RBI Governor का बड़ा बयान, CBDC को बताया Stablecoins से बेहतर
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RBI Governor ने CBDC को बताया Stablecoins से बेहतर

CBDC के साथ ग्लोबल पेमेंट सिस्टम में नया दौर शुरू

Reserve Bank of India (RBI) Governor Sanjay Malhotra ने बीते दिन विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठक में एक अहम बयान दिया, जिसने इंटरनेशनल फाइनेंशियल वर्ल्ड में नई बहस छेड़ दी है। RBI Governor ने कहा कि अगर Central Bank Digital Currencies (CBDCs) को ग्लोबल लेवल पर अपनाया जाए, तो यह न केवल इंटरनेशनल पेमेंट को सरल बनाएगा, बल्कि Stablecoins के बढ़ते प्रभाव को भी कंट्रोल करेगा।

RBI Governor ने साफ शब्दों में कहा, “जब तक अन्य देश भी CBDC को अपनाते नहीं हैं, तब तक हम Cross-Border Payments में इसके असली फायदे नहीं देख पाएंगे। इसलिए मैं सभी सेन्ट्रल बैंकों से अपील करता हूं कि वे Central Bank Digital Currency को प्रमोट करें, क्योंकि यह Stablecoins से कहीं ज्यादा फायदे देता है।

इस बयान ने ग्लोबल  ग्लोबल इकोनॉमिक पॉलिसी मेकर्स को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आने वाले वर्षों में इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम किस दिशा में जाएगा, क्या यह गवर्नमेंट डिजिटल करेंसी की ओर झुकेगा या फिर Personal Stablecoins के इर्द-गिर्द घूमता रहेगा।

RBI Governor - Project Sutra X Post

Source - यह इमेज Project Sutra की X Post से ली गई है। 

CBDC बनाम Stablecoins, RBI Governor ने स्पष्ट किया अंतर

RBI Governor Sanjay Malhotra ने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि CBDC “fiat money” पर आधारित होती है और यह स्टेबलकॉइन्स के सभी लाभों के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण चीज़ Integrity of Money को भी बनाए रखती है। उन्होंने कहा, Central Bank Digital Currency को टोकनाइज्ड किया जा सकता है, इसमें स्थिरता है, यह सिंगल सोर्स ऑफ ट्रुथ प्रदान करती है और मनी लॉन्ड्रिंग या इललीगल ट्रांजैक्शंस के खतरे को कम करती है।

यह बयान उस समय आया है जब भारत समेत कई देश स्टेबलकॉइन्स को लेकर नीतिगत असमंजस में हैं। भारत सरकार की ओर से हाल ही में Finance Minister Nirmala Sitharaman ने भी संकेत दिए थे कि Stablecoins जैसी इनोवेशन Monetary Systems को Reshape कर रही हैं और देशों को इससे बचने की बजाय इनके साथ एडाप्ट होना पड़ेगा।

Sitharaman ने कहा था, “ऐसे परिवर्तन इतने व्यापक हैं कि कोई भी देश खुद को इनसे अलग नहीं रख सकता। हमें तैयार रहना होगा, चाहे हम इन्हें अपनाएं या नहीं। RBI Governor का रुख इससे थोड़ा अलग है, वह स्टेबलकॉइन्स की बजाय Regulated Digital Currency यानी CBDC पर ज़ोर दे रहे हैं, ताकि Monetary Sovereignty बनी रहे और हर लेनदेन को ट्रैक किया जा सके।

भारत की CBDC प्रोग्रेस, तकनीकी रूप से तैयार, ग्लोबल कोऑर्डिनेशन की कमी

RBI पहले से ही Central Bank Digital Currency के दो प्रकार, Retail और Wholesale पर पाइलेट प्रोजेक्ट्स चला रहा है। Governor Malhotra ने बताया कि भारत के डोमेस्टिक पेमेंट मैकेनिज्म जैसे UPI और Digital Rupee Ecosystem पहले से ही काफी मजबूत हैं। अब लक्ष्य Cross-Border Payments को Seamless बनाना है और इसके लिए CBDC सबसे सटीक समाधान है।

