Trump Make America Number 1 in Crypto
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Donald Trump ने कहा, क्रिप्टो में अमेरिका नंबर 1 होना चाहिए, न कि चीन

Donald Trump ने छेड़ी  क्रिप्टो की दुनिया में नई जंग

US President Donald Trump ने इस हफ्ते बड़ा बयान देते हुए कहा कि Crypto में अमेरिका नंबर 1 होना चाहिए न कि चीन। Trump का यह बयान उनके कैंपेन का हिस्सा है जिसमें वे America को डिजिटल इनोवेशन का Global Leader बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि Bitcoin, Blockchain और DeFi आने वाले समय की ताकत हैं और इसमे चीन को आगे नहीं बढ़ने देना चाहिए।

Donald Trump ने कहा, क्रिप्टो में अमेरिका नंबर 1 होना चाहिए, न कि चीन

Source- यह इमेज Crypto Rover की X Post से ली गई है।

Trump का यह बयान सीधा Beijing को चुनौती माना जा रहा है। भले ही China ने Crypto Trading पर बैन लगा रखा है लेकिन फिर भी वह कई अन्य ग्लोबल इंडस्ट्री में आगे है।US President Trump का लक्ष्य है कि जैसे China मैन्युफैक्चरिंग और Rare Earth Production में लीड करता है वैसे ही America को Cryptocurrency की दुनिया की राजधानी बनाना चाहिए।

Donald Trump बनाएंगे America को Crypto वर्ल्ड का बादशाह

Digital Assets की दुनिया में अमेरिका साफ तौर पर आगे नज़र आ रहा है। Cambridge Centre for Alternative Finance (Q3 2025) की रिपोर्ट के अनुसार, 

  • अमेरिका अब दुनिया के कुल Bitcoin Hashrate का 50% से ज्यादा योगदान देता है जो अब तक का सबसे बड़ा लेवल है।
  • ज्यादातर टॉप और हाई वॉल्यूम क्रिप्टो एक्सचेंज अमेरिका में स्थित हैं।
  • अमेरिकी बिटकॉइन रिजर्व की वैल्यू करीब $36 बिलियन है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।

वहीं दूसरी ओर, कभी 80% Bitcoin Mining कंट्रोल करने वाला चीन अब 2021 के Crypto बैन के बाद 0% Hashrate पर आ गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी नागरिकों के पास करीब 1,94,000 BTC हैं लेकिन बीजिंग की सख्त पॉलिसी के चलते सभी डिजिटल एसेट ट्रेडिंग और माइनिंग पर रोक है। चीन अब अपने सेंट्रलाइज्ड डिजिटल युआन (e-CNY) को बढ़ावा दे रहा है यह ब्लॉकचेन से प्रेरित है लेकिन पूरी तरह सरकार के कंट्रोल वाला सिस्टम है।

इसके विपरीत, अमेरिका DeFi सेक्टर में लगातार विस्तार कर रहा है जहाँ Uniswap, Chainlink और OpenSea जैसे प्रोजेक्ट्स मिलकर $120 बिलियन का DeFi मार्केट चला रहे हैं।

क्रिप्टो मार्केट अब भी है ट्रेडिशनल मार्केट के सामने कमजोर 

भले ही US, Crypto इनोवेशन में लीड कर रहा हो लेकिन वह अब भी चीन की ट्रेडिशनल मार्केट ताकत से पूरी तरह आज़ाद नहीं हो पाया है। ट्रंप के द्वारा शुरू किया गया US-China Tariff Conflict साफ दिखाता है कि डिजिटल पावर अभी फिजिकल ट्रेड डिपेंडेंसी की जगह नहीं ले पाई है।

जब चीन ने Rare Earth Export सीमित करने का संकेत दिया तब US ने 100% टैरिफ प्लान से चुपचाप पीछे हटने का फैसला लिया। Donald Trump ने फेंटेनिल से जुड़ी 20% टैरिफ को आधा कर दिया और कई बड़ी Chinese Companies पर लगने वाले सैंक्शन को टाल दिया।

यह साबित करता है कि दुनिया का Crypto Leader भी इंडस्ट्रियल रियलिटी के सामने झुकने को मजबूर है।

Crypto पर बंटी राय, चीन की प्रोडक्टिव पॉलिसी vs US की डिजिटल रेस

Crypto की इस बढ़ती रेस में अब इकोनॉमिस्ट्स और इन्वेस्टर्स दो गुटों में बंट गए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका सिर्फ Digital Speculation में उलझा हुआ है जबकि चीन रियल प्रोडक्टिव सेक्टर्स जैसे एनर्जी, चिप्स और मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दे रहा है।

Donald Trump ने कहा, क्रिप्टो में अमेरिका नंबर 1 होना चाहिए, न कि चीन

Source-  यह इमेज Peter Schiff की X Post से ली गई है।

क्रिप्टो क्रिटिक Peter Schiff का कहना है कि चीन जीत रहा है क्योंकि वो रियल उद्योगों में निवेश कर रहा है जबकि अमेरिका वर्चुअल सपनों के पीछे भाग रहा है।

