Blockchain Architecture: क्या है, इसके प्रकार और मैकेनिज्म
सोचिए अगर कोई ऐसा सिस्टम हो जहां न कोई सरकार हो, न कोर्ट-कचहरी, न ही किसी तरह की पुलिस की ज़रूरत फिर भी सब कुछ परफेक्टली ऑर्गनाइज हो। हर बात अपने आप वेरीफाई हो, कोई झूठ या चोरी मुमकिन ही न हो और पूरी व्यवस्था जीरो करप्शन मॉडल पर काम करे।
ऐसी व्यवस्था की जैसे रामराज्य आ गया हो जहाँ किसी के साथ कोई भेदभाव न हो, हर काम में ट्रांसपेरेंसी हो और नियम अपने आप लागू होते हों, बिना डर, दबाव या देरी के।भले ही फिज़िकल वर्ल्ड में फिलहाल यह करना संभव न हो, लेकिन कम से कम ऐसा मॉडल Web की दुनिया में आ चुका है जिसे कहा जाता है, Blockchain Architecture।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि Blockchain Architecture में क्या शामिल होता है, यह कैसे काम करता है, कितने प्रकार के होते हैं, विस्तार से।
Blockchain Architecture के कॉम्पोनेन्ट
यह एक लैयर्ड सिस्टम होता है, जो पाँच प्रमुख कॉम्पोनेन्ट से मिलकर बनता है:
- Data Layer: ट्रांजैक्शन और ब्लॉक्स की संरचना, क्रिप्टोग्राफ़िक सिक्योरिटी
- Network Layer: नोड्स के बीच P2P कम्युनिकेशन और डेटा ट्रांसफर
- Consensus Layer: नेटवर्क का डिसिजन मेकिंग सिस्टम (जैसे PoW, PoS)
- Smart Contract Layer: ऑटोमेटेड रेगुलेशन, जो खुद-ब-खुद इम्प्लीमेंट होते हैं
- Application Layer: यूज़र इंटरफेस, dApps, वालेट और उनके रियल वर्ल्ड यूज़ केस
इन कंपोनेंट्स के फंक्शन हम कुछ इस तरह से समझ सकते हैं, मान लीजिये Blockchain Architecture एक शहर है तो,
- ब्लॉक्स, बिल्डिंग्स हैं जहाँ हर ट्रांजैक्शन स्टोर किया जाता है और सुरक्षित रहता है, यही Data Layer है।
- नेटवर्क, इसमें सड़क हैं जिनमें डाटा और इनफार्मेशन फ्लो होती है, यही Network Layer का फंक्शन है।
- Consensus Layer की तुलना हम किस अथॉरिटी से कर सकते हैं जो यह निर्णय लेती है कि क्या सही है और क्या नहीं।
- Smart Contractकी तुलना शहर के सिस्टम से की जा सकती है जो बिना किसी डिले या भेदभाव के सभी के लिए एक जैसे नियम लागू करता है और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करता है।
- और इन सबसे ऊपर शहर में केवल व्यवस्था नहीं, बल्कि लोग और इकोनोमी भी चाहिए जैसे सिटिज़न, बैंक, बीमा, वोटिंग, गेम्स आदि। ये सब काम करते हैं dApps (Decentralized Applications) जो ब्लॉकचेन को सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, एक पूरा इकोसिस्टम बनाते हैं।
Blockchain Architecture के प्रकार
वैसे Blockchain Architecture का क्लासिफिकेशन के बहुत से आधार होते हैं लेकिन हम इस ब्लॉग में 2 आधारों पर इसे शामिल कर रहे हैं, फंक्शन के आधार पर देखा जाए तो ब्लॉकचेन आर्किटेक्चर 4 प्रकार के होते हैं- Public, Private, Consortium और Hybrid। यह सभी कण्ट्रोल के लेवल और सिक्योरिटी रिक्वायरमेंट्स के अनुसार उपयोग किए जाते हैं।
Public Blockchain
