NFT की शुरुआत और विकास की पूरी कहानी जानिए, विस्तार से
आज डिजिटल वर्ल्ड में ओनरशिप की डेफिनेशन लगातार बदल रही है। ऐसे दौर में जब आर्ट, म्यूजिक या वीडियो स्ट्रीमिंग सब कुछ ऑनलाइन ही देखा जा रहा है, किसी आर्ट के ओरिजिनल आर्टिस्ट की पहचान कर पाना और उसे उसके आर्ट के लिए सही लाभ दे पाना बहुत कठिन काम हो गया है। Web2 से जुड़े मीडियम जैसे- Youtube या सोशल मीडिया में किसी कला के ओरिजिन को जानना बेहद मुश्किल है। जिसके कारण कई बार किसी आर्ट से, उसके ओरिजिनल आर्टिस्ट से ज्यादा वे लोग जिनकी रीच ज्यादा है, प्रॉफिट कमा लेते हैं।
ऐसी स्थिति में आर्टिस्ट कम्युनिटी और कला प्रेमियों के बीच यह बड़ा प्रश्न था की डिजिटल वर्ल्ड में कैसे किसी आर्ट की सही ओनरशिप डिसाइड की जाए, जिससे कि उसे बनाने वाले आर्टिस्ट को उसका सही लाभ मिल सके। इसका जवाब Web3 और Blockchain Technology ने साथ आकर NFT (Non-Fungible Token) के रूप में दिया है और जिसके कारण एक ऐसा टेक्निकल और कल्चरल मूवमेंट शुरू हुआ, जिसने डिजिटल ओनरशिप की परिभाषा ही बदल दी, आज हम इस ब्लॉग में NFT की शुरुआत कैसे हुई और इसके विकास की कहानी को जानेंगे, विस्तार से।
लेकिन सबसे पहले यह जानना जरुरी है की NFT कोई अचानक हुआ रेवोलुशन नहीं था। इसके पीछे एक लंबा सिलसिला रहा है, जिसमें Bitcoin से लेकर Ethereum, Meme Culture से लेकर डिजिटल गेमिंग तक का अपना-अपना योगदान रहा है। इस ब्लॉग में हम NFT के विकास के पूरे सफर के बारे में जानेंगे, जिससे यह समझा जा सके कि Non-Fungible Token की शुरुआत कब, कैसे और क्यों हुई।
NFT का कांसेप्ट: कहां से आई ‘डिजिटल यूनिकनेस’ की सोच?
डिजिटल दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती यह रही है कि यहाँ किसी भी चीज़ को कॉपी करना बेहद आसान है, एक क्लिक के द्वारा आप किसी भी फाइल, फोटो, म्यूजिक को कॉपी कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी वस्तु या कला की Ownership को डिजिटली वेरिफ़ाई करना बहुत मुश्किल हो गया है।
यहीं से एक विचार आया, क्या हम Blockchain Technology का इस्तेमाल करके किसी डिजिटल फाइल को यूनिक और ट्रैकेबल बना सकते हैं? मतलब ऐसा सिस्टम, जो यह रिकॉर्ड रख सके कि कोई फाइल कब बनी, किसके पास रही और अब किसके पास है। यहीं से Non-fungible Token का कांसेप्ट सामने आया। जिस पर शुरूआती एक्सपेरिमेंट्स हमें 2012-13 में ही Colored Coins के रूप में देखने को मिलने लगे थे।
Colored Coins: NFT से जुड़ा शुरूआती कांसेप्ट (2012–2013)
NFT की जड़ों की बात करें तो शुरुआत होती है Colored Coins से। ये बिटकॉइन नेटवर्क पर बने ऐसे टोकन थे, जिन्हें कुछ खास मेटाडेटा के साथ जोड़ा जाता था। इस मेटाडेटा की मदद से टोकन को किसी रियल वर्ल्ड एसेट जैसे कंपनी के शेयर या डिजिटल ऑब्जेक्ट से लिंक किया जा सकता था।
हालांकि, Bitcoin का नेटवर्क इस तरह के कस्टम डेटा को प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन नहीं हुआ था। लेकिन फिर भी इस प्रयास ने एक विचार को जन्म दिया कि डिजिटल यूनिकनेस संभव है।
Counterparty और Rare Pepes: इनिशियल एक्सपेरिमेंट (2014–2016)
