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NFT Verification कैसे होता है और Fake NFTs से कैसे बचें?

NFTs का क्रेज़ पिछले कुछ समय में बहुत तेजी से बढ़ा है। लोग अब सिर्फ डिजिटल आर्ट नहीं खरीद रहे, बल्कि म्यूजिक, विडियो, गेम एसेट्स, यहाँ तक की अपनी सोशल मीडिया पोस्ट को भी NFT के रूप में कलेक्ट कर रहे हैं। लेकिन जितनी तेजी से ये इकोसिस्टम बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से Fake NFTs और स्कैम का खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में NFT Verification एक जरूरी स्किल बन गई है, ताकि खरीदार और क्रिएटर्स दोनों सुरक्षित ट्रेड कर सकें।

इस ब्लॉग में हम Step-by-Step समझेंगे कि NFT Verification क्यों जरूरी है, इसे कैसे किया जाता है और Fake NFTs से कैसे बचा जा सकता है।

NFT Verification क्यों जरूरी है?

मान लीजिए आपने एक Digital Art NFT खरीदी, जो दिखने में शानदार है। लेकिन बाद में पता चलता है कि वह किसी और आर्टिस्ट के द्वारा बनाई गयी है जिसे किसी अननोन यूजर ने मिंट कर दिया। ऐसे मामलों में ना सिर्फ आपकी क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठता है, बल्कि आपका पैसा भी डूब सकता है।

NFT Verification का उद्देश्य ही यह सुनिश्चित करना कि NFT असली है, उसके ओरिजिनल क्रिएटर के द्वारा ही मिंट की गयी है और उसकी ओनरशिप उसी व्यक्ति के पास है जो उसे बेच रहा है

जब भी आप कोई NFT खरीदें, तो उसे वेरीफाई करना आपकी जिम्मेदारी बनती है, यह ना सिर्फ आपके एसेट की सिक्योरिटी के लिए जरुरी है, बल्कि NFT Marketplace में ट्रस्ट को भी स्थापित करता है। यह समझने से पहले की NFT Verification कैसे किया जाता है, यह जानना जरुरी है कि यह होता क्या है। 

NFT Verification का मतलब क्या होता है?

NFT Verification एक ऐसी प्रोसेस है जिससे हम यह तय करते हैं कि जिस डिजिटल असेट को आप खरीद रहे हैं, वह वैलिड है, वह किसी सही ब्लॉकचेन पर मौजूद है और उसका स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट व मेटाडाटा सही तरीके से डेप्लोय किया गया है।

इस NFT Verification प्रोसेस में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एड्रेस, Token ID, ट्रांज़ैक्शन हिस्ट्री और मेटाडाटा  एनालिसिस जैसे एलिमेंट शामिल होते हैं। यह पूरी प्रोसेस ब्लॉकचेन पर आधारित होती है और इसमें ट्रांसपेरेंसी को प्रायोरिटी दी जाती है। अब आइये जानते है वो कौन-कौन से तरीके हैं जिनसे NFT को वेरीफाई किया जा सकता है।  

NFT को Verify करने के लिए कौन-से स्टेप्स अपनाना चाहिए

NFT को वेरीफाई करने के लिए जरुरी कुछ सबसे जरूरी स्टेप्स नीचे दिए गए हैं:

Blockchain आइडेंटिफिकेशन 

NFT किस ब्लॉकचेन पर है, यह जानना सबसे पहले ज़रूरी है। यह जानकारी आपको NFT Marketplace पर एसेट डिटेल्स वाले सेक्शन में मिलेगी।

Contract Address और Token ID Verify करें

हर NFT का एक यूनिक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एड्रेस और Token ID होता है। इन दोनों को Etherscan या Polygonscan जैसे Blockchain Explorer में डालकर ऑथेंटिसिटी वेरीफाई की जा सकती है।

Transaction History चेक करें

NFT कब बना, अब तक कितनी बार ट्रांसफर हुआ और किन वॉलेट के बीच ट्रान्सफर हुआ, ये सब डिटेल्स देखने से आपको पता चल सकता है कि यह NFT क्या सच में सही ट्रान्सफर हो रही है या  मैनीपुलेशन के द्वारा उसके दाम बढ़ाये जा रहे हैं।

Metadata और Digital Signature Analyze करें

NFT के Metadata में क्रिएटर का नाम, एसेट का प्रकार, क्रिएशन डेट और अन्य जानकारी होती है।
साथ ही, Smart Contract में किए गए डिजिटल सिग्नेचर से यह पता चलता है कि NFT ओरिजिनल क्रिएटर द्वारा ही मिंट किया गया है।

Platform Verification Badge देखें

कुछ NFT Marketplaces वेरीफायड क्रिएटर्स या कलेक्शन को बैज देते हैं, जो ट्रस्ट की एक एक्स्ट्रा लेयर प्रदान करता है, यह उसी तरह काम करता है जैसे हम किसी सोशल मीडिया साईट पर वेरिफायड प्रोफाइल देखते हैं।

