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Staking क्या होता है और इससे कैसे पैसिव इनकम जनरेट होती है

आज के डिजिटल दौर में लोग ऐसी इनकम की तलाश में रहते हैं जिसमें रिस्क कम हो लेकिन रिटर्न अच्छा मिले। अगर आपके पास कुछ Ethereum, Solana या अन्य Cryptocurrency है और आप उसे बिना बेचे उससे कमाई करना चाहते हैं, तो Staking आपके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। स्टैकिंग का मतलब है अपनी क्रिप्टोकरेंसी को किसी ब्लॉकचेन नेटवर्क में लॉक करना, जिससे आप नेटवर्क की सिक्योरिटी और ऑपरेशन में पार्टिसिपेट कर सकें और बदले में रिवार्ड्स अर्न  करें।

क्रिप्टो स्टैकिंग न केवल पैसिव इनकम जनरेट करने का एक स्मार्ट तरीका है, बल्कि यह एक ऐसा रास्ता भी है जिससे आप Web3 वर्ल्ड में बिना टेक्निकल नॉलेज होते हुए भी अपना योगदान दे सकते हैं।

Staking कैसे काम करती है?

स्टैकिंग की प्रोसेस Proof-of-Stake (PoS) और इनके वैरिएंट पर आधारित Consensus Mechanism पर काम करती है। इसमें नेटवर्क में वैलिडेटर बनने के लिए यूज़र्स अपने टोकन को एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा लॉक करता है। Validator का काम ट्रांज़ैक्शन वेरिफ़ाई करना और नए Blocks डिप्लॉय करना होता है और इसके बदले में उसे रिवार्ड्स दिए जाते हैं।

स्टैकिंग की प्रोसेस के इम्पोर्टेन्ट स्टेप्स:

  • टोकन लॉक करना: उदाहरण के लिए, Ethereum नेटवर्क में वैलिडेटर बनने के लिए 32 ETH की आवश्यकता होती है। इससे कम ETH होने पर स्टैकिंग पूल के माध्यम से क्रिप्टो लॉक किए जा सकते हैं।
  • Validator Selection: नेटवर्क वैलिडेटर को Stake किए गए टोकन और रैंडम चॉइस के आधार पर चुनता है।
  • Rewards और Penalties: इस तरह से टोकन को लॉक करने पर Stake करने वाले इन्वेस्टर और Validator को रिवार्ड्स दिए जाते हैं। लेकिन अगर कोई Validator ऑफलाइन रहता है या गलत इनफार्मेशन वेरिफ़ाई करता है, तो उस पर Slashing Penalty भी लगती है, जिससे उसके स्टैक किए गए टोकन में से डिडक्ट किया जाता है।

स्टैकिंग से Passive Income कैसे मिलती है?

Crypto Staking एक ऐसा ऑप्शन है जिसमें आप सिर्फ टोकन होल्ड करके भी कमाई कर सकते हैं। ऐसे कई Staking Tool और Staking Calculator उपलब्ध हैं जो पोटेंशियल रिटर्न का अनुमान लगाने में मदद करते हैं।

Rewards Structure:

  • Rewards आमतौर पर APY (Annual Percentage Yield) या APR (Annual Percentage Rate) के रूप में मिलते हैं।
  • यह रिटर्न नेटवर्क के परफोर्मेंस, टोकन की डिमांड-सप्लाई और स्टैकिंग के पीरियड पर डिपेंड करता है।

Staking Pools:

छोटे इन्वेस्टर्स के लिए Staking Pool एक आइडियल ऑप्शन है, और कई Crypto Platform यह फैसिलिटी उपलब्ध करवाते हैं।

स्टैकिंग के प्रकार: Direct vs Delegated Staking
  • Direct Staking: जैसे Ethereum Validator बनने के लिए 32 ETH और स्पेशल हार्डवेयर की आवश्यकता होती है। यह तरीका एडवांस यूज़र्स के लिए सही है।
  • Delegated Staking: इसमें आप अपने स्टैक किए गए टोकन को किसी Validator को प्रोवाइड कर देते हैं। यह बिगिनर के लिए अधिक आसान होता है।
टाइपडिस्क्रिप्शन आवश्यकताएँफीचर
Direct Stakingखुद Validator Node रन करना टेक्निकल नॉलेज, हार्डवेयरज्यादा कंट्रोल, ज्यादा रिस्क, ज्यादा रिवॉर्ड
Delegated Stakingकिसी Validator को टोकन प्रोवाइड करनाकम टेक्निकल  नॉलेजआसान, कम रिस्क, रिवॉर्ड Validator के साथ शेयर किया जाता है 
स्टैकिंग कहाँ की जा सकती है?