Colored Coins के बाद Counterparty नाम का एक प्लेटफ़ॉर्म सामने आया, जो Bitcoin के ऊपर बनाया गया था और जिसमें NFT जैसे प्रयोग करना थोड़ा ज्यादा आसान हुआ।
यही वो दौर था जब Rare Pepes नाम से बने Meme-based डिजिटल कार्ड्स को भारी लोकप्रियता मिली। ये Meme Culture और NFT के बीच पहले कोलैबोरेशन की तरह था। लोग इन कार्ड्स को खरीद रहे थे, बेच रहे थे और उन्हें कलेक्ट कर रहे थे ठीक उसी तरह जैसे आज के NFT की ट्रेडिंग होती है।
इन Rare Memes ने यह दिखाया कि डिजिटल आइटम्स में भी इमोशनल और मार्केट वैल्यू हो सकती है, अगर उनके पास यूनिक आइडेंटिटी और प्रूफ ऑफ ओनरशिप हो। लेकिन दिक्कत यह थी की Bitcoin और Blockchain Technology की अपनी सीमाएं थी, इस समय तक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का इन्वेंशन नहीं हुआ था जिसके कारण ब्लॉकचेन को किसी भी यूटिलिटी से जोड़ा नहीं जा सकता था। Non-Fungible Token और इसके रेवोलुशन की असली शुरुआत हुई Ethereum और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के इन्वेंशन से, आइये जानते है इस ग्राउंड ब्रेकिंग कांसेप्ट ने कैसे Non-Fungible Token और डिजिटल ओनरशिप के भविष्य को पूरी तरह से बदल दिया।
Ethereum और ERC-721: NFT में रियल रेवोलुशन (2017)
हालांकि शुरुआती एक्सपेरिमेंट्स एक मोटिवेशन की तरह तो थे, पर उनकी कई टेक्निकल लिमिटेशन थीं। इसी समय Vitalik Buterin ने Ethereum दुनिया के सामने रखा, एक ऐसी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट-बेस्ड ब्लॉकचेन, जिसने टोकन स्टैंडर्ड्स के होराइज़न को विस्तार दिया और इन्हें डेवलपर-फ्रेंडली बना दिया।
ERC-721 Standards, जिसे 2017 में पेश किया गया, के द्वारा पहली बार Non-Fungibility को टेक्निकली डिफाइन किया गया। इस स्टैंडर्ड ने डेवलपर्स को NFT बनाने, खरीदने-बेचने और ट्रैक करने के लिए एक क्लियर फ्रेमवर्क दिया।
Ethereum के द्वारा दिए गए इस टूल और प्रोग्रामबिलिटी ने NFT को पहली बार मूर्त रूप दिया और इसके मैनस्ट्रीम एडॉप्शन के लिए रास्ता साफ़ किया।
CryptoPunks और CryptoKitties: NFT का पहला बड़ा बूम
2017 में दो NFT प्रोजेक्ट्स ने दुनिया का ध्यान खींचा:
- CryptoPunks (Larva Labs): 10,000 यूनिक डिजिटल अवतार, जिनमें से कोई भी एक जैसा नहीं था। इन्हें उस समय फ्री में क्लेम किया जा सकता था। आज ये लाखों डॉलर में बेचे जा रहे हैं।
- CryptoKitties: एक इंटरएक्टिव गेम जहां लोग वर्चुअल कैट्स को ब्रीड और ट्रेड कर सकते थे। Ethereum पर यह इतना लोकप्रिय हुआ कि नेटवर्क स्लो हो गया और इसकी गैस फीस आसमान छूने लगी।
इन दोनों प्रोजेक्ट्स ने साबित किया कि डिजिटल यूनिकनेस केवल टेक्नोलॉजी नहीं है, यह एक कल्चरल फिनोमिना भी बन सकती है। इसके बाद तो जैसे NFT का दौर ही शुरू हो गया और 2020-2021 में इसके एडॉप्शन ने नयी ऊँचाइयों को छु लिया।
2020–2021: NFT का मेनस्ट्रीम एक्सप्लोज़न
Non-Fungible Token का असली बूम 2020–21 के दौरान आया। इस दौरान:
- Beeple का डिजिटल आर्टवर्क $69 मिलियन में बिका, जो अपने आप में रिकॉर्ड था।
- OpenSea, Rarible जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अचानक एक्टिव यूज़र्स की संख्या लाखों पर पहुँच गयी।
