भारत की GDP बूम के बाद Stablecoins पर क्यों टिकी सबकी नज़र
क्या Stablecoins भारत की डिजिटल फाइनेंस दुनिया में गेमचेंजर साबित होगा
भारत ने हाल ही में $4 ट्रिलियन की ऐतिहासिक GDP पार कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। Sumit Gupta ने X अकाउंट पर ट्वीट कर कहा की, देश का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र बने। इस दिशा में फाइनेंशियल इनोवेशन की अहम भूमिका है। खासकर Stablecoins जैसे डिजिटल क्रिप्टो टूल्स देश के इकोनॉमिक स्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने, रेमिटेंस और ट्रांज़ैक्शन को तेज़ और सस्ता बनाने में मदद कर सकते हैं, जिससे डेवलपमेंट की स्पीड और बढ़ेगी।
Source: यह इमेज Sumit Gupta (CoinDCX) की X पोस्ट से ली गई है। जिसकी लिंक यहां दी गई है।
भारत की डिजिटल फाइनेंस यात्रा और अगला कदम
पिछले कुछ सालों में भारत ने डिजिटल पेमेंट्स में बड़ी तरक्की की है। UPI और Aadhaar जैसे सिस्टम ने देश को कैशलेस बनाने में मदद की है। अब अगला कदम है Stablecoins जैसी टेक्नोलॉजी को सही तरीके से अपनाना। ये टेक्नोलॉजी ट्रेडिशनल बैंकिंग की सीमाओं को तोड़ सकती है और फास्ट, सुरक्षित ट्रांज़ैक्शन संभव बना सकती है।
Stablecoins से रेमिटेंस में अरबों डॉलर की बचत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस रिसीवर देश है। हर साल माइग्रेंट लगभग $130 बिलियन डॉलर भेजते हैं। अब तक इस पर 6-7% फीस लगती थी और पैसे पहुंचने में कई दिन लगते थे। Stablecoins के जरिए यह काम मिनटों में और 1% से भी कम फीस में हो सकता है। इससे न केवल लोगों का पैसा बचेगा बल्कि देश की फाइनेंशियल सिस्टम भी मजबूत होगी।
निर्मला सीतारमण का संकेत
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दुनिया में हो रहे आर्थिक बदलाव के बीच देशों को दो में से एक रास्ता चुनना होगा या नई टेक्नोलॉजी अपनाना जैसे Stablecoins । यह संकेत देता है कि भारत को Crypto और Blockchain को अपनी फाइनेंशियल पॉलिसी में शामिल करने पर ध्यान देना चाहिए।
Stablecoins क्या हैं और क्यों जरूरी हैं?
Stablecoins डिजिटल टोकन हैं जो किसी रियल करेंसी जैसे डॉलर या रुपये से जुड़े रहते हैं। यह क्रिप्टो की तेजी और ट्रांसपेरेंसी तो रखते हैं, लेकिन अस्थिरता को कम करते हैं। भारत जैसे देश में यह माइक्रो लेंडिंग, सरकारी सब्सिडी और सामाजिक योजनाओं में भी मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, स्टेबलकॉइन्स से सरकार सीधे बेनेफिशर्स के अकाउंट में पैसा भेज सकती है और फंड ट्रैक भी कर सकती है।
पॉलिसी और पायलट प्रोजेक्ट्स से बदलाव
भारत में अभी क्रिप्टो को लेकर नियम पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन अगर सरकार नियंत्रित पायलट प्रोजेक्ट्स चलाए, जैसे स्टेबलकॉइन्स को UPI और Aadhaar से जोड़ना, तो इससे फाइनेंशियल ट्रांसपेरेंसी और इन्क्लूज़न दोनों बढ़ सकते हैं।
2047 तक Stablecoins की भूमिका
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की $4 ट्रिलियन GDP को दोगुना करने के लिए डिजिटल सिस्टम को मजबूत करना जरूरी है। स्टेबलकॉइन्स इस काम में मदद कर सकते हैं और ट्रेडिशनल बैंकिंग और क्रिप्टो के बीच की दूरी को कम कर सकते हैं।
ग्लोबल ट्रेंड और भारत का मौका
दुनिया के कई देशों जैसे सिंगापुर, यूके और जापान पहले ही Stablecoins पर काम कर रहे हैं। अगर भारत भी इसे समय रहते अपनाता है, तो रेमिटेंस, सरकारी पेमेंट्स, ट्रैड और एक्सपोर्ट सेक्टर में बड़ा बदलाव आएगा।
मेरे 7 साल के फाइनेंशियल और क्रिप्टो अनुभव के आधार पर, Stablecoins भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को मजबूत और ट्रांसपेरेंट बनाने में रिवोल्यूशनरी साबित हो सकते हैं। यह न केवल रेमिटेंस और पेमेंट्स को तेज़ बनाएगा, बल्कि फाइनेंशियल इन्क्लूजन और सरकारी योजनाओं की दक्षता भी बढ़ाएगा। मेरा मानना है कि भारत को इसे जल्द अपनाना चाहिए।
कन्क्लूजन
जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल मनी की ओर बढ़ रही है, भारत के लिए यह समय Stablecoins को अपनाने का सही अवसर है। इससे न केवल ट्रांज़ैक्शन तेज़ और कम खर्चीला होगा, बल्कि फाइनेंशियल सिस्टम और ट्रांसपेरेंट बनेगा। करोड़ों भारतीयों को लिक्विडेट और सेफ ट्रांज़ैक्शन सुविधा मिलेगी। Stablecoins अपनाने से भारत का डिजिटल इकोसिस्टम मजबूत होगा और यह देश के 2047 तक डेवलप राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।