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Generative Art और इसकी NFT प्रोजेक्ट्स में भूमिका क्या है

कंप्यूटर को मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा इम्पैक्टफुल इन्वेंशन माना जाता है। इसने न केवल काम को आसान बनाया बल्कि इसने मानव को एक ऐसा असिस्टेंट दिया है, जो उसकी सोच को वास्तविकता में लाने का काम बखूबी कर सकता है। इसकी इसी खूबी Generative Art कहा जाता है, जिसका फायदा हमने अलग-अलग क्षेत्रों में अपनाया है, जैसे आजकल किसी वैज्ञानिक प्रयोग को प्रयोगशाला की बजाय कंप्यूटर सिमुलेशन के द्वारा ही कर लिया जाता है, इसी तरह किसी फिल्म के सीन को अब पूरा सेट बनाने की बजाए VFX का उपयोग करके ही मूर्त रूप दे दिया जाता है।

कंप्यूटर और कोड के द्वारा किया जाने वाला यह काम अब AI ने और आसान कर दिया है, जो कुछ इंस्ट्रक्शन में ही आपके अनुसार आपकी सोच को किसी इमेज या ग्राफ़िक के रूप में आपके सामने ला देता है। कला का यह रूप को जो इंसानी सोच और कंप्यूटर के कोड से आकार लेता है, Generative Art कहा जाता है।

Art के इसी फॉर्म का उपयोग अब NFT में भी किया जाने लगा है, ऐसा कोई इंस्ट्रक्शन सेट जो हर बार मिंट किए जाने पर एक यूनिक NFT मिंट करता है, Generative NFT Project कहा जाता है। आज हम इस ब्लॉग में जानेंगे Generative Art क्या है, इसका NFT में किस तरह प्रयोग किया जा रहा है और कोई Generative NFT Project किस तरह से काम करता है, विस्तार से और आसान भाषा में। 

Generatie Art क्या है?

हर बार एक जैसे दिखने वाले डिज़ाइनों से हटकर जब कोई आर्टवर्क अपने आप यानी कोड या एल्गोरिदम के ज़रिए जनरेट होता है, तो उसे Generative Art कहा जाता है। इसमें इंसान सिर्फ़ कुछ रूल्स तय करता है जैसे कि कौन-से Colors, Shapes या Patterns इस्तेमाल बनाए जाने वाली आर्ट में होना चाहिए और कंप्यूटर उन इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते हुए हर बार एक नया डिज़ाइन बनाकर सामने लाता है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए एक आर्टिस्ट ऐसा कोड लिखता है जिसमें 5 बेकग्राउंड कलर, 3 बॉडी टाइप और 4 कलर स्किन्स शामिल हैं। तो कंप्यूटर इन ऑप्शन को रैंडम तरीके से मिलाकर सैकड़ों या हज़ारों यूनिक डिज़ाइन्स बना सकता है, यही Generative Art है।

Generative Art की हिस्ट्री: एल्गोरिदम से आर्ट तक

जनरेटिव आर्ट कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है, इसकी शुरुआत 1960s में ही हो गई थी, जब कुछ आर्टिस्ट्स और प्रोग्रामर्स ने कंप्यूटर को कोडिंग के ज़रिए पैटर्न्स और विसुअल डिजाईन बनाने का काम करना शुरू किया।

  • शुरुआती एक्सपेरिमेंट्स में प्रिंटर और ASCII Characters से आर्ट बनाई जाती थी।
  • बाद में Processing और p5.js जैसे टूल्स आए, जिससे कोडिंग के ज़रिए इंटरेक्टिव आर्ट बनना शुरू हुआ।
  • आज हम AI और Machine Learning तक पहुँच चुके हैं, जहाँ केवल कुछ नार्मल इंस्ट्रक्शन देकर काम्प्लेक्स कोड्स से बनने वाली बेहद खूबसूरत डिज़ाइन को सामान्य यूजर भी बना सकता है, हाल ही में ट्रेंड में रहा Gibli Art भी Generative Art के इसी नए रूप का कमाल   है।
Exclusive Generative Art कैसे बनाई जाती है?

