Blockchain में Identity और Privacy कैसे काम करती हैं?
कई बार हम देखते हैं की हमने किसी जगह या वस्तु के बारे में बात की और कुछ समय बाद हमारे फ़ोन में या सोशल मीडिया इस्तेमाल करते समय उससे रिलेटेड फीड हमारे सामने आना शुरू हो जाती है। हम कुछ समझ पाएं, उससे पहले ही हमारी इन्टरनेट एक्टिविटी से इकठ्ठा किया गया डाटा हमारे ही जीवन को प्रभावित करने के लिए उपयोग किया जाने लगता है।
हर बार जब हम किसी वेबसाइट या ऐप पर साइन अप करते हैं, तो हम अपनी पर्सनल जानकारी जैसे ईमेल, मोबाइल नंबर या सोशल मीडिया अकाउंट शेयर करते हैं। यह Identity Web2 आधारित सिस्टम्स के सेंट्रल सर्वर में स्टोर होती है जिसे बेचकर या इस डाटा का उपयोग करके ये कंपनियां हमारे जीवन को प्रभावित करने लगती है।
इस कारण से डेटा लीक, ट्रैकिंग, सर्विलांस और थर्ड पार्टी मिसयूज़ जैसी समस्याएं तो अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। ऐसे समय में Blockchain-based Identity System एक क्रांतिकारी समाधान बनकर उभरा है।
Blockchain पर Identity कैसे क्रिएट की जाती है?
Blockchain पर पहचान किसी डॉक्यूमेंट या यूजरनेम पर आधारित नहीं होती। यह Cryptography के माध्यम से काम करती है, इसमें:
- Public Key: यह आपकी Public Identity होती है, जो वॉलेट एड्रेस के रूप में जानी जाती है।
- Private Key: इसकी ओनरशिप यह साबित करती है कि Crypto Wallet को आप कण्ट्रोल कर रहे हैं।
यह आइडेंटिटी सिस्टम पूरी तरह Pseudonymous होती है यानी आपकी असली पहचान सामने नहीं आती, लेकिन आपका वेरिफिकेशन भी हो जाता है।
Blockchain-based Identity System की विशेषताएँ
- Self-controlled: पहचान का पूरा कण्ट्रोल यूज़र के पास होता है।
- Multi-identity: एक व्यक्ति कई इंडिपेंडेंट आइडेंटिटी बना सकता है।
- Permissionless: इसमें आइडेंटिटी क्रिएट के लिए किसी थर्ड पार्टी की परमिशन की जरुरत नहीं होती है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण “Satoshi Nakamoto” है, जो Bitcoin और Blockchain के जनक होते हुए भी अपनी पहचान छुपाये रखने में कामयाब रहे हैं। इसी तरह हाल ही में क्रिप्टो मार्केट में ट्रेडिंग से करोड़ो कमाने और फिर सब कुछ गवा देने के कारण फेमस हुए क्रिप्टो ट्रेडर James Wynn भी Web3 वर्ल्ड में बड़ा नाम कमाने के बावजूद अपनी वास्तविक पहचान छुपाने में कामयाब रहे हैं।
Web2 Identity Verification की समस्याएं और Blockchain की प्रतिक्रिया
Web2 में आइडेंटिफिकेशन के मॉडल सेंट्रलाइज होते हैं। जब भी हम किसी प्लेटफॉर्म पर लॉगिन करते हैं तो हम अपना डाटा किसी कंपनी के हवाले कर देते हैं। इससे जुड़ी समस्याएं हैं:
- डाटा पर कण्ट्रोल की कमी
- हर जगह बार-बार आइडेंटिटी वेरिफिकेशन करने की मजबूरी
- ट्रस्ट के लिए थर्ड पार्टी पर डिपेंडेंसी
- डाटा लीकेज और सर्विलांस का रिस्क
Blockchain इन समस्याओं को टेक्नोलॉजी के माध्यम से हल करती है और हमे बिना किसी थर्ड पार्टी पर भरोसा किए, Cryptographic तरीके से आइडेंटिटी वेरिफिकेशन का ऑप्शन देती है।
Privacy का मतलब सिर्फ छुपाना नहीं, बल्कि कण्ट्रोल है
आपका डाटा किसके पास हो, कब हो और कितनी देर तक हो, यह पूरा कण्ट्रोल आपके पास होना चाहिए। प्राइवेसी केवल आइडेंटिटी को बचाने तक सीमित नहीं है बल्कि इसका वास्तविक मतलब है आपके डाटा पर आपका अधिकार होना है।
