BJP नेता की Bitcoin Reserve की मांग, क्या हैं संकेत
दुनिया में डिजिटल एसेट्स को लेकर तेजी से बदलाव आ रहा है। अमेरिका, भूटान जैसे देश न केवल क्रिप्टो को स्वीकार कर रहे हैं, बल्कि Bitcoin Reserve जैसी रणनीतियों को खुलकर अपनाकर अपने इकोनॉमिक फ्यूचर को सुरक्षित करने में लगे हैं। अब इसी राह पर भारत भी बढ़ता दिख रहा है, खासकर जब Bharatiya Janata Party (BJP) के National Spokesperson Pradeep Bhandari ने केंद्र सरकार से Bitcoin Reserve बनाने का आग्रह किया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका Bitcoin को अपनी बैलेंस शीट में शामिल कर रहा है और अन्य देश भी अरबों डॉलर की क्रिप्टो असेट्स इकट्ठा कर चुके हैं।
Bitcoin Reserve को लेकर क्या कहा BJP स्पोकपर्सन ने?
Pradeep Bhandari ने अपनी X में कहा, “यह कोई लापरवाह निर्णय नहीं है, बल्कि डिजिटल असेट्स की वैधता को स्वीकारने की एक सोच-समझकर की गई पहल है।” उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ग्लोबल लैंडस्केप में अब डिजिटल एसेट्स को लेकर धारणा स्थायी रूप से बदल चुकी है। अमेरिका द्वारा जब्त किए गए 200,000 Bitcoin को नेशनल रिजर्व में बदलने का उदाहरण देते हुए BJP नेता ने भारत को भी रणनीतिक तौर पर तैयार रहने की सलाह दी।
वह इस पहल को केवल आर्थिक नहीं बल्कि एक जियोपॉलिटिकल संदेश भी मानते हैं, जो यह दर्शाता है कि यदि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था Bitcoin को अपनाती है, तो अन्य देशों के लिए भी यह रास्ता खोलता है।

भारत की वर्तमान स्थिति, अस्पष्ट नीतियाँ और बढ़ता दबाव
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति अब भी जटिल है। एक ओर सरकार ने क्रिप्टो प्रॉफिट पर 30% टैक्स और 1% TDS लागू किया है, वहीं दूसरी ओर कोई क्लियर रेगुलेटरी पॉलिसी मौजूद नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर सवाल उठा चुका है कि जब टैक्स लिया जा रहा है, तो इसे रेगुलेट क्यों नहीं किया जा रहा। वित्त मंत्रालय ने जून 2025 तक क्रिप्टो पॉलिसी लाने की बात कही थी, लेकिन अब जून के अंत तक भी कोई स्पष्ट योजना सामने नहीं आई है।
कहा यह जा रहा है कि FIU-India इस दिशा में काम कर रहा है। FIU-India द्वारा बनाए जा रहे इस Cryptocurrency India Law को लेकर यूजर्स को बड़ी उम्मीद है।
फिलहाल RBI चुप है, लेकिन पहले वह अनरेगुलेटेड क्रिप्टो को लेकर रिस्क पर चिंता जाहिर कर चुका है। इस बीच IMF द्वारा Bitcoin को कैपिटल एसेट के रूप में रिक्लासिफाइड करने के बाद ग्लोबल लेवल पर पॉलिसी मेकिंग तेज़ हो गयी है।
इन सभी बातो से संभावनाएं बनती है कि भारत सरकार जरुरी ही क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर कोई बड़ी योजना पर कार्य कर रही है।
इस बयान से क्या मिलते हैं संकेत?
BJP प्रवक्ता के बयान से दो प्रमुख संकेत निकलकर सामने आते हैं। पहला, सरकार के भीतर अब ऐसे विचारक सक्रिय हैं जो क्रिप्टो को केवल बैटिंग नहीं बल्कि संभावनाओं से भरा हुआ एसेट क्लास मानते हैं। दूसरा, भारत यदि अभी निर्णायक कदम नहीं उठाता तो वह आने वाले फाइनेंशियल ऑर्डर में एक दर्शक भर बनकर रह जाएगा।
भूटान जैसे छोटे देश ने जलविद्युत से Bitcoin Mining कर $1B+ का फंड बना लिया है, जिससे वे ग्रीन प्रोजेक्ट्स और पब्लिक सर्विसेज चला रहे हैं। भारत, जिसके पास कहीं अधिक रिन्यूएबल कैपेसिटी है, एक बड़े स्केल पर यह मॉडल अपना सकता है।
Bitcoin Reserve न केवल इकोनॉमिक सेफ्टी नेट बन सकता है, बल्कि भारत के टेक्नोलॉजिकल और इनोवेशन एजेंडा को भी मजबूती देगा।
क्या भारत तैयार है?
लम्बे समय से मैं भारत के क्रिप्टो स्टैंड को कवर कर रहा हूँ, जिसके आधार पर मेरा मानना है कि, भारत को अब “वेट एंड वॉच” की नीति छोड़कर “लीड एंड बिल्ड” की रणनीति अपनानी चाहिए। जब अमेरिका, चीन, रूस और ब्राज़ील जैसे देश अपने-अपने लेवल पर क्रिप्टो को लेकर इंस्टिट्यूटशनल डिसीजन ले रहे हैं, तो भारत को भी पीछे नहीं रहना चाहिए।
BJP प्रवक्ता का बयान सरकार के दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत हो सकता है, लेकिन इसे केवल बयानों तक सीमित न रखकर पॉलिसी में रूपांतरित करना जरूरी है। अगर भारत जल्द ही Bitcoin Reserve जैसी योजना को लागू करता है, तो यह न केवल एक इकोनॉमिक सिक्योरिटी कवर होगा, बल्कि ग्लोबल लेवल पर भारत की डिजिटल स्थिति को भी मज़बूत करेगा।
कन्क्लूजन
फिलहाल, Bitcoin Reserve भारत के लिए सिर्फ एक प्रस्ताव है, लेकिन यह उस दिशा की ओर इशारा करता है जहाँ दुनिया जा रही है। अमेरिका जब डिजिटल गोल्ड स्टॉक कर रहा है और भूटान जैसा देश अपनी सीमित क्षमता के बावजूद क्रिप्टो से प्रॉफिट अर्न कर रहा है, तो भारत को अब यह तय करना होगा कि वह इस ग्लोबल ट्रेंड का आर्किटेक्ट बनना चाहता है या सिर्फ एक दर्शक।
पॉलिसी बनाने की खिड़की खुली है, लेकिन यह हमेशा के लिए नहीं खुली रहेगी। अब वक्त है, जब भारत को स्पष्ट दिशा के साथ आगे बढ़कर Bitcoin Reserve की अवधारणा को साकार रूप देना चाहिए।