ऐसी Generative Art जो अपने आप में यूनिक हो को बनाने के लिए आर्टिस्ट को एक अल्गोरिद्म या कोड बनाना होता है, जिसमें विसुअल्स को कंट्रोल करने वाले पैरामीटर दिए होते हैं। कुछ टूल्स और लैंग्वेज जिनसे जनरेटिव आर्ट बनाई जाती है, इस प्रकार हैं:

  • Processing / p5.js: विसुअल आर्ट के लिए सबसे पॉपुलर JavaScript Libraries
  • Python: डाटा और पैटर्न्स पर आधारित आर्ट बनाने के लिए
  • TouchDesigner / VVVV: इनका प्रयोग इंटरेक्टिव इंस्टालेशन के लिए होता है
  • AI tools: जैसे MidJourney या Runway, जो इमेज को सीखकर आर्ट जनरेट करने में सक्षम हैं

इस तरह से लिखा गया कोई कोड जब हर बार एक्सिक्यूट होता है, तो एक नया और यूनिक आर्टवर्क बनता है। इस तरह कंप्यूटर की केपेबिलिटी और इंसानी सोच के ब्लेंड से यह कमाल का आर्ट फॉर्म तैयार हुआ है। हालांकि इस तरह से तैयार की गयी कला लम्बे समय से काम में ली जा रही है, लेकिन NFT के कांसेप्ट के सामने आने के बाद इससे जुड़े आर्टिस्ट या कहें Generative Art Developers को अपनी कला को बेचने और उसका लाभ लेने का मौका मिला है। आइये जानते हैं की कैसे NFT और Generative Art आर्ट के इंटीग्रेशन और NFT Marketplace के सामने आने के बाद इस नयी Generative NFT Projects की इकोनोमी का जन्म हुआ।    

NFT और Generative Art का इंटीग्रेशन: एक नयी शुरुआत 

यूनिकनेस NFT की मार्केट वैल्यू को निर्धारित करने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है और किसी इंसान द्वारा लगातार और हर बार कोई नयी कलाकृति बनाना कला जैसे इंटरेस्टिंग फ़ील्ड को भी बोरिंग बना सकता है। यहीं से NFT और Generative Art के इंटीग्रेशन की जरुरत और महत्त्व दोनों समझे जा सकते हैं, क्योंकि:

  • यह हर NFT को यूनिक बनाता है, जिससे उसकी वैल्यू बढ़ती है।
  • इसके उपयोग से स्केलेबल कलेक्शंस बनाना संभव करता है, जैसे एक ही बेस पर 10,000 अलग-अलग आर्टपीस।
  • यूज़र को मिंटिंग के वक्त ही यूनिक डिज़ाइन मिलता है, जो केवल उसी के लिए जनरेट होती है।

इस तरह से Generative NFT Projects ने कंप्यूटर को इंसानों का को-आर्टिस्ट” बना दिया है, जिसमें इंसान क्रिएटिव डायरेक्शन देता है और कंप्यूटर उसे बिल्कुल उसी तरीके से एक्सिक्यूट करता है।

Generative NFT प्रोजेक्ट्स कैसे काम करते हैं?

इन प्रोजेक्ट्स का काम करने का तरीका बड़ा दिलचस्प है। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं:

  1. Traits और Layers का डिज़ाइन
    • Trait जैसे बैकग्राउंड, बॉडी टाइप, स्किन, टोपी आदि निर्धारित किए जाते हैं
    • इसके साथ ही हर Trait की Rarity (काम में लिए जाने की फ्रीक्वेंसी) तय होती है।
  2. Algorithm / कोड
    • यह तय करता है कि NFT Minting के समय कौन-से Traits किस तरह से ब्लेंड होंगे  और इनका कॉम्बिनेशन कैसा होगा।
  3. Smart Contract
    • जब कोई यूज़ NFT मिंट करता है, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट उस ट्रांज़ैक्शन को एक रैंडम, लेकिन यूनिक आर्टवर्क का इंस्ट्रक्शन असाइन करता है।
  4. On-chain या Off-chain स्टोरेज
    • कुछ NFTs का आर्टवर्क पूरी तरह Blockchain पर स्टोर होता है, जिसे On-chain स्टोरेज कहा जाता है, जबकि कुछ NFT में केवल  Metadata होता है, जो इसके Off-chain स्टोरेज को संभव बनता है.