Web2 मॉडल में आपका डाटा एक सेंट्रल सर्वर पर रखा होता है। कंपनियाँ उसे एनालाइज करती हैं, उसे बेचती हैं और इसी डाटा का उपयोग करके आपको टारगेट करती हैं जबकि आप बिना जाने इस अल्गोरिदम के शिकार बन जाते हैं।
जबकि Blockchain में प्राइवेसी इसके कोर में है, इसे डिजाईन के स्तर पर ही शामिल कर लिया जाता है। Cryptography की मदद से आप अपनी आइडेंटिटी और डाटा को सेलेक्टिव तरीके से शेयर कर सकते हैं। ब्लॉकचेन एक ऐसा सिस्टम है जहाँ ट्रांसपेरेंसी और एन्क्रिप्शन दोनों साथ काम करते हैं और इसमें यूजर का कण्ट्रोल हमेशा बना रहता है।
Decentralized Identity (DID) और Self-Sovereign Identity (SSI)
Web3 में आइडेंटिटी वेरिफिकेशन के लिए Decentralized Identity (DID) और Self-Sovereign Identity (SSI) मॉडल उपयोग में किए जाते हैं। ये मॉडल डिजिटल दुनिया में पहचान को रीडिफाइन कर रहे हैं।
- Decentralized Identifiers (DID)
DID एक ग्लोबल यूनिक आइडेंटिटी होती है जो किसी भी सेंट्रलाइज अथोरिटी पर निर्भर नहीं करती। यह स्ट्रक्चर यूज़र या संस्था को Trustless और Verifiable तरीके से Digital Identity प्रोवाइड करवाता है।
- Self-Sovereign Identity (SSI)
SSI का मतलब है कि व्यक्ति या संगठन अपनी आइडेंटिटी और उससे जुड़े सभी क्रेडेंशियल पर पूरा कण्ट्रोल रखते हैं। वे तय करते हैं कि कौन-सी जानकारी, किसे और कब दी जाए।
Blockchain Identity की सीमाएँ: अधूरी प्राइवेसी
हालाँकि Decentralized Identity (DID) और Self-Sovereign Identity (SSI) ने आइडेंटिटी और उससे जुड़े डाटा पर यूज़र का कण्ट्रोल सुनिश्चित किया है, लेकिन प्राइवेसी की गारंटी अभी भी अधूरी है। DID सिस्टम में वेरिफिकेशन के दौरान कई बार ज़रूरत से ज़्यादा इनफार्मेशन शेयर करनी पड़ती है। उदाहरण के लिए, केवल उम्र वेरीफाई करने के लिए पूरी ID दिखानी पड़ती है। इसके अलावा, एक ही DID का कई बार उपयोग होने से उपयोगकर्ता की एक्टिविटी ट्रैक की जा सकती हैं, जिससे Anonymity प्रभावित होती है।
Blockchain का Immutable नेचर प्राइवेसी के मुद्दे को और काम्प्लेक्स बना देता है क्योंकि एक बार शेयर किया गया डाटा हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है। जबकि हम देखते हैं की “डाटा मिटाने के अधिकार” की मांग जोर पकड़ रही है, जो Blockchain के बेसिक नेचर से ही मेल नहीं खाती। SSI में प्राइवेसी को डिज़ाइन स्तर पर महत्व मिला है, लेकिन इसे लागू करने के लिए और बेहतर टेक्निकल सॉल्यूशन की आवश्यकता थी और Zero Knowledge Proof जैसी टेक्नोलॉजी इसका ही सॉल्यूशन बनकर सामने आती है।
Zero Knowledge Proofs (ZKPs): ट्रस्ट की नयी आइडेंटिटी
ZKP एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो आइडेंटिटी और प्राइवेसी दोनों को एक साथ संभव बनाती है और इसके लिए असली जानकारी साझा करना भी जरुरी नहीं होता है।
ZKP की मदद से आप बिना वास्तविक जानकारी साझा किए बिना अपने आप को वेरीफाई करवा सकते हैं जैसे कि आपकी उम्र 18+ है, आपके पास कोई डिग्री है, या आपने कोई ट्रांज़ैक्शन किया है लेकिन वास्तविक डाटा जैसे आपकी उम्र कितनी है, आपके पास कौनसी डिग्री है और आपने कितना और किसका ट्रांज़ैक्शन किया है, नहीं साझा करते हैं।
ZKP क्यों ज़रूरी है?
