$240M Crypto Investment Fraud Case में कोर्ट का बड़ा आदेश
भारत में क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़ा एक बड़ा मामला सुर्खियों में है, जिसमें Himachal Pradesh High Court ने आरोपी Abhishek Sharma की जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह मामला करीब $240 मिलियन Crypto Investment Fraud से जुड़ा है, जिसमें लगभग 80,000 निवेशक प्रभावित हुए हैं। यह फैसला न सिर्फ Crypto Investment Fraud मामलों की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि भारत में डिजिटल एसेट्स से जुड़े अपराधों पर सख्त रुख को भी दिखाता है।

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कोर्ट का आदेश और कानूनी आधार
हाई कोर्ट के जज जस्टिस सुशील कुक्रेजा ने कहा कि यह अपराध “विस्तृत आर्थिक अपराध” है, जिसका असर समाज पर लंबे समय तक रह सकता है। कोर्ट ने माना कि आरोपी Abhishek Sharma इस मामले के मुख्य आरोपी Subhash Sharma का करीबी सहयोगी था, जो देश छोड़कर फरार हो चुका है।
हालांकि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तेज़ ट्रायल का अधिकार देता है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इतने बड़े स्तर के Crypto Investment Fraud का ट्रायल समय ले सकता है। लगभग एक साल से हिरासत में होने के बावजूद, आरोपी के पास जमानत का पर्याप्त आधार नहीं था। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी का इस स्कीम में सक्रिय रोल रहा है, इसलिए उसकी रिहाई जांच और ट्रायल पर असर डाल सकती है।
Crypto Investment Fraud में काम करने का ढंग
यह फ्रॉड 2018 में शुरू हुआ था, लेकिन 2023 में तब सामने आया जब निवेशक अरुण सिंह गुलेरिया ने पालमपुर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्हें Voscrow नामक प्लेटफॉर्म में निवेश करने के लिए बहलाया गया, जिसने डिजिटल एसेट्स पर हाई रिटर्न का वादा किया था।
जांच में पता चला कि यह प्लेटफॉर्म एक Ponzi Scheme की तरह चल रहा था, जहां नए निवेशकों के पैसे से पुराने निवेशकों को भुगतान किया जा रहा था। आरोपियों ने क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में हेरफेर करके निवेशकों को लाभ का भ्रम दिया।
Abhishek Sharma की भूमिका इन्वेस्टर मीटिंग्स आयोजित करने और नए इन्वेस्टर्स को जोड़ने में थी। ये मीटिंग्स ऊना, कुल्लू, मंडी, बद्दी, चंडीगढ़ समेत कई जगह हुईं।
पुलिस जांच और SIT की कार्रवाई
इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई गई, जिसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। आरोपियों ने करोड़ों रुपये को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए व्हाइट करने के लिए शेल कंपनियां बनाईं और लक्ज़री प्रॉपर्टीज़ व गाड़ियों में पैसा लगाया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस Crypto Investment Fraud के शिकार 1,000 से ज्यादा राज्य पुलिसकर्मी भी थे। इससे यह साफ है कि क्रिप्टो रेगुलेशन और पब्लिक अवेयरनेस की सख्त ज़रूरत है।
अनरजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा करने की गलती कर रहे हैं यूजर्स
पिछले कई सालों से क्रिप्टो मार्केट को करीब से फॉलो करने और फ्रॉड केस स्टडीज़ पर रिसर्च करने के बाद मैं कह सकता हूं कि ऐसे मामलों में सबसे बड़ी गलती “गैर-रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स” पर आंख मूंदकर भरोसा करना है। Crypto Investment Fraud आमतौर पर तभी सफल होता है, जब निवेशक बिना जांच-पड़ताल के सिर्फ हाई रिटर्न के लालच में पैसे लगाते हैं।
मेरे अनुभव में, किसी भी क्रिप्टो प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले उसका KYC, लाइसेंसिंग, टीम बैकग्राउंड और ऑन-चेन ट्रांजैक्शन डेटा चेक करना चाहिए। इस केस ने यह भी साबित किया है कि भारत में क्रिप्टो को लेकर एक मजबूत लीगल फ्रेमवर्क बनाना अब और भी जरूरी हो गया है।
आगे का रास्ता
यह फैसला एक मिसाल है कि कोर्ट अब क्रिप्टो फ्रॉड मामलों को सिर्फ फाइनेंशियल डिस्प्यूट नहीं, बल्कि सीरियस क्रिमिनल ऑफेंस मानकर सख्त कार्रवाई कर रही है। साथ ही, यह केस रेगुलेटर्स और सरकार के लिए भी एक चेतावनी है कि बिना पुख्ता नियमों के, ऐसे Crypto Investment Fraud आसानी से पनप सकते हैं।
हालाँकि यह पहला मौका नहीं है जब कोर्ट ने इस तरह के किसी मामले में ऐसा फैसला सुनाया हो, इससे पहले Delhi High Court ने Crypto Fraud मामले में बड़ा फैसला सुनाया था। जहाँ भी कोर्ट ने फ्रॉड करने वाले व्यक्ति की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी।
कन्क्लूजन
$240 मिलियन के इस Crypto Investment Fraud केस में जमानत याचिका खारिज होने से साफ है कि न्यायपालिका ऐसे अपराधों पर ज़ीरो टॉलरेंस अपना रही है। निवेशकों के लिए यह एक सबक है कि वे क्रिप्टो में निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च करें और केवल रेगुलेटेड व ट्रस्टेड प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें। इस केस का असर न सिर्फ कानूनी व्यवस्था पर, बल्कि भारत में क्रिप्टो इंडस्ट्री के भविष्य पर भी पड़ेगा।