इसी कारण से कोई Art Blocks, प्लेटफार्म पर मिंट करते ही आर्ट रियल टाइम में जनरेट होता है, क्योंकि यह आप हीं चुनते कि वह कैसा होगा, बल्कि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में लिखा कोड तय करता है।

Generative Art NFT की वैल्यू कैसे डिसाइड होती है

NFT Market में जनरेटिव आर्ट की वैल्यू निम्लिखित फेक्टर्स से तय होती है:

  • Unpredictability और Uniqueness: क्योंकि इसके द्वारा बना कोई भी आर्टवर्क एक जैसा नहीं होता।
  • क्रिएटर की मार्केट वैल्यू: किसी फेमस आर्टिस्ट्स के आर्टवर्क की वैल्यू ज्यादा होती है।
  • Rarity Traits: ऐसे कुछ NFT जिनमे रेयर एलीमेंट्स होते हैं, ज़्यादा महंगे बिकते हैं।
  • कम्युनिटी और डिमांड: जिन NFT कलेक्शन्स के लिए कलेक्टर्स के बीच एक्साइटमेंट ज्यादा होता है और जिनके साथ एक्सक्लूसिविटी एलिमेंट जुड़ा होता है, उनकी वैल्यू हाई होती है।

उदाहरण के लिए Fidenza और Chromie Squiggles जैसे जनरेटिव प्रोजेक्ट्स ने मिलियन डॉलर तक की सेल्स देखी हैं।

क्या AI-generated Art भी जनरेटिव आर्ट है?

AI-generated Art भी जनरेटिव आर्ट का ही हिस्सा माना जाता है, लेकिन इसमें मानव की भूमिका और भी ज़्यादा कम हो जाती है।

  • AI tools जैसे MidJourney या DALL·E यूजर के Prompt को एनालाइज करके आर्टवर्क  बनाते हैं।
  • इसकी एक और खासियत यह है कि ट्रेडिशनल जनरेटिव आर्ट में उसके फॉर्म को डीटरमाइन   करने वाले अल्गोरिदम होते हैं जबकि AI में Machine Learning पर आधारित रैंडमनेस  शामिल होती है।

हालांकि दोनों में कोडेड इंस्ट्रक्शन शामिल होते हैं, लेकिन AI Art में आउटपुट पर आर्टिस्ट का कंट्रोल थोड़ा कम हो सकता है।

Generative Art के लिए क्रिएटर्स और कलेक्टर्स को क्या जानना जरुरी है?

क्रिएटर्स के लिए:

  • कोडिंग की बेसिक समझ जैसे p5.js या Python जरुरी है।
  • डिज़ाइन थिंकिंग और विसुअल एलेमेंट्स की क्लैरिटी जरुरी है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट इंटरैक्शन की नॉलेज जरुरी है।

कलेक्टर्स को:

  • प्रोजेक्ट की रेयरिटी डिस्ट्रीब्यूशन की समझ होनी चाहिए।
  • क्रिएटर की हिस्ट्री और रेपुटेशन की जानकारी होनी चाहिए।
  • मिन्टिंग लॉजिक और स्टोरेज टाइप (On-chain vs Off-chain) जानना ज़रूरी है।

Generative Art और NFTs के इंटीग्रेशन एक नई डिजिटल लैंग्वेज को जन्म दिया है, जहाँ क्रिएटिविटी और एल्गोरिदम साथ काम करते हैं और हर आर्टवर्क एक तरह से Living Code बन जाता है। यह न सिर्फ़ कला का नया रूप है, बल्कि डिजिटल ओनरशिप, एक्सप्रेशन और कलेक्शन का भविष्य भी तय कर रहा है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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