
Union Minister की Crypto Holdings से क्या मिलता है संकेत
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हमेशा से असमंजस की स्थिति रही है। रिज़र्व बैंक लगातार चेतावनी देता रहा है और सरकार भी अभी तक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर स्पष्ट नहीं है। इसके बावजूद, हाल ही में सामने आई जानकारी ने सबका ध्यान खींचा है। लगातार दूसरे साल एक Union Minister और उनकी पत्नी ने अपनी Crypto Holdings को आधिकारिक रूप से घोषित किया है। यह घटना न केवल फाइनेंशियल ट्रांसपेरेंसी का उदाहरण है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या भारत में धीरे-धीरे गवर्नमेंट लेवल पर क्रिप्टो को अप्रत्यक्ष स्वीकार्यता मिल रही है।
Union Minister की Crypto Holdings से जुड़ा आखिर क्या है मामला?
दस्तावेज़ों के मुताबिक, स्किल डेवलपमेंट एवं एंटरप्रेन्योरशिप के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री Jayant Chaudhary ने 31 मार्च 2025 तक अपनी Crypto Holdings ₹21,31,630 घोषित की। उनकी पत्नी चारु सिंह ने भी ₹22,41,951 की क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट दिखाई। दोनों ने इस निवेश का स्रोत “पर्सनल सेविंग्स” बताया, हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने किस क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है। पिछले साल यानी जून 2024 में दोनों ने क्रमशः ₹17.9 लाख और ₹19 लाख की क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट दिखाई थी। इस प्रकार, एक साल में इनके निवेश की वैल्यू 18-19% बढ़ी है।

Source - यह इमेज PMIndia की गवर्नमेंट वेबसाइट से ली गई है।
Crypto Holdings से जुड़ा क्यों है यह खुलासा अहम?
यह पहला मौका है जब यूनियन काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स में से किसी ने लगातार दो साल अपनी Crypto Holdings को डिक्लेयर किया है। आमतौर पर मंत्रियों की संपत्तियों में जमीन, मकान, फिक्स्ड डिपॉज़िट, शेयर, म्यूचुअल फंड, गाड़ियां और कभी-कभी आभूषण या हथियार शामिल होते हैं। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी का शामिल होना इसे अलग और खास बनाता है।
जयंत चौधरी ने खुद कहा कि ये पुराने निवेश हैं और उनकी पूरी पोर्टफोलियो में महज़ 2-3% हिस्सा ही रखते हैं। उन्होंने इसे “हाईली स्पेक्युलेटिव” माना, लेकिन इसे अपने आर्ट इन्वेस्टमेंट और डायवर्स पोर्टफोलियो का हिस्सा बताया।
कब और कहां हुआ ऐलान?
यह खुलासा प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित उस रिपोर्ट में सामने आया है, जिसे हर साल वित्तीय वर्ष के अंत में जारी किया जाता है। रिपोर्ट का नाम है Assets and Liabilities of the Union Council of Ministers। इसमें हर मंत्री को अपने मूवेबल और इम्मूवेबल एसेट्स की जानकारी देनी होती है।
जयंत चौधरी की कुल अचल संपत्ति ₹33.23 करोड़ और चल संपत्ति ₹14.51 करोड़ आंकी गई है। वहीं, उनकी पत्नी ने ₹2.15 करोड़ अचल और ₹9.54 करोड़ चल संपत्ति घोषित की है।
भारत में क्रिप्टो या Crypto Holdings पर सरकार का रुख
भारत सरकार और रिज़र्व बैंक की पॉलिसी अब तक क्रिप्टो पर सख्त और सावधान रही है। सरकार ने साफ कहा है कि Crypto Holdings अनरेगुलेटेड हैं और इस पर आधिकारिक डेटा इकट्ठा नहीं किया जाता। फिर भी, टैक्स नियम लागू हैं। आयकर कानून के तहत क्रिप्टो से हुई कमाई पर टैक्स लगता है। कंपनियों को अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट में क्रिप्टो एक्सपोज़र दिखाना अनिवार्य है।
साथ ही, मार्च 2023 से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के दायरे में भी लाया गया है। इसका मतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकी फंडिंग रोकने के लिए सभी क्रिप्टो ट्रांजैक्शन मॉनिटर किए जा सकते हैं। जानकारी के लिए बता दे कि भारत में FIU क्रिप्टो से जुड़े ट्रांजैक्शन की निगरानी करता है।
क्या यह गवर्नमेंट एडॉप्शन का संकेत है?
बतौर लेखक में 13 साल से जियोपॉलिटिक्स को कवर कर रहा हूँ और क्रिप्टो मार्केट पर पिछले 3 सालों से लिख रहा हूँ, मेरी नज़र में किसी यूनियन मिनिस्टर द्वारा सार्वजनिक रूप से Crypto Holdings घोषित करना दो चीज़ें दर्शाता है। पहला, यह कि क्रिप्टो धीरे-धीरे मेनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट का हिस्सा बन रही है। दूसरा, यह सरकार के भीतर भी जागरूकता और अप्रत्यक्ष स्वीकार्यता का संकेत हो सकता है।
हालांकि, इसे गवर्नमेंट एडॉप्शन की दिशा में सीधा कदम कहना जल्दबाजी होगी। सरकार फिलहाल इंटरनेशनल लेवल पर मॉडल रेगुलेशन लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन, जब नीति-निर्माता खुद क्रिप्टो में निवेश करते हैं, तो यह धारणा मज़बूत होती है कि भारत में रेगुलेशन आने के बाद क्रिप्टो को वैधता मिल सकती है।
कन्क्लूजन
जयंत चौधरी और उनकी पत्नी द्वारा की गई घोषणा सिर्फ उनकी व्यक्तिगत Crypto Holdings तक सीमित नहीं है। यह ट्रांसपेरेंसी की मिसाल भी है और यह भी दिखाती है कि क्रिप्टो अब सिर्फ टेक्नोलॉजी लवर्स या युवाओं का निवेश विकल्प नहीं रहा, बल्कि पॉलिसीमेकर्स तक पहुंच चुका है।
भारत में क्रिप्टो पर बहस अभी जारी है और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क अधर में है। लेकिन इस तरह की घोषणाएं निश्चित रूप से चर्चा को नई दिशा देती हैं। आने वाले सालों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार सचमुच क्रिप्टो को रेगुलेट करके अपनाती है या फिर इसे सख्त निगरानी के तहत सीमित रखती है।