यह पूरी तरह से ओपन और परमिशनलेस होती है। इसमें कोई भी व्यक्ति नोड बनाकर नेटवर्क में पार्टिसिपेशन कर सकता है, ट्रांजैक्शन देख सकता है और खुद भी नए ब्लॉक जोड़ने की प्रोसेस में भाग ले सकता है। यह पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड होता है और इसमें डाटा भी सभी के लिए एक्सेसिबल होता है।
इसमें Proof of Work (Bitcoin) या Proof of Stake (Ethereum 2.0) जैसे Open Consensus Algorithms का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से क्रिप्टोकरेंसी , ओपन फाइनेंशियल सिस्टम और पब्लिक सर्विस जैसे वोटिंग या पब्लिक रिकॉर्ड मैकेनिज्म में होता है।
Private Blockchain
यह एक ऐसा नेटवर्क होता है, जिसमें केवल चुने हुए पार्टिसिपेंट्स को ही डाटा एक्सेस करने, ट्रांजैक्शन करने और ब्लॉक जोड़ने की परमिशन होती है। यह आमतौर पर किसी एक आर्गेनाईजेशन द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इसमें ट्रांसपेरेंसी की जगह एफिशिएंसी और प्राइवेसी को प्रायोरिटी दी जाती है। इसमें Consensus Mechanism फ़ास्ट होते हैं, क्योंकि पार्टिसिपेंट्स पहले से वेरिफाय होते हैं।
Hyperledger Fabric और Multichain जैसे प्रोजेक्ट्स प्राइवेट ब्लॉकचेन के उदाहरण हैं। इसका उपयोग कंपनियों द्वारा इंटरनल डाटा मैनेजमेंट, सप्लाई चेन ट्रैकिंग, ऑडिट सिस्टम और एंटरप्राइज एप्लीकेशन में किया जाता है।
Consortium Blockchain
यह एक ऐसा मॉडल है जिसमें एक से अधिक आर्गेनाईजेशन का एक साथ कंट्रोल होता है। यह न पूरी तरह से पब्लिक होती है और न पूरी तरह प्राइवेट, इसे Semi-decentralized कहा जा सकता है। इसमें आर्गेनाईजेशन नेटवर्क को ऑपरेट और कन्सेंसस मैकेनिज्म को साझा रूप से नियंत्रित करती हैं।
इसका उद्देश्य है, ऐसा ट्रस्ट बेस्ड सिस्टम बनाना जो एफिशिएंसी और डाटा प्राइवेसी के साथ डिसिजन मेकिंग को सक्षम बनाए। IBM Food Trust और Energy Web Chain जैसे नेटवर्क Consortium Blockchain मॉडल पर काम करते हैं। इसका इस्तेमाल आम तौर पर फाइनेंस, इंश्योरेंस, हेल्थकेयर और लोजिस्टिक जैसी इंडस्ट्रीज़ में किया जाता है।
Hybrid Blockchain
यह एक नया मॉडल है जो पब्लिक और प्राइवेट दोनों Blockchain Architecture के फंक्शन को मिलाकर बनाया गया है। इसमें कुछ डेटा पब्लिक होता है और कुछ डेटा को केवल ऑथोराइज यूज़र्स के लिए ही रखा जाता है। इस प्रकार का आर्किटेक्चर फ्लेक्सिबिलिटी प्रोवाइड करवाता है, जहाँ ट्रांसपेरेंसी और प्राइवेसी के बीच बैलेंस बनाया जा सकता है।
यह नेटवर्क विशेष रूप से उन सिस्टम्स के लिए उपयोगी होते हैं जहाँ कम्लायंस, प्राइवेसी और पब्लिक वेरिफिकेशन, तीनों की ज़रूरत होती है। XinFin (XDC) और Dragonchain जैसे प्रोजेक्ट्स हाइब्रिड आर्किटेक्चर के उदाहरण हैं। इसका उपयोग गवर्नमेंट सिस्टम, रेगुलेटेड फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म्स और आइडेंटिटी वेरिफिकेशन सिस्टम्स में हो रहा है।
