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Delhi High Court ने Crypto Fraud मामले में सुनाया बड़ा फैसला

भारत की राजधानी दिल्ली से एक बड़ा लीगल अपडेट सामने आया है। Delhi High Court ने Crypto Fraud मामले में आरोपी की जमानत याचिका रद्द कर दी है। इस डिसीजन को डिजिटल फाइनेंस और लॉ  के बीच बढ़ते कॉन्फ्लिक्ट का एग्जांपल माना जा रहा है।

आरोपी पर आरोप हैं कि उसने एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्मेंट प्लानिंग के तहत कई लोगों से करोड़ों रुपये का फ्रॉड किया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता, सबूतों और सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए यह जमानत याचिका रद्द की। इस डिसीजन के साथ Delhi High Court ने यह संकेत दिया है कि, देश का जस्टिस सिस्टम डिजिटल क्राइम्स के प्रति अब ज्यादा अलर्ट और सेंसिटिव हो चुका है।

वही Delhi High Court के फैसले के बाद वर्मा ने तर्क दिया कि उनका इन्वेस्टर्स को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था, उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने यह बिजनेस शुरू किया था, तब कोई अवैधता नहीं थी और सरकार द्वारा अचानक क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से वे “भारी मुनाफे में” आ गए।

Delhi High Court

Source – Crypto India X Post

क्रिप्टो के नाम पर किया करोड़ों का खेल

मिली इनफार्मेशन के अकॉर्डिंग आरोपी Umesh Verma ने एक क्रिप्टो इन्वेस्मेंट प्लान लॉन्च किया था, जो हाई रिटर्न का वादा करती था। सोशल मीडिया प्रचार, व्हाट्सएप ग्रुप्स और वेबसाइट्स के माध्यम से उसने बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स को जोड़ा।

पीड़ितों ने आरोप लगाया कि शुरुआत में उन्हें कुछ प्रॉफिट दिखाया गया ताकि उनका भरोसा जीता जा सके।  लेकिन बाद में अचानक टोकन की वैल्यू गिरा दी गई और पैसे निकालने का ऑप्शन क्लोज कर दिया गया। पीड़ितों के शिकायत बाद Umesh Verma को दिसंबर 2020 में अरेस्ट किया गया था जो अंतरिम जमानत पर था। कोर्ट ने आरोपी को इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर या ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का इंस्ट्रक्शन दिया। 

Enforcement Directorate और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने आरोपी के अगेंस्ट कई सबूत जमा किए, जिसमें वॉलेट ट्रांजेक्शन्स, फर्जी वेबसाइट और दूसरों के नाम पर खरीदे गए डिजिटल एसेट्स शामिल थे। कोर्ट ने इन्हीं सबूतों के बेस पर यह माना कि आरोपी को ज़मानत देने से जांच और जस्टिस प्रोसेस पर इफ़ेक्ट पड़ सकता है।

एक मिसाल बना सकता है यह डिसीजन 

एक क्रिप्टो एनालिस्ट और डिजिटल फाइनेंस पर नजर रखने वाले व्यक्ति के रूप में मेरा मानना है कि Delhi High Court का यह डिसीजन एक एग्जांपल बन सकता है।

आज जब क्रिप्टो स्पेस तेजी से बढ़ रहा है, वहीं फ्रॉड के इंसिडेंट भी उतने ही तेज़ी से सामने आ रहे हैं।  हाल ही में 11 जून को, ऑपरेशन Chakra-V के तहत कार्यवाई करते हुए CBI ने Crypto Fraud Syndicate को पकड़ा। जो अमेरिकी और कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाकर ठगी की घटना को अंजाम दे रहा था। इसके बाद भी क्रिप्टो के नाम पर काम करने वाली कई कंपनियां और टोकन्स अब भी बिना किसी रेगुलेशन के चल रहे हैं। ऐसे में अगर न्यायालय सक्रियता नहीं दिखाता, तो जनता का विश्वास इस नई टेक्नोलॉजी से उठ सकता है।

कन्क्लूजन

Delhi High Court का यह डिसीजन केवल एक आरोपी की जमानत याचिका को रद्द करना नहीं है, बल्कि एक बड़ा संकेत है कि अब भारत का जस्टिस सिस्टम डिजिटल ठगों को छोड़ने वाला नहीं है। ज्यूडिशियरी की यह एक्टिविज्म न सिर्फ फ्यूचर में होने वाले क्रिप्टो फ्रॉड्स को रोकने में मदद करेगी, बल्कि इन्वेस्टर्स को भी अधिक जागरूक और सतर्क बनाएगी।

जैसे-जैसे भारत में डिजिटल करेंसी का दायरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ऐसे मामलों में लीगल क्लैरिटी और स्ट्रिक्टनेस बेहद ज़रूरी हो गई है। और इस डायरेक्शन में Delhi High Court का यह  डिसीजन एक मजबूत और साहसी कदम है। Delhi High Court का यह डिसीजन डिजिटल क्राइम्स के प्रति न्याय व्यवस्था की गंभीरता को दर्शाता है और क्रिप्टो फ्रॉड से निपटने में सख्ती की ज़रूरत को रेखांकित करता है।

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