- ब्रांड्स जैसे Nike, Adidas और सेलेब्रिटीज़ जैसे Snoop Dogg, Paris Hilton ने अपने NFT लॉन्च किए, जिसके कारण NFT की ग्लोबल एडॉप्शन बहुत तेजी से बढ़ी।
इस दौर में NFT ने आर्ट, म्यूजिक, वीडियो गेम्स, वर्चुअल फैशन और मेटावर्स तक अपनी पहुंच बना ली।
अब NFT केवल कला तक सीमित नहीं
हालांकि NFT को अक्सर डिजिटल आर्ट से जोड़ा जाता है, लेकिन अब इसका दायरा कहीं ज्यादा बड़ चुका है। आइये जानते हैं, वो कौन-से सेक्टर है जिनमें NFT का उपयोग करके नए नए इनोवेशन लाये जा रहे हैं।
- Gaming में NFTs: जैसे Axie Infinity, Gods Unchained, जहां गेम आइटम्स को टोकन के रूप में ट्रेड किया जा सकता है।
- Virtual Land Ownership: जैसे Decentraland और The Sandbox, जहां लोग NFT के रूप में ज़मीन खरीदते हैं।
- Event Tickets, Memberships और Identity Verification भी अब NFT के ज़रिए संभव हो रहे हैं।
इससे पता चलता है कि Non-Fungible Token सिर्फ एक डिजिटल आर्ट ट्रेंड नहीं, बल्कि एक नई डिजिटल ओनरशिप आधारित इकोनोमी की शुरुआत है। इस ग्लोबल ट्रेंड ने भारत में भी अपनी जड़े ज़माना शुरू कर दिया है, आइये जानते हैं की भारत में NFT मार्केट की क्या स्थिति है, और इसका भविष्य क्या हो सकता है।
भारत में NFT मार्केट की स्थिति
भारत में NFT का सफर थोड़ा देर से शुरू हुआ, लेकिन इसकी ग्रोथ तेजी से हो रही है। आइये इससे जुड़े कुछ अहम पहलुओं को जानते है:
- वर्तमान में भारतीय आर्टिस्ट जैसे Amrit Pal Singh और Visual Amnesia को ग्लोबल मार्केट में बड़ी पहचान मिली है, आज MIcrosoft, Google जैसे बड़े ब्रांड भारतीय आर्टिस्ट की बनाई हुई डिजाईन को खरीद भी रहे हैं और उनका उपयोग भी कर रहे हैं।
- Bollywood से जुड़ी हस्तियों जैसे Sunny Leone, Amitabh Bachchan, Salman Khan, Raftaar और Rajinikanth ने अपने NFT कलेक्शन लॉन्च किए हैं।
- JTrex20, Fitmint, CropBytes और Unmarshal जैसे प्लेटफॉर्म्स भारत में NFT मार्केट को लेकर अच्छा काम कर रहे हैं।
- भारत में NFT की लीगल स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है, हालांकि इसे क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही Virtual Digital Asset की केटेगरी में रखा गया है, लेकिन इस पर कोई कानून अब तक नहीं लाया गया है। जिसके कारण अभी तक भारत में NFT मार्केट के विकास की बहुत सी संभावनाएं मौजूद है, जिनके इसकी लीगल स्थिति स्पष्ट होने के बाद सामने आने की सम्भावना है।
भारत में NFT अब सिर्फ एक डिजिटल ट्रेंड नहीं बल्कि एक नई क्रिएटिव इंडस्ट्री का हिस्सा बन रहा है।
NFT का इतिहास सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं है, यह डिजिटल सोसाइटी के बदलते स्वरूप की कहानी है। यह एक ऐसा सफर है जिसने हमें यह सोचने पर मजबूर किया कि वैल्यू, ओनरशिप और यूनिकनेस का क्या मतलब होता है, जब हम सब कुछ ऑनलाइन एक्सपीरियंस कर रहे हों।
Colored Coins से लेकर CryptoPunks और मेटावर्स तक, NFT का विकास न सिर्फ इनोवेशन का सिंबल है बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि आने वाला इंटरनेट कैसा दिखेगा ज्यादा पार्टिसिपेटिव, ज्यादा प्रोग्रामेबल और शायद ज्यादा इंडिविजुअल भी।