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NFT Ownership और Provenance क्या हैं, ये Web3 में क्यों ज़रूरी हैं?

जब आप कोई डिजिटल पेंटिंग, गेम आइटम या डिजिटल कलेक्टिबल खरीदते हैं, तो क्या इसकी ओनरशिप सच में आपको मिलती है। Web3 और NFT जहाँ हर चीज ऑनलाइन ही मौजूद है इस प्रश्न का उत्तर देना और भी पेचीदा हो जाता है। ओनरशिप और प्रोवेनेंस दो ऐसे कॉन्सेप्ट हैं जो इस सवाल का जवाब देने में मदद करते हैं। ये न सिर्फ हर NFT को यूनिक बनाते हैं, बल्कि उनके ट्रस्ट, वैल्यू और ट्रेडिंग की क्षमता भी तय करते हैं।

चलिए जानते हैं कि NFT में ओनरशिप और प्रोवेनेंस का क्या मतलब है, और ये क्यों हर क्रिएटर और बायर के लिए बेहद ज़रूरी हैं।

NFT Ownership क्या होती है?

NFT Ownership का मतलब है, किसी डिजिटल एसेट पर आपका कितना अधिकार है। जब आप किसी एनएफटी को खरीदते हैं, तो आप उस टोकन के यूनिक ब्लॉकचेन रिकॉर्ड के ओनर बनते हैं, जो उस डिजिटल आइटम से लिंक होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने किसी डिजिटल आर्टवर्क का NFT खरीदा है, तो वह आर्ट आपके वॉलेट एड्रेस से जुड़ जाता है और वह पब्लिकली ट्रैक किया जा सकता है।

हालाँकि यह जानना ज़रूरी है कि एनएफटी खरीदने का मतलब हमेशा ये नहीं होता कि उसके कॉपीराइट या कमर्शियल यूज़ के राइट्स भी आपके पास हैं। बहुत से मामलों में, क्रिएटर सिर्फ ओनरशिप ट्रांसफर करता है, ना कि फुल राइट्स।

NFT Ownership की यह जानकारी Blockchain पर स्टोर होती है, जिससे आप वेरिफ़ाई कर सकते हैं कि कौन-सा वॉलेट उस एनएफटी का वर्तमान ओनर है। NFT चूँकि एक टोकन के रूप में होती है इसलिए इसके ट्रान्सफरेबल भी होती है, जिसके कारण कई बार यह जानना जरुरी हो जाता है कि किसी स्पेसिफिक NFT की ओनरशिप कितनी बार ट्रान्सफर हुई और किस-किस के पास रही। इसे Provenance के द्वारा जाना जा सकता है। 

Provenance का मतलब क्या होता है?

प्रोवेनेंस का मतलब होता है, किसी चीज़ की उत्पत्ति और उसकी ओनरशिप हिस्ट्री। वैसे इस शब्द का इस्तेमाल ट्रेडिशनल आर्ट वर्ल्ड में भी यह शब्द इस्तेमाल होता है, जहाँ किसी पेंटिंग की ऑथेन्टिसिटी तय करने के लिए उसकी ओनरशिप टाइमलाइन देखी जाती है।

NFT की दुनिया में भी प्रोवेनेंस का वही रोल है, यह बताता है कि कोई एनएफटी कब मिंट हुआ, किसने बनाया, कितनी बार ट्रांसफर हुआ और किन-किन वॉलेट्स के पास रहा। इससे न केवल एनएफटी की ऑरिजिनैलिटी वेरिफ़ाई होती है, बल्कि उसकी क्रेडिबिलिटी और वैल्यू भी बढ़ती है।

ब्लॉकचेन पर प्रोवेनेंस इम्यूटेबल तरीके से स्टोर होता है, यानी कोई इसे बदल या मिटा नहीं सकता। यह एनएफटी की ऑथेन्टिसिटी के लिए एक बेहद भरोसेमंद तरीका बन जाता है।

Blockchain पर Provenance कैसे काम करता है?

प्रोवेनेंस की ताक़त ब्लॉकचेन के इम्यूटेबल नेचर में छिपी है। जब भी कोई NFT Mint होता है, तो एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए उसका पूरा मेटाडेटा जैसे क्रिएटर एड्रेस, टाइमस्टैम्प और टोकन आईडी ब्लॉकचेन पर एक्सिक्यूट हो जाते हैं।

इसके बाद हर ट्रांसफर या सेल की जानकारी एक-एक ब्लॉक में स्टोर होती जाती है, जो ब्लॉकचेन के नेचर के कारण परमानेंट होती है। उदाहरण: अगर किसी एनएफटी को तीन बार रीसेल किया गया है, तो हर बार की ट्रांज़ैक्शन डिटेल्स बायर और सेलर के एड्रेस, टाइमस्टैम्प, और सेल प्राइस को ट्रैक किया जा सकता है।

इससे आप बिना किसी थर्ड पार्टी की मदद लिए यूजर NFT की पूरी हिस्ट्री वेरिफ़ाई कर सकते हैं। यह डेटा टैम्पर-प्रूफ़ होता है और आसानी से ट्रेस किया जा सकता है। यह Fake NFT की पहचान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, आइये जानते हैं NFT Verification और Fake NFT की पहचान में इसकी क्या भूमिका होती है। 

Fake NFTs की पहचान में Provenance की भूमिका

आजकल एनएफटी मार्केट में फेक या कॉपी एनएफटी की भरमार है। लोग किसी दूसरे आर्टिस्ट की आर्ट को मिंट करके बेच देते हैं। ऐसे में प्रोवेनेंस एक टूल की तरह काम करता है जो असली और नकली में फर्क बता सकता है।

जब आप किसी NFT का ओरिजिन और उसकी ट्रांसफर हिस्ट्री देखते हैं, तो आप तुरंत जान सकते हैं कि यह किस वॉलेट से मिंट हुआ था और क्या वह वॉलेट इस NFT के असली क्रिएटर का है?