ब्लॉकचेन के स्केलेबल बनाने के लिए इसमें लेयर्स जोड़ी जाती है, जिसके कारण Blockchain Architecture का एक नया क्लासिफिकेशन डेवलप हुआ है, जिसमे Monolithic Blockchain और Modular Blockchain शामिल है।
Monolithic vs Modular Blockchain Architecture
Monolithic Blockchain एक ऐसा आर्किटेक्चर होता है जिसमें ब्लॉकचेन के सभी कोर फंक्शन एक ही लेयर या एक ही नेटवर्क पर चलते हैं। इसमें हर नोड को पूरे सिस्टम का भार उठाना होता है:
- ट्रांजैक्शन को execute करता है
- ब्लॉक्स को validate करता है
- डाटा को स्टोर और प्रोपेगेट करता है
इसका मतलब है कि पूरा नेटवर्क इस तरह से इंटीग्रेटेड होता है कि कोई भी फंक्शन अलग से स्केलेबल नहीं हो पाता। Bitcoin, Ethereum, Solana जैसी बड़ी ब्लॉकचेन इसी मॉडल का उपयोग करती है।
मोनोलिथिक ब्लॉकचेन आसान और सिक्योरिटी के लिहाज से बेहतरीन होती हैं, लेकिन जैसे-जैसे यूज़र्स और ट्रांजैक्शन का लोड बढ़ता है, इनकी स्केलेबिलिटी एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
यही वजह है कि Modular Blockchain का कांसेप्ट डेवलप हुआ, जिसे Next-gen Blockchain Architecture भी कहा जाता है, Celestia और Polkadot ब्लॉकचेन इस मॉडल का उपयोग कर रही है।
Modular Blockchain एक ऐसा Blockchain Architecture है जहाँ ब्लॉकचेन के मुख्य फंक्शन जैसे ट्रांज़ैक्शन, कंसेंसस, डाटा अवेलेबिलिटी और सेटलमेंट को अलग-अलग लेयर्स में बांट दिया जाता है। इसमें शामिल की गयी हर लेयर अपने-अपने काम के हिसाब से तैयार की गयी होती है, जिससे Blockchain की स्केलेबिलिटी बढाई जा सके और ट्रांज़ैक्शन फ़ास्ट हो। मोडुलर सिस्टम को अधिक कस्टमाइजेबल बनाता है, जहाँ डेवलपर्स अपनी जरूरत के हिसाब से कंपोनेंट्स चुन सकते हैं, यह ब्लॉकचेन के फंक्शन और स्पीड को बढ़ा देता है।
ब्लॉकचेन का डिसेंट्रलाइज्ड आर्किटेक्चर ट्रेडिशनल आर्किटेक्चर में अंतर
वह Blockchain Architecture ही है जो इसे Immutable, Decentralize और Transparent बनाता है, जहाँ ट्रेडिशनल आर्किटेक्चर में मिडिलमैन को हटाना नामुमकिन है, वहीं स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और कंसेंसस मैकेनिज्म जैसे सिस्टम इसे पूरी तरह से Peer-to-peer बना देते हैं। जिसके कारण ब्लॉकचेन का सिस्टम ट्रेडिशनल सिस्टम से ज्यादा अफोर्डेबल, फास्ट और रिलाएबल बन जाता है।
इस तरह हम समझ सकते हैं कि Blockchain Architecture केवल टेक्निकल डिजाइन भर नहीं है, यह एक नई सोच है, ऐसी सोच जो सेंट्रलाइजेशन से हटकर ट्रस्टलेस, ऑटोमेटेड और ट्रांसपेरेंट सिस्टम की नीव रखती है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी डेवलप हो रही है, हम देख रहे हैं कि Monolithic से Modular सिस्टम की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रही है, क्योंकि आज फ्लेक्सिबिलिटी और स्केलेबिलिटी की ज़रूरत है।
आने वाले समय में, जो आर्गेनाइजेशन और डेवलपर इस आर्किटेक्चर को समझकर सही दिशा में इम्प्लीमेंट करेंगे, वही Web3 की असली ताकत को अनलॉक कर पाएंगे।