Coinbase की Indian Crypto Market में कुछ बड़ा करने की प्लानिंग
भारत में Coinbase एक बार फिर बड़ी वापसी की तैयारी में है। इस बार कंपनी का फोकस केवल यूजर रजिस्ट्रेशन या पेमेंट गेटवे पर नहीं, बल्कि ब्लॉकचेन इनोवेशन, साइबर सिक्योरिटी और गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित है। हाल ही में कॉइनबेस के चीफ़ लीगल ऑफिसर Paul Grewal ने कर्नाटक के IT Minister Priyank Kharge से मुलाकात की। इस मीटिंग में भारत के टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा हुई।
क्या है Coinbase की नई रणनीति?
इस मुलाकात में Coinbase ने भारत, विशेष रूप से कर्नाटक राज्य के साथ डेवलपर टूल्स, ब्लॉकचेन ट्रेनिंग प्रोग्राम्स, साइबर सिक्योरिटी साझेदारी और जॉइंट हैकाथॉन जैसी पहल पर सहयोग की इच्छा जताई। खुद Grewal ने X पर कहा, “The future is onchain and it’s being built here.”

Source - यह इमेज Coinbase के चीफ टेक्निकल ऑफिसर की X Post से ली गई है।
खास बात ये है कि यह मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब भारत में COINS Act 2025 नामक एक नया ड्राफ्ट बिल चर्चा में है, जो भविष्य में क्रिप्टो रेगुलेशन का आधार बन सकता है।
Coinbase का स्ट्रेटेजिक मूव
एक क्रिप्टो एक्सपर्ट के तौर पर मैं मानता हूं कि Coinbase का यह रुख केवल PR या डेवेलपमेंट टूल्स तक सीमित नहीं है। यह एक स्ट्रेटेजिक मूव है जो भारत में Binance और अन्य घरेलू एक्सचेंजों की पकड़ को टक्कर दे सकता है। खासकर तब, जब CoinDCX और WazirX जैसे बड़े भारतीय एक्सचेंजों पर हैकिंग अटैक हुए, जिससे यूज़र्स के मन में सुरक्षा को लेकर चिंता गहराई है।
WazirX Hack और CoinDCX Hack जैसे मामलों ने यह साबित कर दिया है कि सिर्फ बड़े नाम या ब्रांड सुरक्षित ट्रेडिंग का पर्याय नहीं हैं। इस माहौल में अगर कॉइनबेस एक ट्रस्टेड, रेगुलेटेड और सिक्योर प्लेटफॉर्म बनकर वापसी करता है, तो यह भारतीय यूज़र्स के लिए एक नया विकल्प बन सकता है।
क्या Coinbase WazirX और CoinDCX को रिप्लेस करना चाहता है?
जब से भारत में इन दोनों बड़े एक्सचेंजों की सिक्योरिटी पर सवाल उठे हैं, तब से यूज़र्स सेफ और ट्रांसपेरेंट ऑप्शन की तलाश में हैं। Binance की भारत में स्थिति भी जटिल है, क्योंकि उसके WazirX के साथ कनेक्शन को लेकर अक्सर विवाद खड़े होते हैं।
ऐसे में कॉइनबेस की वापसी भारतीय क्रिप्टो मार्केट का गेमचेंजर बन सकती है। क्योंकि Coinbase एक ऐसी कंपनी जो अमेरिका में पब्लिकली लिस्टेड है और जिसके पास मजबूत लीगल बैकअप और रेगुलेटरी एक्सपीरियंस है।
कॉइनबेस अगर भारत में सरकार के साथ मिलकर ब्लॉकचेन इनफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सिक्योरिटी, और डेवलपर स्किल बिल्डिंग पर काम करता है, तो यह केवल एक एक्सचेंज की वापसी नहीं बल्कि पूरे डिजिटल भारत की ब्लॉकचेन फाउंडेशन को मजबूत करने की दिशा में कदम होगा।
क्रिप्टो यूज़र्स क्या चाहते हैं?
एक क्रिप्टो ट्रेडर होने के अपने एक्सपीरियंस से मैं यह कह सकता हूँ कि आज का भारतीय क्रिप्टो यूज़र न केवल प्रॉफिट चाहता है, बल्कि सिक्योरिटी, ट्रांसपेरेंसी और रेगुलेटरी ट्रस्ट भी चाहता है। Coinbase के पास ये सब चीज़ें देने की क्षमता है। वह यूजर्स को जो सुविधा दे सकता है उनमें शामिल हैं
- अमेरिका में रेगुलेटेड एक्सचेंज
- सिक्योर वॉलेट इंटीग्रेशन
- स्ट्रॉन्ग कस्टमर सपोर्ट
- इंटरनेशनल ट्रैक रिकॉर्ड
कॉइनबेस यदि भारत सरकार और कर्नाटक जैसे राज्यों के साथ मिलकर काम करता है, तो यह घरेलू एक्सचेंजों के लिए एक नई चुनौती हो सकती है।
Coinbase की वापसी भारत के लिए क्यों मायने रखती है?
Coinbase का भारत में फिर से एक्टिव होना, सिर्फ एक एक्सचेंज की वापसी नहीं, बल्कि एक ग्लोबल ब्लॉकचेन लीडर का भारत को टेक पार्टनर मानने का संकेत है। अगर यह रणनीति सही दिशा में आगे बढ़ती है, तो भारत को ब्लॉकचेन इनोवेशन में बढ़त मिलेगी, यूज़र्स को मिलेगा ज्यादा सुरक्षित विकल्प, देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में नया आयाम जुड़ेगा।
Coinbase यदि सही से कदम रखता है, तो यह Binance, WazirX, CoinDCX जैसे एक्सचेंजों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होगा और भारत को क्रिप्टो सेक्टर में एक नई पहचान मिल सकती है।
डिस्क्लेमर - सुरक्षा से जुड़ा खतरा हर क्रिप्टो एक्सचेंज के साथ होता है, इसलिए किसी भी एक्सचेंज से जुड़ने से पहले DYOR जरूर करें।