आज मार्केट में कई तरह के Crypto Staking Platforms और DeFi Staking Platform अवेलेबल हैं, जिनमें से कुछ पॉपुलर ऑप्शन हैं:

  • Non-custodial Wallets: जैसे Trust Wallet, Phantom, Solflare, यहां आप अपने टोकन का पूरा कंट्रोल रखते हैं।
  • Centralized Exchanges: जैसे Binance, Coinbase, Kraken, ये बिगिनर्स के लिए Staking-as-a-service ऑफर करते हैं।
  • Staking Pools: जैसे Lido, Rocket Pool, Aave, यह DeFi Staking Platform माइक्रो स्टेकर्स के लिए सही होते हैं।

प्लेटफार्म का चुनाव करते समय ध्यान देने योग्य बातें:

  • APY कितना मिल रहा है?
  • क्रिप्टोकरेंसी की कम्पेटिबिलिटी कैसी है?
  • सिस्टम की सिक्योरिटी कैसी है?
  • यूज़र एक्सपीरियंस कैसा है?
स्टैकिंग से जुड़े रिस्क

हालांकि स्टैकिंग कम रिस्क में इनकम जनरेट करने का तरीका दिखाई देता है, लेकिन इसमें कुछ इम्पोर्टेन्ट रिस्कन भी शामिल होते हैं:

  • मार्केट रिस्क: टोकन की कीमत गिरने पर, रिवॉर्ड की रियल वेल्यू कम हो सकती है। उदाहरण के लिए अगर आपने 100 टोकन स्टेक किए, लेकिन मूल्य में 20% गिरावट आ गई, तो आपका रिवॉर्ड वास्तव में कम हो जाएगा।
  • लिक्विडिटी रिस्क: स्टेक किए गए टोकन एक तय समय तक लॉक रहते हैं। जैसे Ethereum को Unstake करने में कई दिन लग सकते हैं।
  • Slashing रिस्क: Validator के ऑफलाइन रहने या गलत ब्लॉक वेरिफ़ाई करने पर Slashing का रिस्क होता है। जैसे, Cosmos नेटवर्क में Slashing होने पर 5% तक टोकन कट जाते हैं।
  • Smart Contract Vulnerability: अगर आप DeFi Staking Platform पर स्टेक करते हैं और उसमें कोई बग या हैक होने पर, तो स्टैक किए गए फंड्स के चोरी हो जाने का रिस्क रहता है। जैसे, Poly Network hack में $600 मिलियन चोरी हुए थे।
  • Platform Risk: कम भरोसेमंद Staking Tool चुनने से आपका फंड खतरे में पड़ सकता है।
Staking और Mining में क्या अंतर है?
फीचरStaking (PoS)Mining (PoW)
Consensusप्रूफ-ऑफ-स्टेकप्रूफ-ऑफ-वर्क
Resourcesटोकन होल्डिंग्सकंप्यूटिंग हार्डवेयर
Energyबहुत कमबहुत अधिक
Technical Skillकमज्यादा
Entry Barrierकम (Delegation से आसान)ज्यादा
Rewardsएस्टीमेटेड और स्टेबल कॉम्पिटिशन बेस्ड
Environmentalग्रीन टेक्नोलॉजीज्यादा एनर्जी कंसम्पशन

Staking, Mining की तुलना में ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट और एक्सेसिबल है। यही कारण है कि Ethereum जैसे बड़े नेटवर्क ने भी Mining से Staking पर स्विच किया और जिसके बाद एनर्जी कंसम्पशन 99% तक कम हो गया।

भारत में Crypto Staking Rewards पर टैक्स

भारत में स्टैकिंग रिवार्ड्स और उन्हे बेचना दोनों टैक्सेबल माने जाते हैं।

  • स्टैकिंग रिवार्ड्स: इन्हें “Income from Other Sources” के अंतर्गत शामिल किया जाता है और आपकी Income Slab के अनुसार इनपर टैक्स लगता है।
  • Staked Coins की बिक्री: इस पर 30% फ्लैट टैक्स (साथ में 4% Cess) लगता है और नुकसान को ऑफसेट नहीं किया जा सकता है।
  • TDS: हर ट्रांज़ैक्शन पर 1% TDS लगाया गया है, चाहे आपका ट्रांज़ैक्शन एक्सचेंज से हुआ हो या Peer-to-Peer।
  • Reporting: सभी रिवार्ड्स और बिक्री को ITR में रिपोर्ट करना ज़रूरी है।

इस तरह से हम समझ सकते हैं की क्रिप्टो में स्टैकिंग का मतलब केवल रिवार्ड्स अर्न करना नहीं है, बल्कि यह ब्लॉकचेन नेटवर्क में पार्टिसिपेशन से भी जुड़ा है। चाहे आप Validator बनें या Staking Pool के द्वारा पार्टिसिपेट करें, स्टैकिंग से पैसिव इनकम पाने का एक जरिया तो है ही। लेकिन किसी भी इन्वेस्टमेंट की तरह इसमें भी समझदारी, सही प्लेटफार्म सिलेक्शन और टैक्स रूल्स का पालन ज़रूरी है।

सही प्लानिंग के साथ Staking एक स्टेबल और फ्यूचर ड्रिवेन क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट का ऑप्शन बन सकती है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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