Indian National Blockchain Framework, Land Records होंगे सिक्योर
भारत सरकार अब Indian National Blockchain Framework के तहत देश की सबसे महत्वपूर्ण प्रणालियों को ब्लॉकचेन से जोड़ रही है। इसमें लैंड रिकॉर्ड्स, सप्लाई चेन और डिजिटल कॉमर्स सेक्टर शामिल हैं। इस कदम का मकसद है गवर्नेंस को पूरी तरह इम्यूटेबल और ट्रांसपेरेंट बनाना।
यह जानकारी आधिकारिक तौर पर Ministry of Electronics and Information Technology (MeitY) ने कन्फर्म की है। खास बात यह है कि भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो रहा है, जो Blockchain Technology को सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि कोर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा मान रहे हैं।
Chandigarh में पायलट प्रोजेक्ट शुरू, ब्लॉकचेन से सुरक्षित होंगे लैंड रिकॉर्ड्स
भारत सरकार ने सबसे पहले Chandigarh में “Land Stack” फ्रेमवर्क के तहत एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य है बिखरे और असंगत लैंड रिकॉर्ड्स को यूनिफाइड डेटाबेस में लाना है।
साथ ही रिकॉर्ड्स को ऐसा बनाना कि उनमें बिना डिजिटल ट्रेल के कोई बदलाव संभव न हो। इसे साथ ही फ्रेमवर्क का मुख्य उद्देश्य लैंड ओनरशिप को पूरी तरह ट्रांसपेरेंट और टैम्पर-प्रूफ बनाना। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे पूरे भारत के राज्यों में रेफरेंस मॉडल के तौर पर लागू किया जा सकता है।

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Karnataka High Court का आदेश, Blockchain अब Legal Imperative
केवल सरकार ही नहीं, जुडिशरी भी ब्लॉकचेन पर भरोसा जता रही है। हाल ही में Karnataka High Court ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह एक ऐसा टैम्पर प्रूफ लैंड डेटा प्लेटफ़ॉर्म तैयार करे जो ब्लॉकचेन जैसी टेक्नोलॉजी से सिक्योर हो।
यह निर्देश इसलिए आया क्योंकि लैंड ट्रांजैक्शन्स में धोखाधड़ी से जुड़े क्लेम्स और गायब दस्तावेज़ों की समस्या बढ़ रही थी। साथ ही मामले को लेकर लोग बार-बार कोर्ट की शरण ले रहे थे। इस तरह के करप्शन और डिस्प्यूट्स से आम जनता का भरोसा टूट रहा था। इस कदम से यह साफ हो गया कि ब्लॉकचेन अब केवल पॉलिसी एक्सपेरीमेंट नहीं बल्कि क़ानूनी आवश्यकता बन चुका है।
State-Level Experiments, Dantewada और Telangana से सीख
- Dantewada (Chhattisgarh) - यहां हाल ही में ऐतिहासिक लैंड रिकॉर्ड्स को Avalanche Blockchain पर सिक्योर किया गया। इसका मकसद था पुराने डॉक्यूमेंट्स को टैम्परिंग से बचाना।
- Telangana (Dharani Portal) - Dharani Portal को शुरुआत में टैम्पर प्रूफ बताया गया था, लेकिन बाद में इसे कई ऑडिट्स और लीगल चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यह एक चेतावनी है कि ब्लॉकचेन इम्प्लीमेंटेशन करते समय सही डिज़ाइन और रेगुलेटरी ओवरसाइट बेहद जरूरी है।
Indian National Blockchain Framework और Vishvasya Tech Stack
भारत सरकार ने सिर्फ पायलट तक ही खुद को सीमित नहीं किया है। अब Indian National Blockchain Framework को Vishvasya-Blockchain Technology Stack का सपोर्ट मिल रहा है।
यह एक तरह का Blockchain-as-a-Service Platform है जो सरकारी डेटा सेंटर्स पर रन कर रहा है। इससे स्टेट गवर्नमेंट्स को सप्लाई चेन, फार्मा, एग्रीकल्चर और फूड डिस्ट्रीब्यूशन जैसी सर्विसेज़ में ट्रांसपेरेंसी लाने में मदद मिल रही है।
Digital Identity और Blockchain का लिंक
भारत का डिजिटल आइडेंटिटी लेयर भी अब तेजी से ब्लॉकचेन से जुड़ रहा है। जहाँ Aadhaar Face Authentication ने हाल ही में 200 करोड़ ट्रांजैक्शन पार किए और सिर्फ 6 महीने में यह संख्या दोगुनी हो गई। वेलफेयर स्कीम्स, डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन कॉमर्स में ब्लॉकचेन बेस्ड वेरिफिकेशन भरोसा और सिक्योरिटी दोनों बढ़ा रहा है।

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Indian National Blockchain Framework के फायदे, क्यों खास है इंडियन यूज़र्स के लिए?