इससे पहले RBI Deputy Governor T. Rabi Shankar ने कहा था कि भारत की CBDC Pilot में 7 मिलियन से अधिक उपयोग मामलों का परीक्षण किया जा चुका है। इनमें सबसे बड़ा उपयोग क्षेत्र Cross-Border Payments ही है। लेकिन Rabi Shankar ने यह भी स्वीकार किया कि “CBDC को नेशनल लेवल पर लॉन्च करने से पहले दूसरे देशों की डिजिटल करेंसी सिस्टम्स का तैयार होना जरूरी है।”

इसका मतलब साफ है, भारत तकनीकी रूप से पूरी तरह तैयार है, लेकिन ग्लोबल लेवल पर सामंजस्य की कमी अभी भी एक बड़ी बाधा है। यानी RBI Governor और Deputy Governor दोनों का संदेश एक ही दिशा में है, भारत Global Digital Currency Architecture का नेतृत्व करने को तैयार है, लेकिन बाकी देशों का सहयोग अनिवार्य है।

PM Modi का डिजिटल भरोसा, भारत की करेंसी का नया अध्याय

PM Modi की डिजिटल करेंसी पर मन की बात भी सामने आ चुकी है और CBDC के समर्थन में उनका भी रुख काफी स्पष्ट है। हाल ही में उन्होंने अपने X अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट की थी जिसके साथ उन्होंने लिखा था “I am confident that the digital currency initiative being advanced by the RBI will further strengthen India’s growth story.”

यह बयान न केवल RBI Governor की नीति के साथ तालमेल दिखाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत डिजिटल ट्रांजैक्शन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। PM Modi का यह आत्मविश्वास भारत के #DigitalIndia मिशन को और बल देता है और दिखाता है कि सरकार और केंद्रीय बैंक दोनों ही एक संयुक्त रणनीति के तहत डिजिटल करेंसी को मेनस्ट्रीम में लाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

Stablecoins नहीं, CBDC ही है भविष्य की दिशा

अपने 13 वर्षो के डिजिटल मार्केट में बतौर राइटर काम करने के अनुभव से कहूँ तो, मेरा मानना यह है कि अगर RBI Governor Sanjay Malhotra की बातों को ध्यान से समझा जाए, तो यह सिर्फ एक टेक्नीकल एडवाइस नहीं बल्कि ग्लोबल मॉनेटरी बैलेंस की अपील है। Stablecoins के बढ़ते प्रभाव ने सरकारों और केंद्रीय बैंकों की नीतियों को चुनौती दी है, क्योंकि ये डिसेंट्रलाइज्ड होते हैं और रेगुलेटरी कंट्रोल लिमिटेड होता है।CBDC इस समस्या का समाधान प्रदान करता है, यह ब्लॉकचेन आधारित होने के बावजूद पूरी तरह कानूनी मुद्रा होती है। 

मेरा मानना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर CBDCs को इंटरऑपरेबल बनाया गया, तो Cross-Border Payments के समय लगने वाले Intermediary Charges और Delays लगभग खत्म हो जाएंगे। इससे वैश्विक व्यापार में पारदर्शिता और ट्रस्ट दोनों बढ़ेंगे। Stablecoins का उपयोग क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस तक सीमित रह सकता है, लेकिन Central Bank Digital Currency फाइनेंस पॉलिसी, बैंकिंग स्थिरता और आर्थिक समावेशन  तीनों मोर्चों पर परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकता है।

कन्क्लूजन  

RBI Governor Sanjay Malhotra का बयान भारत की फाइनेंशियल पॉलिसी का एक अहम संकेत है, यह स्पष्ट करता है कि देश स्टेबलकॉइन्स की तुलना में सरकारी डिजिटल करेंसी को अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और प्रभावी मानता है। भारत अब न केवल डोमेस्टिक लेवल पर बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी CBDC के फ्रेमवर्क को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। 

