Smart Contract क्या हैं जो बनाते है Blockchain को स्केलेबल
आज की डिजिटल दुनिया में जहां हर ट्रांज़ैक्शन, एग्रीमेंट और डेटा शेयरिंग फ़ास्ट, सिक्योर और ट्रांसपेरेंट होना एक जरुरत बन गयी है, वहां Smart Contracts एक गेम-चेंजर टेक्नोलॉजी बनकर उभरे हैं। ये ऐसे सेल्फ-एक्जीक्यूटिंग डिजिटल एग्रीमेंट होते हैं जो बिना किसी मैनुअल इंटरवेंशन के, सिर्फ कोड और लॉजिक के आधार पर काम करते हैं। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ने ट्रांजैक्शन प्रोसेस में भरोसे को एक प्रोग्रामेबल फीचर बना दिया है। चाहे वह DeFi हो या NFT, सप्लाई चेन हो या हेल्थकेयर, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स हर उस सेक्टर में क्रांति ला रहे हैं जहाँ डेटा, ट्रांसपेरेंसी और ट्रस्ट की जरूरत है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझने वाले हैं कि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं, इसके फायदे और जोखिम क्या हैं और आने वाले समय में इनकी भूमिका क्या हो सकती है?
Smart Contract क्या होता है?
किसी ब्लॉकचेन के लिए Smart Contract एक ऐसा डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमे वो सभी टर्म्स और कंडीशन लिखी होती है, जिनके पूरा होने के बाद ही उस ब्लॉकचेन पर कोई ट्रांज़ैक्शन कम्पलीट हो सकता है। इन टर्म्स के पूरा होते ही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आटोमेटिकली एक्सीक्यूट हो जाते हैं।
तो क्या कोई ब्लॉकचेन बिना Smart Contracts के भी काम कर सकती है?
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ब्लॉकचेन की यूटिलिटी को बढ़ाते हैं और ब्लॉकचेन वो आधार प्रोवाइड करती है जिस पर Smart Contracts प्रोग्राम रन हो सके।
आज भले ही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट किसी ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट की नींव माने जाने लगे हो लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin या हाल फिलहाल में चर्चा में रहे Dogecoin के लिए कोई स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ही नहीं है। इसके कारण इनकी यूटिलिटी को बढ़ाना संभव नहीं है। तो सवाल बनता है की जब दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी का कोई Smart Contract नहीं है तो फिर यह Blockchain Technology से कब और कैसे जुड़े?
Vitalik Buterin और उनका Bitcoin को स्मार्टफ़ोन बनाने का सपना
साल 2013 में, Bitcoin Magazine के लिए काम करते हुए Vitalik Buterin ने दर्जनों ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट्स का गहराई से अध्ययन किया। उस समय तक Bitcoin सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद ब्लॉकचेन बन चुका था, लेकिन Vitalik को इसमें एक अहम कमी महसूस हुई। उन्होंने Bitcoin के बारे में लिखा:
“Bitcoin is like a calculator, it does one thing well. But I wanted something like a smartphone.”
उनके अनुसार, Bitcoin सिर्फ एक ट्रांजैक्शन रिकॉर्डिंग टूल बनकर रह गया था। अगर किसी व्यक्ति को कोड के जरिए कोई शर्त तय करनी हो जैसे, “पेमेंट होते ही डिजिटल सर्विस एक्टिव हो जाए” तो Bitcoin में इसकी कोई सुविधा नहीं थी। Vitalik ने जब इस कमी को दूर करने की बात की, तो Bitcoin Developers ने बदलाव के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके बाद उन्होंने खुद आगे बढ़कर Ethereum बनाया, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो सिर्फ करेंसी ट्रांजैक्शन ही नहीं बल्कि Programmable Logic को भी सपोर्ट करता है।
Ethereum ने “ब्लॉकचेन का स्मार्टफोन” बनने का सपना पूरा किया। इसने Blockchain की दुनिया को Smart Contracts से जोड़ा, ऐसे डिजिटल एग्रीमेंट्स जो कोड की शर्तों के मुताबिक खुद-ब-खुद एक्सिक्यूट होते हैं, वो भी बिना किसी बिचौलिए के। NFT से लेकर DeFi, DAO से लेकर गवर्नेंस तक Smart Contracts ने Blockchain की क्षमताओं को Redefine कर दिया है।
इन कॉन्ट्रैक्ट्स को रन करवाने के लिए विशेष डिजिटल एनवायरमेंट की जरुरत होती है, Ethereum Virtual Machine (EVM) से सबसे पहले ऐसा एनवायरमेंट क्रिएट किया गया, जिसमें स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को रन किए जा सके। इसके कारण डेवलपर्स डिसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन (DApps) बनाने में सफल हो पाए।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे काम करता है?
