दुनियाभर में बढ़ रहे क्रिप्टो ट्रेडिंग फ्रॉड, भारत पहले नंबर पर: MEXC
क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज भारत समेत दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही इससे जुड़े खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में क्रिप्टो एक्सचेंज MEXC ने ट्रेडिंग फ्रॉड को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि MECX पर 2025 के पहले क्वार्टर में 80,000 से ज्यादा क्रिप्टो फ्रॉड सामने आये हैं, जिनमें से 33% केवल भारत में हुए हैं। इन ट्रेडिंग फ्रॉड को फर्जी अकाउंट्स, बॉट्स और ऑर्गेनाइज्ड स्कैमिंग नेटवर्क का इस्तेमाल करके अंजाम दिया गया है। यह रिपोर्ट भारत में क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट के बढ़ते रिस्क की ओर इशारा कर रही है।

Source:MEXC
क्यों बढ़ रहे हैं ट्रेडिंग फ्रॉड: नए टोकन और कम फीस बढ़ा रहे हैं जोखिम
MEXC ने इन बढ़ते हुए फ्रॉड के पीछे दो प्रमुख कारण बताए हैं। पहला, एक्सचेंज ने हाल ही में कम पॉपुलर मार्केट के नए टोकन लिस्ट किए, जिससे बड़ी संख्या में नए यूज़र्स और स्कैमर्स दोनों आकर्षित हुए। दूसरा, MEXC की लो ट्रेडिंग फीस ने भी नए इन्वेस्टर्स को प्लेटफार्म की और आकर्षित किया जिनमे ऐसे भी लोग शामिल थे जो निगरानी की कमी का फायदा उठा कर फ्रॉड जैसी गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे ज्यादा 27,000 से ज्यादा संदिग्ध अकाउंट्स पाए गए हैं। इसके बाद CIS देशों में 6,400 और इंडोनेशिया में करीब 5,600 संदिग्ध अकाउंट्स रिपोर्ट हुए हैं। खासतौर पर इंडोनेशिया में 2024 के लास्ट क्वार्टर की तुलना में इस तरह के एकाउंट्स की संख्या में 1,300% की बढ़ोतरी देखी गई है, जो कि बेहद चिंताजनक है। MEXC की रिपोर्ट बताती है कि इन क्षेत्रों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक्साइटमेंट तो बहुत है, लेकिन सेफ ट्रेडिंग की जानकारी की भारी कमी है।
कानून की कमी बनी चिंता: भारत में नहीं है क्रिप्टो के लिए स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अब तक कोई स्पष्ट और डेडिकेटेड कानून नहीं बना है। इस वजह से इन्वेस्टर्स को यह नहीं समझ आता कि किस प्लेटफॉर्म पर भरोसा करें और कौन सी एक्टिविटी उन्हें फ्रॉड का शिकार बना सकती है। रेगुलेशन की इस कमी का फायदा स्कैमर्स उठाते हैं, जो बिना किसी डर के लोगों को ठगते हैं। MEXC की रिपोर्ट हमें सबक देती है की भारत में क्रिप्टो को लेकर मजबूत लीगल फ्रेमवर्क होता, तो ऐसे फ्रॉड को रोकना आसान होता और इन्वेस्टर्स का भरोसा भी बना रहता।
कम फाइनेंशियल लिटरेसी और सोशल मीडिया स्कैम्स बढ़ा रहे हैं खतरा
भारत में फाइनेंशियल अवेयरनेस की स्थिति भी इस समस्या को और गंभीर बना रही है। फरवरी 2025 में भारत के नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 27% भारतीय एडल्ट ही फाइनेंशियल मैनेजमेंट की बेसिक जानकारी रखते हैं। मिलेनियल्स में ये आंकड़ा और भी गिरकर केवल 19% रह जाता है। MEXC की रिपोर्ट यह इशारा करती है कि इसी फाइनेंशियल लिटरेसी की कमी के कारण भारत क्रिप्टो ट्रेडिंग फ्रॉड का गढ़ बनता जा रहा है।
भारत में ज़्यादातर लोग क्रिप्टो ट्रेडिंग के बारे में Telegram, YouTube और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जानकारी ले रहे हैं, जहां अक्सर फर्जी एक्सपर्ट्स लोगों को ‘सीक्रेट टिप्स’ और ‘फास्ट रिटर्न’ के नाम पर इन्वेस्टमेंट के लिए उकसाते हैं। लेकिन हकीकत में इनमे से अधिकांश स्कीम क्रिप्टो फ्रॉड की और ले जाती है।
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ऐसे स्कैम्स से कैसे बचें: सतर्कता और सही जानकारी है ज़रूरी
MEXC का यह खुलासा दिखाता है कि क्रिप्टो यूज़र्स को ट्रेडिंग के दौरान, ट्रेडिंग फ्रॉड से बचने के लिए अवेयर रहना बहुत जरुरी है। इन्वेस्टर्स को हमेशा KYC-वेरीफाइड और रेगुलेटेड एक्सचेंज का ही उपयोग करें। किसी भी अनजान लिंक, सोशल मीडिया टिप्स या ‘सीक्रेट स्कीम’ से दूरी बनाए रखें। इन्वेस्टमेंट से पहले खुद रिसर्च करें और कभी भी लालच को अपने इन्वेस्टमेंट का आधार न बनाएं।
कन्क्लूज़न
क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही क्रिप्टो ट्रेडिंग फ्रॉड भी उसी रफ़्तार से बढ़ रहे हैं। MEXC की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि सिक्योर ट्रेडिंग के लिए केवल मार्केट की जानकारी रखना काफी नहीं है। एक और जहाँ एक्सचेंजेस को सिक्योरिटी बढ़ानी होगी, वहीं यह रिपोर्ट इन्वेस्टर्स को भी यह सबक देती है की सही जानकारी और सतर्कता के साथ ट्रेडिंग करना कितना जरुरी है।
इसके साथ ही यह रिपोर्ट भारत जैसे देशों के लिए भी सबक है कि उन्हें अपने सिटिज़न की इकोनोमिक सिक्योरिटी के लिए जल्द से जल्द क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ऐसा लीगल फ्रेमवर्क लाना चाहिए, जो क्रिप्टो ट्रेडिंग फ्रॉड जैसी गतिविधियों को रोक सके और इन्वेस्टर्स का ट्रस्ट बना रहे।