Crypto Bubble क्या है, जानिए इसके ट्रेंड में होने का कारण
Crypto Bubble कैसे बनता है?
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इनिशियल हाइप : नई क्रिप्टोकरेंसी की घोषणा होती है और उसके स्पेशल फीचर्स के बारे में चर्चा शुरू होती है। यह हाइप इन्वेस्टर्स का ध्यान आकर्षित करता है।
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एस्टिमेटेड इन्वेस्टमेंट : जब लोग यह सोचते हैं कि उन्हें तेजी से प्रॉफिट मिलेगा, तो वे क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने लगते हैं।
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मीडिया अटेंशन : जब किसी क्रिप्टो की कीमत तेजी से बढ़ती है, तो मीडिया उस पर ध्यान देती है। यह FOMO बढ़ाता है, जिससे और अधिक लोग खरीदारी करते हैं।
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अनरियल एक्साइटमेंट : इन्वेस्टर्स का उत्साह कीमतों को उनकी एक्चुअल वैल्यू से ऊपर ले जाता है, जिससे एक बबल बनता है।
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बबल बर्स्टिंग : जब कीमतें अचानक गिरने लगती हैं, तो यह बबल फटने का संकेत होता है जिससे इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान हो सकता है।
Crypto Bubble के वॉर्निंग साइन्स
- हाई ट्रेड वॉल्यूम: यदि किसी क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेड वॉल्यूम अचानक बढ़ता है, तो यह इमोशनल ट्रेड का संकेत हो सकता है।
- मार्केट कैपिटलाइज़ेशन: यदि मार्केट कैप एक्चुअल वैल्यू से अधिक बढ़ती है, तो यह बबल बनने का संकेत है।
- एक्सट्रीम वोलैटिलिटी: कीमतों में तेजी से बदलाव भी स्पेक्युलेशन का संकेत है।
- फियर और ग्रीड इंडेक्स: यह इंडेक्स जब एक्सट्रीम फियर या ग्रीड दिखाता है, तो यह इमोशनल मार्केट का संकेत हो सकता है।
- मार्जिन ट्रेडिंग में वृद्धि: यदि मार्जिन ट्रेडिंग में अचानक वृद्धि होती है, तो यह स्पेक्युलेटिव एक्टिविटीज़ को दर्शाता है।