- Sensitive डाटा की रक्षा करता है
- बिना केवाईसी डॉक्यूमेंट के आइडेंटिटी वेरिफिकेशन को संभव बनाता है
- Anonymous वोटिंग, प्राइवेट ट्रांजैक्शन, क्रेडेंशियल वेलिडेशन जैसी Web3 फैसिलिटी के दरवाजे खोलता है
कहां उपयोग होता है?
- Polygon ID: बिना डॉक्यूमेंट, ट्रस्ट आधारित पहचान
- MACI Voting: प्राइवेट DAO मतदान
- zkLogin / passwordless Web3 login
- Proof of Assets: बिना बैलेंस बताए Solvency Verification
हम ZKP के बारे में आने वाले ब्लॉग में विस्तृत चर्चा करेंगे, जहाँ हम समझेंगे कि यह तकनीक कैसे काम करती है, zk-SNARKs/zk-STARKs क्या होते हैं और ये ब्लॉकचेन प्राइवेसी व स्कैलेबिलिटी को कैसे बदल रहे हैं।
Blockchain Identity के प्रमुख उपयोग
- डिग्री और सर्टिफिकेट: MIT, Dock जैसे प्लेटफॉर्म इसके लिए Verifiable Credentials जारी कर रहे हैं।
- Web3 लॉगिन सिस्टम: Lens Protocol, WalletConnect पासवर्ड के बिना Login की सुविधा दे रहे हैं।
- DAO Governance: Snapshot और MACI के ज़रिए निष्पक्ष मतदान।
- हेल्थ डाटा कण्ट्रोल: MedBlock, Patientory जैसे प्लेटफॉर्म में मरीज डाटा शेयरिंग को कण्ट्रोल करता है।
- Proof of Humanity: बोट और AI के विकास के कारण यह पहचान पाना बहुत मुश्किल हो गया है की हम ऑनलाइन जिससे डील कर रहे हैं वह इंसान ही है या नहीं। BrightID, Worldcoin जैसे प्रोजेक्ट्स इसी समस्या को ब्लॉकचेन के आधार पर हल करने का प्रयास कर रहे हैं।
Blockchain Identity जुडी चुनौतियाँ और रिस्क
- On-chain डाटा एक बार दर्ज होने के बाद वह परमानेंट हो जाता है।
- Privacy vs Regulation: हाल ही में ऐसी कई घटनाएं हुई है जिनमे ब्लॉकचेन की इस सुविधा का प्रयोग हवाला और टेररिज्म जैसी अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया गया है।
- User awareness और UX चुनौतियाँ: Web3 अभी भी बहुत कम लोगों के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए अभी भी इसके बारे में जानकारी का अभाव इसे और जटिल प्रक्रिया बना देता है।
- इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या यह है की इसकी कोई विधिक मान्यता भी नहीं है।
Zero Knowledge Proofs, Decentralized Identifiers और Self-Sovereign Identity जैसे विचार यह संकेत दे रहे हैं कि हम एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ व्यक्ति अपनी प्राइवेट जानकारी का असली मालिक खुद होगा। वर्तमान में डाटा का उपयोग Web2 कंपनियां रिसोर्स की तरह कर रही है जबकि ब्लॉकचेन इसे एक एसेट में बदल देता है। हमारा संविधान “Right to Privacy” को एक मूल अधिकार मानता है, ब्लॉकचेन का यह फीचर आने वाले समय में इसे निजता के अधिकार के वास्तविक संस्थापक का दर्जा भी दिला सकता है।