- लैंड रिकॉर्ड्स सिक्योरिटी - यूजर्स को अपने प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स के फ्रॉड या खो जाने का डर नहीं रहेगा।
- सप्लाई चेन ट्रांसपेरेंसी - मेडिसिन, फूड और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स की असली क्वालिटी ट्रैक करना आसान होगा।
- डिजिटल कॉमर्स में ट्रस्ट - ऑनलाइन बिज़नेस और पेमेंट्स में फेक ट्रांजैक्शन्स का रिस्क घटेगा।
- कानूनी मान्यता - जब कोर्ट भी ब्लॉकचेन को अपनाने को कह रहा है तो इससे लोगों का भरोसा और मजबूत होगा।
- नेशनल लेवल पर इंटीग्रेशन - अलग-अलग राज्यों के डेटा को इंटीग्रेटेड करके एक भरोसेमंद National Land Database तैयार किया जा सकता है।
गेम-चेंजर साबित हो सकता है Indian National Blockchain Framework
मैं पिछले 13 सालो से बतौर राइटर देश दुनिया की खबरों को कवर कर रहा हूँ और बीते 3 साल से Blockchain Technology पर आर्टिकल लिख रहा हूँ, मेरे अनुभव में, भारत जैसे बड़े और विविध देश में लैंड रिकॉर्ड्स का विवाद सबसे जटिल मुद्दों में से एक रहा है। मैंने कई बार देखा है कि लोग अपने ही खेत या घर के कागज़ों को लेकर सालों तक कोर्ट-कचहरी में फंसे रहते हैं।
अगर Indian National Blockchain Framework सही तरीके से लागू होता है, तो यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह लोगों के समय और पैसे दोनों की बचत करेगा। इसे प्रॉपर्टी डीलिंग में ट्रांसपेरेंसी आएगी। इतना ही नहीं सबसे बड़ी बात, आम नागरिक को यह भरोसा मिलेगा कि उनके डॉक्यूमेंट्स कभी भी छेड़े नहीं जा सकते।
मेरी राय में, सरकार को Indian National Blockchain Framework के सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट्स तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि जल्द ही एक स्टेट-लेवल से नेशनल-लेवल स्केलेबल मॉडल तैयार करना चाहिए।
Blockchain और Digital Economy: आगे का रास्ता
- भारत की डिजिटल इकॉनमी पहले ही GDP का 11.74% यानी ₹31 लाख करोड़ से ज्यादा का योगदान कर रही है।
- यह 2030 तक 20% तक पहुंचने का अनुमान है।
- केवल UPI ने अप्रैल 2025 में करीब ₹25 लाख करोड़ के ट्रांजैक्शन्स प्रोसेस किए।
- वहीं ब्लॉकचेन मार्केट खुद 2025 तक $4.3 बिलियन का हो सकता है, जिसकी ग्रोथ रेट 47% से ज्यादा है।
इससे साफ है कि भारत केवल ब्लॉकचेन पर एक्सपेरिमेंट नहीं कर रहा बल्कि इसे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की रीढ़ बना रहा है।
कन्क्लूजन
Indian National Blockchain Framework भारत को एक नए डिजिटल एरा में ले जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट्स, हाई कोर्ट के आदेश और MeitY की स्ट्रेटजी से यह साफ है कि सरकार ब्लॉकचेन को सिर्फ रिकॉर्ड-कीपिंग टूल नहीं मान रही, बल्कि इसे ट्रस्ट और ट्रांसपेरेंसी की नई रीढ़ के रूप में देख रही है।
अगर यह सफलतापूर्वक लागू होता है, तो आने वाले समय में भारत दुनिया के उन अग्रणी देशों में गिना जाएगा जो ब्लॉकचेन को गवर्नेंस और डिजिटल इकॉनमी के कोर में ले आए।
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल आपको एजुकेट करने के लिए है, किसी भी जानकारी पर पूर्ण विश्वास करने से पहले रिसर्च अवश्य करें।