उदाहरण के लिए अगर किसी एनएफटी के प्रोवेनेंस में दिखे कि यह किसी वेरिफ़ाइड आर्टिस्ट के वॉलेट से मिंट नहीं हुआ है, तो यह एक संदिग्ध NFT हो सकता है।

NFT Marketplace जैसे OpenSea और Rarible अब प्रोवेनेंस डेटा को प्रॉमिनेंटली शो करते हैं जिससे कि बायर्स इनफॉर्म्ड डिसीजन ले सकें। इससे ट्रस्ट और सिक्योरिटी दोनों बढ़ती हैं। इस तरह से देखा जाए तो Provenance, किसी NFT की ओनरशिप के ट्रान्सफर की पूरी हिस्ट्री दिखता है, अब आपके मन में यह सवाल उठाना जायज है कि किसी NFT Ownership कैसे ट्रान्सफर होती है? आइये जानते हैं, 

NFT Ownership Transfer कैसे होता है? 

NFT Ownership ट्रांसफर एक ट्रांज़ैक्शन के ज़रिए होता है जो एक ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड हो जाता है। जब कोई एनएफटी बिकता है, तो बायर के वॉलेट में वह टोकन ट्रांसफर हो जाता है और सेलर की वॉलेट हिस्ट्री में ऐड हो जाता है।

लेकिन इस प्रोसेस से जुड़े कुछ रिस्क भी हैं:

  • फिशिंग स्कैम्स: कुछ वेबसाइट्स या लिंक आपको फर्जी तरीके से वॉलेट एक्सेस की परमिशन मांगते हैं, जिससे एनएफटी चुराए जा सकते हैं।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट वल्नरेबिलिटीज़: अगर एनएफटी के स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में कोई बग है, तो ट्रांसफर में एरर आ सकता है या फंड्स फँस सकते हैं।
  • अनक्लियर राइट्स: कई बार बायर को यह क्लियर नहीं होता कि वह सिर्फ टोकन का मालिक है या अंडरलाईंग कंटेंट का भी।

इसलिए एनएफटी ट्रांसफर से पहले वेरिफ़ाई करना ज़रूरी है कि प्लेटफ़ॉर्म सही है, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट टेस्टेड है और टर्म्स ऑफ ओनरशिप क्लियर हैं। 

इस तरह से हम समझ चुके हैं की NFT Ownership और Provenance के बारे में जानना बहुत जरुरी है, जो NFT मार्केट में ट्रस्ट बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आइये जानते हैं इनका NFT के लिए क्या महत्त्व है?   

NFT Ownership और Provenance का आर्ट, गेमिंग और लक्ज़री NFTs में महत्व

NFT का इम्पैक्ट सिर्फ डिजिटल आर्ट तक सीमित नहीं है, यह गेमिंग, लग्ज़री गुड्स और कलेक्टिबल्स की दुनिया में भी एक नया ट्रस्ट मॉडल बना रहा है।

Digital Art

  • प्रोवेनेंस यहां ऑथेन्टिसिटी को एस्टैब्लिश करता है। कोई भी कलेक्टर यह जान सकता है कि आर्टवर्क असली है या नहीं।
  • NFT Ownership से आर्टिस्ट को सेकेंडरी सेल्स में भी रॉयल्टी मिलती है।

Gaming Assets

  • एनएफटी बेस्ड गेम्स जैसे Axie Infinity या Gods Unchained में, एसेट्स जैसे वेपन्स या स्किन्स की NFT Ownership सीधे प्लेयर के पास होता है।
  • प्रोवेनेंस इन एसेट्स की रेयरिटी और वैल्यू को दर्शाता है, जैसे कोई रेयर आइटम कितनी बार यूज़ हुआ है।

Luxury Goods और Fashion

  • ब्रांड्स जैसे Gucci और Louis Vuitton अब एनएफटी के ज़रिए फिज़िकल प्रोडक्ट्स के डिजिटल ट्विन्स बना रहे हैं।
  • प्रोवेनेंस ट्रैक करके यह साबित किया जा सकता है कि कोई बैग या घड़ी असली है या नहीं।

इन सभी सेक्टर्स में प्रोवेनेंस एक डिजिटल सर्टिफ़िकेट ऑफ ऑथेन्टिसिटी की तरह काम करता है, जबकि NFT Ownership ट्रांसपेरेंसी और कंट्रोल देती है।

NFT Ownership और Provenance न सिर्फ एनएफटी की ऑथेन्टिसिटी को डिफ़ाइन करते हैं, बल्कि वे उस ट्रस्ट फाउंडेशन का हिस्सा हैं जो Web3 ईकोसिस्टम को यूनिक बनाता है। आज के डिजिटल दौर में, जहाँ किसी भी फाइल को कॉपी करना आसान है, वहीं एनएफटी इन की-कॉन्सेप्ट्स की मदद से ऑरिजिनैलिटी, एक्सक्लूसिविटी और वैल्यू को सुरक्षित करता है।

अगर हम एनएफटी को लॉन्ग-टर्म, सस्टेनेबल और वैल्यूएबल एसेट्स के रूप में देखना चाहते हैं, तो हमें NFT Ownership की क्लैरिटी और प्रोवेनेंस की ट्रांसपेरेंसी को गंभीरता से लेना होगा।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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