर होता है?

Miners पर Halving कोई निश्चित प्रभाव नहीं डालती है:

  • नुकसान: पहले जितना बिटकॉइन रिवॉर्ड मिलता था, अब उसका आधा मिलने लगता है। अगर बिटकॉइन की कीमत नहीं बढ़ती, तो माइनिंग करना कई माइनर्स के लिए घाटे का सौदा बन जाता है।
  • माइनर कम होना: इससे ऐसे माइनर जो पुरानी टेक्नोलॉजी का यूज़ करके Bitcoin Mining करते हैं वे सिस्टम से बाहर हो जाते हैं और केवल बेहतर और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाले माइनर्स ही सिस्टम में बच पाते हैं।
  • लाभ: अगर Halving के बाद BTC की प्राइस बढ़ती है, तो बचे हुए माइनर्स को कम बिटकॉइन में भी अधिक फायदा होता है।

यानी Halving माइनिंग सिस्टम में एक तरह का नेचुरल सिलेक्शन भी लेकर आती है।

Bitcoin Halving का क्रिप्टो मार्केट और इन्वेस्टर्स पर क्या असर होता है?

Halving का असर सिर्फ़ माइनर्स तक ही सीमित नहीं होता है, पूरा क्रिप्टोकरेंसी मार्केट इससे प्रभावित होता है।

  • इन्वेस्टर्स के लिए: Halving एक इंडिकेशन होता है कि सप्लाई घटने वाली है, इसलिए Bitcoin का एकुमुलेशन शुरू हो जाता है।
  • Altcoin मार्केट पर इम्पैक्ट: Bitcoin की तेज़ी से Altcoins, Memecoins और NFT से जुड़े प्रोजेक्ट्स में भी इन्वेस्टमेंट आता है।
  • Web3 और dApps पर इम्पैक्ट: लिक्विडिटी बढ़ने से कई dApps और Smart Contract पर बेस्ड प्रोजेक्ट्स बेहतर स्थिति में आ जाते हैं।

इस तरह Halving एक ट्रेंड-इंडिकेटर बन जाता है जो पूरे ब्लॉकचेन इकोसिस्टम को तेजी से आगे  बढ़ाता है।

क्या Bitcoin Halving हमेशा प्राइस बढ़ाती है?

हालांकि इतिहास में हर Halving के बाद Bitcoin की प्राइस ऊपर गयी हैं, लेकिन ऐसा हर बार होना ज़रूरी नहीं है।

  • अगर मार्केट पहले से ही Halving को Price-in मतलब मार्केट में इसके कारण जो पॉजिटिव सेंटिमेंट बनता है उसके कारण पहले से ही इन्वेस्टमेंट आ चुका होता है तो प्राइस पर इसके बाद कोई बड़ा असर नहीं पढ़ता है। 
  • अगर पूरी वर्ल्ड इकोनोमी में रेगुलेटरी या इकोनोमिक क्राइसिस हो, तो प्राइस Halving के बावजूद गिर भी सकती हैं।

इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि Halving एक पोटेंशियल ट्रिगर है, और इसका कोई निश्चित परिणाम नहीं होता है।

Bitcoin Halving को समझना किसी भी क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर या डेवलपर के लिए जरूरी है क्योंकि यह सिर्फ़ सप्लाई कम करने की प्रोसेस नहीं है, बल्कि पूरे ब्लॉकचेन इकोसिस्टम के इकोनोमिक  बैलेंस का आधार है। अब तक हुए हर Halving इवेंट का असर न केवल Bitcoin पर पड़ा है, बल्कि यह पूरे Web3, NFT और dApps इकोसिस्टम को नई उमंग से भर देता है, Halving केवल एक शब्द नहीं बल्कि पूरे Blockchain और क्रिप्टोकरेंसी इकोसिस्टम का इकनोमिक इंडिकेटर है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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