Reverse Image Search करें

NFT अगर इमेज है, तो उसका Reverse Image Search करके देखा जा सकता है कि कहीं वही इमेज इंटरनेट पर पहले से मौजूद तो नहीं है।

इस तरह से आप खुद भी किसी NFT को खरीदने से पहले उसे वेरीफाई कर सकते है, अगर आप रेगुलर NFT ट्रेडर है तो किसी भी NFT को खरीदने से पहले इन स्टेप्स को जरुर फॉलो करें।

अब हम NFT Verification के बारे में तो जान गए लेकिन आपके दिमाग में यह प्रश्न जरुर होगा की आखिर Fake NFT बनाए कैसे जाते हैं, आइये जानते हैं। 

Fake NFTs कैसे बनाए जाते हैं?

Fake NFTs बनाना आज की डिजिटल दुनिया में बहुत ही आसान हो गया है। कुछ कॉमन तरीके जिनसे नकली NFTs बनाए जाते हैं:

  • बिना परमिशन के किसी की आर्टवर्क को डाउनलोड करके मिंट कर देना।
  • किसी पॉपुलर NFT Collection की कॉपी बनाकर वैसा ही नाम और डिस्क्रिप्शन देना, जिससे की रियल और फेक में अंतर पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है।
  • Open-source डिजिटल कंटेंट में थोडा-सा मॉडिफिकेशन करके उसे मिंट करना।
  • ओरिजिनल क्रिएटर की ही फेक आइडेंटिटी बनाकर और उसे रिप्रेजेंट करने के दावे के साथ NFT Mint करना और उन्हें बेचना। 

ये सारे तरीके नए खरीदार को आसानी से कंफ्यूज कर सकते हैं, खासकर अगर वो NFT Verification की ऊपर बताई गयी स्टेप्स को फॉलो नहीं करता है तो। अब आइये जानते हैं की ऐसी स्थिति में Fake NFT की पहचान कैसे की जा सकती है। 

Fake NFTs की पहचान कैसे करें?

Fake NFTs को पकड़ना आसान नहीं है, लेकिन कुछ बातें हैं जिनसे आप सतर्क हो सकते हैं:

  • NFT की प्राइस अगर बहुत कम है और NFT की क्वालिटी हाई है, तो आपको सतर्कता बरतने की जरुरत है, यह किसी NFT की कॉपी हो सकती है।
  • अगर सेलर का वॉलेट नया है या उसमे बार-बार एक ही बायर और सेलर के बीच ट्रांज़ैक्शन हो रहा है तो भी आपको सतर्कता बरतने की जरुरत है।
  • NFT Metadata में डिटेल्स अधूरी या ठीक से नहीं दी गयी है।
  • NFT Image Reverse Search में पहले से मौजूद है।
  • प्रोफाइल का वेरिफिकेशन नहीं हुआ है, जबकि कलेक्शन पॉपुलर लग रहा है।

इस तरह से की गयी थोड़ी सी एक्स्ट्रा मेहनत आपको एक बड़े फाइनेंशियल नुकसान से भी बचा सकती है।

Popular Marketplaces कैसे NFTs को Verify करते हैं?

जैसे-जैसे NFT मार्केट बड़ रहा है, वैसे-वैसे NFT Platforms भी वेरिफिकेशन को लेकर सख्त हो रहे हैं:

  • OpenSea: प्रोफाइल वेरिफिकेशन करके बैज देती है, साथ ही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की जानकारी और कलेक्शन की ऑथेंटिसिटी पर ज़ोर देती है।
  • Rarible NFT: इस प्लेटफार्म यूज़र और क्रिएटर दोनों के लिए आइडेंटिटी वेरिफिकेशन और मेटाडाट वेलिडेशन सिस्टम अवेलेबल है।
  • Foundation NFT: यह Invite-only Model पर काम करता है, जिससे हाई क्वालिटी एनएफटी और वेरीफाई किए गए क्रिएटर्स को ही NFT Minting की परमिशन दी जाती है।
  • SuperRare NFT: इस प्लेटफार्म पर NFT Verification मैन्युअली किया जाता है, मतलब यहाँ हर क्रिएटर को मैन्युअली अप्प्रूव किया जाता है, जिससे Fake NFT की सम्भावना समाप्त हो जाती है। 

इस तरह से सभी प्रमुख NFT Marketplace का NFT Verification का अपना मैकेनिज्म है, लेकिन फिर भी इसे इसमें ट्रस्ट क्रिएट करने के लिए सारा डाटा ब्लॉकचेन पर रखा जाता है, जिसकी NFT और इससे जुड़ी सभी प्रोसेस में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, आइये जानते हैं एनएफटी को वेरीफाई करने में ब्लॉकचेन क्या भूमिका निभाती है।      

NFT Verification में Blockchain का क्या रोल होता है?