RBI के मौजूदा पायलट और प्रधानमंत्री मोदी का डिजिटल विज़न यह दर्शाता है कि भारत आने वाले वर्षों में CBDC Diplomacy के ज़रिए ग्लोबल डिजिटल फाइनेंस में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। CBDC अब केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि आने वाली “डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ” बनता जा रहा है और RBI Governor का यह बयान उस परिवर्तन का शुरुआती शंखनाद है।

About the Author Rohit Tripathi

Crypto Journalist Cryptohindinews.in

रोहित त्रिपाठी एक सीनियर क्रिप्टो कंटेंट राइटर और ब्लॉकचेन रिसर्चर हैं, जिनके पास टेक्नोलॉजी और डिजिटल मीडिया में 13+ वर्षों का अनुभव है। बीते कुछ वर्षों से वह विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी, ऑन-चेन एनालिटिक्स, DeFi इकोसिस्टम और टोकनॉमिक्स जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। रोहित की विशेषज्ञता SEO-अनुकूल, डेटा-ड्रिवन कंटेंट और इंडस्ट्री-केंद्रित रिसर्च लेख तैयार करने में है।

वह वर्तमान में Crypto Hindi News में टीम लीड और हेड ऑफ कंटेंट के रूप में कार्यरत हैं। उनकी लेखनी में एक्यूरेसी, ट्रांसपेरेंसी और रीडर्स को वैल्यू देना सर्वोपरि है। वे ऑन-चेन टूल्स और विश्वसनीय मार्केट डेटा का प्रयोग करते हुए प्रत्येक लेख को फैक्ट-आधारित बनाते हैं। हिंदी भाषी रीडर्स के लिए उनका मिशन है: “हाई-क्वालिटी, फैक्चुअल और यूज़र-फर्स्ट क्रिप्टो कंटेंट उपलब्ध कराना।”

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RBI Governor Sanjay Malhotra ने सभी सेंट्रल बैंकों से आग्रह किया कि वे अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए Stablecoins की जगह CBDC को अपनाएं और प्रमोट करें, क्योंकि यह अधिक सुरक्षित और पारदर्शी तरीका है।
Malhotra ने कहा कि CBDC फिएट करेंसी पर आधारित है और इसमें Stablecoins के सभी फायदे हैं। यह टोकनाइज़ किया जा सकता है और मुद्रा की अखंडता और एकरूपता बनाए रखता है।
RBI वर्तमान में दो पायलट प्रोजेक्ट्स चला रहा है — एक रिटेल CBDC और दूसरा होलसेल CBDC। दोनों का उद्देश्य डिजिटल ट्रांजैक्शन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाना है।
CBDC का सबसे बड़ा उपयोग Cross-Border Payments में देखा जा रहा है, जहाँ यह तेज़, सस्ता और पारदर्शी ट्रांजैक्शन प्रदान करता है।
Rabi Shankar ने बताया कि CBDC Pilot Project में 7 मिलियन से अधिक यूज़ केस सामने आए हैं, जिनमें सबसे अहम Cross-Border Payments रहे हैं।
भारत तकनीकी रूप से तैयार है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समन्वय की कमी के कारण अन्य देशों की डिजिटल करेंसी नीतियां अभी स्पष्ट नहीं हैं, जिससे लॉन्च में देरी हो रही है।
PM मोदी ने कहा कि RBI की डिजिटल करेंसी पहल भारत की विकास कहानी को और मजबूत बनाएगी और यह Digital India मिशन को नई दिशा देगी।
Finance Minister ने कहा कि Stablecoins जैसे इनोवेशन ग्लोबल मनी सिस्टम को बदल रहे हैं और देशों को नई मौद्रिक संरचनाओं के साथ अनुकूल होना होगा।
Stablecoins प्राइवेट रूप से बनाए जाते हैं और उनकी वैल्यू बाहरी एसेट्स से जुड़ी होती है, जबकि CBDC पूरी तरह सरकार द्वारा समर्थित फिएट डिजिटल करेंसी होती है।
यह बयान अन्य सेंट्रल बैंकों को CBDC को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम और अधिक स्थिर और एकीकृत हो सकेगा।