सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को Bitcoin Trading को लेकर एक सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने Bitcoin को ‘रिफाइंड हवाला’ करार देते हुए केंद्र सरकार को भी घेरा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी आखिर देश में अभी तक वर्चुअल करेंसी के लिए स्पष्ट नियम क्यों नहीं बनाए गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को शैलेश बाबूलाल भट्ट के केस जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, उसी दौरान यह सख्त टिप्पणी की। आपको बता दें कि शैलेश बाबूलाल भट्ट को अवैध तरीके से Bitcoin ट्रांसजेक्शन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बीते साल अगस्त 204 से शैलेश भट्ट जेल में बंद है। शैलेश पर आरोप है कि उन्होंने अवैध रूप से बिटकॉइन का ट्रांसजेक्शन किया। जब इस मामले में सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट द्वारा शैलेश की जमानत नामंजूर हो गई थी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। शैलेश बाबूलाल भट्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि Bitcoin पर अभी तक देश में कोई भी स्पष्ट कानून न होने के कारण किसी को अपराधी ठहराना गलत है।
एडवोकेट मुकुल रोहतगी की इस दलील पर जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 2 साल पहले एक ऐसे ही मामले में केंद्र सरकार से Virtual Currency पर पॉलिसी स्पष्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन अभी तक कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी किए गए हैं। बेंच ने कहा कि ऐसे में कानूनी अनिश्चितता या पॉलिसी के अभाव में अपराधों को बढ़ावा मिलेगा।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने ये भी दलील दी कि भारत में बिटकॉइन ट्रेडिंग अवैध नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही RBI के प्रतिबंधात्मक सर्कुलर को रद्द कर चुका है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मुझे Bitcoin के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन ये समझ में आता है कि कुछ असली होते हैं, कुछ नकली।"
इस पर वकील रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि बिटकॉइन की कीमत बहुत ज्यादा है और इससे कोई व्यक्ति विदेश में जाकर 1 Bitcoin से लक्जरी कार खरीद सकता है। वहीं गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वे इस मामले में अपनी विस्तृत जवाब दाखिल करना चाहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और प्रवर्तन निदेशालय को 10 दिन का समय दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
दुनियाभर में कई सरकारें और नियामक संस्थाएं जहां क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियम कानून बनाने के साथ-साथ क्रिप्टो रिजर्व भी तैयार कर रही है, वहीं दूसरी ओर भारत में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्रिप्टो पॉलिसी को लेकर काफी ज्यादा असमंजस में है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी तक कोई भी स्प्ष्ट नियम या गाइडलाइन तैयार नहीं की गई है। साल 2018 में RBI ने क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में खारिज कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाया है, लेकिन इसके बावजूद अभी नियमों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। Crypto Tax को लेकर वित्तमंत्री ने क्या बात कही थी, इस बारे में यहां विस्तार से पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने एक बार फिर भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चल रही अनिश्चितता को उजागर किया है। इसको लेकर भारत में केंद्र सरकार जब तक कोई स्पष्ट कानून नहीं तैयार कर लेती, तब तक निवेशकों और आम नागरिकों के लिए जोखिम बना रहेगा। Bitcoin और अन्य Virtual Currency पर नियम बनाना अब समय की मांग है, लेकिन केंद्र सरकार भी इस दिशा में फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रही है, ताकि कानून, व्यापार और तकनीक तीनों एक संतुलित दिशा में आगे बढ़ सकें।
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