ब्लॉकचेन NFT Verification का आधार है। इसकी मदद से ही किसी यूजर को NFT Metadata रियल टाइम में देखना संभव होता है, इसके साथ ही ब्लॉकचेन पर रखे गए डाटा में मैनीपुलेशन संभव नहीं होता है, ब्लॉकचेन पर डाटा रखने के कारण कोई भी यूजर यह देख सकता है कि:

  • NFT Minting कब हुई थी। 
  • कौन-से Wallet Addresses के बीच ट्रान्सफर हुआ।
  • कौन उसका ओरिजिनल क्रिएटर कौन था।
  • NFT के साथ जुड़ा Metadata सही है और डिजिटल सिग्नेचर वैलिड है या नहीं।

क्योंकि ब्लॉकचेन पर रखा गया डाटा एक बार जुड़ने के बाद बदला नहीं जा सकता है, इसलिए इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती, जिससे NFT Verification की प्रोसेस में ट्रस्ट बनता है। अभी तक हमने NFT Verification से जुड़ी जो प्रोसेस देखी वे सभी यूजर के द्वारा मैन्युअली की जाती है, लेकिन मैन्युअल प्रोसेस थोड़ी काम्प्लेक्स होती है और इसमें गलती होने की सम्भावना भी होती है, इसलिए इसके सॉल्यूशन के लिए कुछ टूल भी विकसित किए गए हैं। आइये जानते हैं की कौन-से NFT Verification टूल मार्केट में अवेलेबल है, जिनकी मदद से आप वेरिफिकेशन की इस प्रोसेस को आसान बना सकते हैं। 

पॉपुलर NFT Verification Tools 

ऐसे कई थर्ड पार्टी टूल्स हैं जो यह जानने में आपकी मदद कर सकते है कि जो NFT ओरिजिनल और लिजिटीमेट है या नहीं यह जांचने में मदद कर सकते हैं:

  • CheckNFT.io: Suspicious NFTs की आइडेंटिफिकेशन करता है।  
  • Pastel Network’s Sense: इसका इस्तेमाल  Duplicate NFT Detection के लिए किया जाता है।
  • SnifflesNFT: यह इमेज की सिमिलरिटी और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एनालिसिस के द्वारा NFT वेरीफाई करता है।
  • Etherscan / Polygonscan: यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एड्रेस और ट्रांज़ैक्शन हिस्ट्री को मैन्युअली वेरीफाई करने के लिए सबसे भरोसेमंद प्लेटफार्म माने जाते हैं।

इन टूल्स का इस्तेमाल करके आप NFTs को खरीदने से पहले उनका वेरिफिकेशन कर सकते हैं। इस पुरे ब्लॉग में हमने NFT Verification और उससे जुड़े सभी आस्पेक्ट्स को कवर किया है, अब हम जानते हैं की एक NFT खरीदार के रूप में वो कौन सी सावधानियां हैं जो आपको रखनी जरुरी है। 

NFT Buyer के तौर पर खुद को कैसे सुरक्षित रखें?

NFT खरीदते समय खुद को सुरक्षित रखने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को जरुर फॉलो करें:

  • Trusted Marketplaces का उपयोग करें और सिर्फ जाने-माने प्लेटफार्म से ही NFTs खरीदें।
  • Wallet Security का ध्यान रखें और 2FA हमेशा ओन रखें और अपनी Private Keys कभी किसी के साथ शेयर न करें।
  • Phishing Sites से सावधान रहें,हमेशा Official URL से ही NFT Marketplace में लॉगिन करें।
  • Creator और Seller की Profile जांचें, उनकी एक्टिविटी, फॉलोवर काउंट और सोशल प्रोफाइल्स को भी क्रॉसचेक करें।
  • AI Tools का इस्तेमाल करें, मॉडर्न टूल्स किसी भी संदिग्ध गतिविधी की पहचान करके आपको तुरंत सावधान कर सकते हैं।

इस तरह से थोड़ी सी सावधानी और सही टूल्स का उपयोग करके आप आसानी से Fake NFTs से बच सकते हैं।

NFTs एक नयी और लगातार विकसित हो रही टेक्नोलॉजी हैं, लेकिन इसमें एंट्री करने से पहले सही जानकारी और सतर्कता जरूरी है। अगर आप NFT को वेरीफाई करना जानते हैं, तो ना सिर्फ आप खुद को किसी स्कैम से बचा सकते हैं, बल्कि पूरे इकोसिस्टम को ज़्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने में योगदान देते हैं। याद रखिए डिजिटल वर्ल्ड में रिसर्च और एनालिसिस ही सिक्योरिटी का सबसे बड़ा आधार है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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