Smart Contracts ‘if-then’ लॉजिक पर काम करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई खरीदार किसी NFT को खरीदने के लिए प्लेटफार्म पर पेमेंट करता है, तो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट उस ख़रीदार को उस NFT की आटोमेटिक एक्सेस दे देता है। यह सब कुछ ब्लॉकचेन नेटवर्क पर होता है जिससे डेटा सिक्योर और ट्रांसपेरेंट रहता है। मतलब ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स मिलकर किसी प्रोजेक्ट को सिक्योर, आटोमेटिक और ट्रस्टलेस बनाते हैं।
Solidity, Rust, Javascript, Vyper, Yul, Golang, Clarity आदि लैंग्वेज का उपयोग Smart Contract की कोडिंग के लिए होता है, इसमें Solidity सबसे इम्पोर्टेन्ट हैं क्योंकि Ethereum, Polkadot, Tron, Avalanche, Uniswap जैसी सभी इम्पोर्टेन्ट ब्लॉकचेन में इसी का उपयोग हुआ है।
आइये जानते हैं Solidity क्या है? क्यों इसे Smart Contract की लैंग्वेज कहा जाता है,
Solidity एक ऐसी हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जो Ethereum स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए बनाई गई है। इस लैंग्वेज का कांसेप्ट Gavin Wood ने दिया था और Ethereum की टीम ने इसे और डेवेलप किया, वर्तमान में Solidity एक तरह से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की लैंग्वेज का ही पर्याय बन गयी है। यह JavaScript के साथ सिमिलेरिटी रखती है और डेवलपर्स के लिए आसान और फ्लेक्सिबल ऑप्शन प्रोवाइड करवाती है। इससे डेवलपर्स सिक्योर और पावरफुल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स लिख सकते हैं।
Smart Contract के इम्पोर्टेन्ट फीचर्स
- ऑटोमेशन: किसी ट्रांज़ैक्शन में मिडिलमेन की जरुरत नहीं पढ़ती जिससे पूरी प्रोसेस फ़ास्ट और करप्शन फ्री हो जाती है।
- ट्रांसपेरेंसी: सभी कंडीशन और एग्जीक्यूशन पब्लिक ब्लॉकचेन पर देखे जा सकते हैं।
- सिक्योरिटी: एक बार डिप्लॉय होने के बाद कोड बदला नहीं जा सकता, जिससे इसकी सिक्योरिटी ब्रीच करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
Smart Contract का उपयोग किन-किन क्षेत्रों में होता है?
Vitalik का Ethereum के साथ स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट जोड़ने का कारण था की वे ब्लॉकचेन पर होने वाले किसी भी ट्रांज़ैक्शन में मिडिलमेन नहीं चाहते थे, यही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का बेसिक यूज़ है, यह,
- किसी ट्रांज़ैक्शन के एग्जीक्यूशन को प्रोजेक्ट और यूजर के बीच ही रखता है।
- प्रोजेक्ट और यूजर की पहुँच की सीमाओं को समाप्त कर देता है।
- करप्शन फ्री और मैनीपुलेशन फ्री सिस्टम विकसित करता है।
इसी कारण से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का यूज़ धीरे-धीरे लगभग हर क्षेत्र में सामने आ रहा है, जिनमे से कुछ इम्पोर्टेन्ट हैं,
फाइनेंशियल सर्विसेज (DeFi), NFT ट्रेडिंग, हेल्थकेयर डेटा मैनेजमेंट, सप्लाई चेन ट्रैकिंग, इंश्योरेंस क्लेम की प्रोसेसिंग, वोटिंग सिस्टम और डिजिटल आइडेंटिटी सिस्टम (Example- the World) जैसे सेक्टर्स में किया जा रहा है। DeFi में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग लैंडिंग, स्टेकिंग और टोकन स्वैप जैसी सर्विसेज को ऑटोमेट करने में किया जाता है। NFT सेक्टर में ये कॉन्ट्रैक्ट डिजिटल एसेट्स की ओनरशिप और रॉयल्टी को ट्रैक करने के लिए यूज़ किये जाते हैं। DAO जैसी संस्थाएं भी अपने गवर्नेंस के लिए स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का सहारा लेती हैं।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के लाभ
- ट्रांज़ैक्शन फ़ास्ट और अफोर्डेबल बनते हैं।
- ट्रांसपेरेंट और वेरिफायबल प्रोसेस।
- ग्लोबल स्केलेबल ट्रस्ट सिस्टम।
लिमिटेशन:
- कोडिंग की गलतियों से बड़ा नुकसान हो सकता है।
- एक बार डिप्लॉय होने के बाद बदलाव संभव नहीं होता।
- सिक्योरिटी ऑडिट का खर्च और आवश्यकता।
- कानूनी स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स की संभावनाएं
भविष्य में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का विस्तार DeFi से आगे रियल एस्टेट, हेल्थ से लेकर लीगल डॉक्यूमेंटेशन तक में होने वाला है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स गवर्मेंट सिस्टम में टैक्स कलेक्शन, वेलफेयर डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसपेरेंट गवर्नेंस को आसान और ज्यादा एफिशिएंट बना सकते हैं।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट जिन्होंने भरोसे को कोड में बदल दिया
एक ज़माना था जब समझौते हाथ मिलाकर होते थे, फिर वकीलों और कागज़ों पर आए। और अब हम एक ऐसे दौर में हैं जहाँ सिर्फ कोड ही काफी है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ने उस भरोसे को री-कोड किया है, जो पहले लोगों और इंस्टीट्यूशन की नीयत पर टिका था लेकिन अब यह एक प्रोग्रामेबल ऑप्शन बन चुका है।
Vitalik ने एक कमी महसूस की और एक आइडिया से दुनिया बदल देने वाला प्लेटफॉर्म बना दिया। उसी आइडिया ने यह साबित किया कि टेक्नोलॉजी सिर्फ टूल नहीं होती, वो सोचने का तरीका बदल सकती है। शायद आने वाले कल में हम हर इंटरैक्शन में कहेंगे “Its on the contract” और वो कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ काग़ज़ नहीं, कोड में होगा, भरोसे के साथ।