क्रिप्टो बना अमेरिका की नई इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन का चेहरा

Crypto सपोर्टर्स का मानना है कि यह अमेरिका की नई इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन है, फर्क सिर्फ इतना है कि अब ताकत कोड और डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क्स में है, फैक्ट्रियों में नहीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 15.3% अमेरिकन नागरिक क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं और करीब 40% लोग इसे इंफ्लेशन से बचाव के रूप में देखते हैं। यही वजह है कि आज Bitcoin एक मेनस्ट्रीम एसेट बन चुका है बिल्कुल गोल्ड की तरह।

दुनियाभर में कुल 517,296 BTC सरकारी रिज़र्व में हैं। वहीं Spot Bitcoin ETFs, जो जनवरी 2024 में लॉन्च हुए थे, ने पहले ही दिन $4.6 बिलियन की ट्रेडिंग दर्ज की जो 2004 के Gold ETFs से लगभग 10 गुना तेज ग्रोथ थी।

इन डेटा से साफ है कि Bitcoin सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि गोल्ड जितना भरोसेमंद ग्लोबल स्टोर ऑफ वैल्यू बन चुका है।

कन्क्लूजन

अब अमेरिका और चीन का मुकाबला सिर्फ ट्रेडिशनल मार्केट तक सीमित नहीं रहा यह अब क्रिप्टो और कमोडिटीज दोनों दुनियाओं में फैल चुकी है। अमेरिका भले ही डिसेंट्रलाइज्ड वेब लीडर बन गया हो लेकिन उसकी इंडस्ट्रियल ज़रूरतें अब भी चीन की सेंट्रलाइज्ड प्रोडक्शन पर निर्भर हैं।

वहीं दूसरी ओर, चीन भले ही क्रिप्टो से दूरी बनाए हुए है लेकिन क्रिप्टो इंडस्ट्री को चलाने वाले हार्डवेयर और मटेरियल से प्रॉफिट अर्न कर रहा है।
Disclaimer- यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। क्रिप्टो मार्केट काफ़ी वोलेटाइल है, इसलिए निवेश करने से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें।

About the Author Shubham Sharma

Crypto Journalist Cryptohindinews.in

Shubham Sharma पिछले 4 वर्षों से Web3, ब्लॉकचेन, NFT और क्रिप्टोकरेंसी पर गहराई से लेखन कर रहे हैं। वे मार्केट ट्रेंड्स को जल्दी पहचानने, तकनीकी अपडेट्स को सरल भाषा में समझाने और भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को विश्वसनीय जानकारी प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। Shubham ने कई प्रमुख क्रिप्टो मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए योगदान दिया है और उनका उद्देश्य पाठकों को तेजी से बदलती Web3 दुनिया में सटीक, निष्पक्ष और इनसाइटफुल कंटेंट देना है।

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Donald Trump ने कहा कि अमेरिका को क्रिप्टो की दुनिया में नंबर 1 बनना चाहिए, चीन को नहीं। उन्होंने क्रिप्टो और ब्लॉकचेन को भविष्य की ताकत बताया।
Trump का लक्ष्य है कि जैसे चीन मैन्युफैक्चरिंग में लीड करता है, वैसे ही अमेरिका क्रिप्टो और डिजिटल इनोवेशन में ग्लोबल लीडर बने।
चीन ने 2021 से क्रिप्टो ट्रेडिंग और माइनिंग पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है और अब वह अपने सेंट्रलाइज्ड डिजिटल युआन (e-CNY) को बढ़ावा दे रहा है।
Cambridge Centre की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका अब दुनिया के कुल Bitcoin Hashrate का 50% से ज्यादा योगदान देता है।
अमेरिका डिसेंट्रलाइज्ड डिजिटल सिस्टम्स पर फोकस कर रहा है जबकि चीन सेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी और रियल सेक्टर्स पर ध्यान दे रहा है।
Peter Schiff का कहना है कि चीन रियल इंडस्ट्रीज़ में निवेश कर रहा है जबकि अमेरिका वर्चुअल सपनों के पीछे भाग रहा है।
अमेरिका का DeFi सेक्टर Uniswap, Chainlink और OpenSea जैसे प्रोजेक्ट्स के साथ $120 बिलियन से ज्यादा का मार्केट संचालित कर रहा है।
करीब 15.3% अमेरिकी नागरिक क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं और लगभग 40% लोग इसे इंफ्लेशन से बचाव का माध्यम मानते हैं।
Spot Bitcoin ETFs ने लॉन्च के पहले ही दिन $4.6 बिलियन की ट्रेडिंग दर्ज की, जो Gold ETFs से लगभग 10 गुना तेज थी।
यह जंग दिखाती है कि अब प्रतिस्पर्धा सिर्फ इंडस्ट्रियल सेक्टर तक सीमित नहीं रही बल्कि डिजिटल और क्रिप्टो इकॉनमी तक फैल चुकी है।