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SEBI का बयान, Crypto Assets न Securities है न ही Derivatives

SEBI ने Crypto Assets को किया Securities और Derivatives से अलग

भारत की Crypto Industry के लिए एक बड़ा अपडेट सामने आया है। SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने हाल ही में एक ऑफिशियल डॉक्यूमेंट जारी कर यह स्पष्ट किया है कि Crypto Assets यानी Virtual Digital Assets (VDAs) न तो Securities की केटेगरी में आते हैं और न ही Derivatives की। इसका सीधा मतलब यह है कि इन पर SEBI का कोई नियामक अधिकार नहीं है। 

यह डॉक्यूमेंट 10 सितंबर 2025 को जारी हुआ और इसमें साफ लिखा गया है कि वर्तमान भारतीय कानूनों के तहत Crypto Assets SEBI के दायरे से बाहर हैं। कुछ समय पहले भी यह खबर सामने आयी थी की भारत सरकार Cryptocurrency पर जल्द कानून बना सकती है। लेकिन SEBI के इस बयान के बाद सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि अब भारत में Crypto Policy बनाने और लागू करने की ज़िम्मेदारी किस आर्गेनाइजेशन की होगी? 

SEBI का बयान, Crypto Assets न Securities है न ही Derivatives

Source: यह इमेज Crypto India की X पोस्ट से ली गई है। जिसकी लिंक यहां दी गई है।

नियामक शून्य, क्रिप्टो इंडस्ट्री पर बढ़ती चिंता

SEBI के इस कदम से एक तरह का रेगुलेटरी वैक्यूम बन गया है। वित्त मंत्रालय (MoF), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), BSE, NSE और वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) सभी इस मुद्दे पर चुप हैं। ऐसे में कंपनियाँ और निवेशक दोनों असमंजस में हैं।

2024 की Chainalysis रिपोर्ट के मुताबिक, Indian Virtual Digital Assets Market लगभग $10.7 बिलियन का है। इतने बड़े मार्केट के बावजूद यदि कोई स्पष्ट रेगुलेशन न हो, तो निवेशकों के लिए जोखिम और भी बढ़ जाता है।

भारत क्यों है ग्लोबल Crypto Regulation से अलग?

दुनिया के कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी पर अपने-अपने नियम बना लिए हैं। अमेरिका में SEC ने कई टोकन्स को Securities घोषित किया है और इस पर कानूनी लड़ाइयाँ भी चली हैं, जैसे कि SEC vs Ripple Case, हालाँकि अब SEC से लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार Ripple Lawsuit End हो गया है। इसी तरह, इंटरनेशनल लेवल पर FATF ने 2019 में वर्चुअल एसेट्स पर गाइडलाइंस जारी की थीं। 

लेकिन भारत की स्थिति इनसे अलग है। यहाँ टैक्सेशन तो है, लेकिन निगरानी नहीं। 2022 में सरकार ने Digital Assets पर 31% टैक्स लागू किया था, जो अब भी जारी है। इसका मतलब है कि सरकार इनकम तो कलेक्ट कर रही है, लेकिन निवेशकों की सुरक्षा या मार्केट रेगुलेशन पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।

धोखाधड़ी और जोखिम, निवेशकों के लिए खतरे की घंटी

रेगुलेशन की कमी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि निवेशक ठगी और फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं। 2023 में UNODC रिपोर्ट ने बताया था कि दुनिया भर में लगभग $1.9 बिलियन के क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड हुए। भारत भी इससे बचा नहीं है।

हाल ही में, 28 सितंबर 2025 को दिल्ली पुलिस ने एक केस दर्ज किया जिसमें करीब ₹34 लाख का फ्रॉड एक क्रिप्टो निवेशक के साथ हुआ। यह घटना साफ दिखाती है कि जब तक Virtual Digital Assets पर स्पष्ट कानून नहीं बनते, निवेशकों को सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल सकती।

भारत की क्रिप्टो पॉलिसी, उतार-चढ़ाव भरा सफर

भारत में क्रिप्टो पॉलिसी का सफर काफी उलझा रहा है। 2021 में RBI ने Cryptocurrency पर बैन लगाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद 2022 में सरकार ने टैक्स का स्ट्रक्चर लागू किया, जिससे क्रिप्टो ट्रेडिंग तो जारी रही, लेकिन निवेशकों के लिए स्पष्ट नियम नहीं बने। अब 2025 में SEBI ने साफ कर दिया है कि Cryptocurrency पर उनका कोई अधिकार नहीं है। इससे पता चलता है कि भारत धीरे-धीरे Crypto को एक फाइनेंशियल सच्चाई के रूप में स्वीकार कर रहा है, लेकिन अभी भी इसके लिए कोई ठोस नियामक दिशा तय नहीं हुई है।

आगे का रास्ता, कौन तय करेगा ?

सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब VDAs की पॉलिसी कौन बनाएगा? एनालिस्ट का मानना है कि यह जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय (MoF) को उठानी पड़ सकती है। RBI भी इसमें अहम भूमिका निभा सकता है क्योंकि Crypto का सीधा असर मोनेटरी पॉलिसीज और बैंकिंग सिस्टम पर पड़ता है।

फिलहाल स्थिति यह है कि टैक्स जारी है, ट्रेडिंग लीगल है लेकिन रेगुलेशन नहीं है। इससे कंपनियाँ भी कन्फ्यूज हैं और निवेशक भी।

मेरा 7 साल के Cryptocurrency के एक्सपीरियंस के बेसिस पर मेरा मानना है कि SEBI का यह बयान इंडस्ट्री के लिए टर्निंग पॉइंट है। अभी टैक्स है लेकिन रेगुलेशन नहीं, इसलिए निवेशकों और कंपनियों को सावधानी से कदम रखना चाहिए। मेरा एक्सपीरियंस बताता है कि बिना स्पष्ट नियम के मार्केट में फ्रॉड का खतरा हमेशा बना रहता है।

कन्क्लूजन 

SEBI का हालिया बयान भारत की Crypto Industry के लिए एक टर्निंग पॉइंट हो सकता है। अब जबकि VDAs को SEBI ने अपने दायरे से बाहर कर दिया है, आने वाले महीनों में यह देखना इंटरेस्टिंग होगा कि क्या वित्त मंत्रालय या RBI इस पर कोई ठोस कानून लेकर आते हैं। जब तक कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं बनती, तब तक निवेशकों और कंपनियों को सावधानी से कदम उठाने होंगे।

Akansha Vyas

आकांक्षा व्यास एक स्किल्ड क्रिप्टो राइटर हैं, जिनके पास 7 वर्षों का अनुभव है और वे ब्लॉकचेन और Web3 के कॉम्पलेक्स टॉपिक्स को सरल और समझने योग्य बनाने में एक्सपर्ट हैं। वे डीप रिसर्च के साथ आर्टिकल्स, ब्लॉग और न्यूज़ लिखती हैं, जिनमें SEO पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि रीडर्स का जुड़ाव बढ़ सके।

आकांक्षा की राइटिंग क्रिएटिव एक्सप्रेशन और एनालिटिकल अप्रोच का एक बेहतरीन मिश्रण है, जो रीडर्स को जटिल विषयों को स्पष्टता के साथ समझने में मदद करता है। क्रिप्टो स्पेस के प्रति उनकी गहरी रुचि उन्हें इस उद्योग में एक अच्छे राइटर के रूप में स्थापित कर रही है। अपने कंटेंट के माध्यम से, उनका उद्देश्य रीडर्स को क्रिप्टो की तेजी से बदलती दुनिया में गाइड करना है।

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SEBI ने स्पष्ट किया है कि Crypto Assets न तो Securities हैं और न ही Derivatives।
नहीं, SEBI के अनुसार Crypto Assets उनके नियामक दायरे से बाहर हैं।
सरकार ने 2022 में Crypto Assets पर 31% टैक्स लागू किया है।
अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन वित्त मंत्रालय (MoF) और RBI इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
भारत में टैक्स तो है लेकिन निगरानी और स्पष्ट नियम नहीं हैं, जबकि अन्य देशों में SEC जैसी संस्थाएं सक्रिय हैं।
हां, ट्रेडिंग लीगल है लेकिन अभी तक रेगुलेशन स्पष्ट नहीं है।
रेगुलेशन की कमी के कारण निवेशक ठगी और फ्रॉड के जोखिम में हैं।
2024 की Chainalysis रिपोर्ट के अनुसार भारत का Crypto Assets मार्केट लगभग $10.7 बिलियन का है।
यह टर्निंग पॉइंट है क्योंकि अब Crypto Assets उनके दायरे से बाहर हैं, जिससे पॉलिसी बनाने का दबाव अन्य एजेंसियों पर बढ़ा।
वित्त मंत्रालय और RBI इस पर कोई ठोस कानून ला सकते हैं, लेकिन फिलहाल स्थिति अनिश्चित है।