आज के ग्लोबल फाइनेंशियल सिनेरियो में डिजिटल एसेट्स और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी ने नए-नए अवसरों का दरवाजा खोला है। इन्वेस्टमेंट, एसेट मैनेजमेंट और फाइनेंशियल ट्रांज़ैक्शन के क्षेत्र में ट्रेडिशनल सिस्टम में लिमिटेड एक्सेस, कम लिक्विडिटी और थर्ड पार्टी डिपेंडेंसी जैसे चेलेंज बने हुए हैं। Blockchain Technology और Cryptocurrency साथ आकर इसका सॉल्यूशन Real World Assets (RWA) Tokenization के द्वारा करती है। यह प्रोसेस केवल टेक्निकल इनोवेशन नहीं है बल्कि फाइनेंशियल इनक्लूजन, ट्रांसपेरेंसी और ग्लोबल इकोनोमिक इंटीग्रेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आज के डिजिटल युग में लोग सिर्फ डिजिटल आर्ट या क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं, बल्कि रियल एस्टेट, बॉन्ड्स और यहां तक कि इनवॉइस को भी ब्लॉकचेन पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि इन ट्रेडिशनल एसेट्स को ब्लॉकचेन पर लाकर ग्लोबल लिक्विडिटी, ट्रस्ट के बिना ट्रांसफर और ऑटोमेशन जैसे लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
Real World Assets क्या होते हैं?
RWA ऐसे टेंजिबल एसेट होते हैं जो ब्लॉकचेन के बाहर एक्सिस्ट करते हैं और जिनकी वैल्यू लीगली या इकोनोमिकली एक्सेप्टेड होती है। उदाहरण के लिए:
- रियल एस्टेट: जैसे कि अपार्टमेंट, जमीन या कमर्शियल प्रॉपर्टी। यदि इन एसेट को Token में बदला जाए तो इन्वेस्टर इनमें फ्रैक्शनल इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। Propy और Parcl जैसे रियल एस्टेट टोकन इसका उदाहरण है।
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- बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज: सरकारी या कॉर्पोरेट फंडिंग टूल्स जो रेगुलेटेड होते हैं। जैसे USA के ट्रेजरी बॉन्ड्स का टोकनाइज़ेशन।
- कमोडिटी: जैसे सोना, चाँदी आदि, जिन्हें Tokenized Gold जैसे डिजिटल फॉर्म में लाया जा रहा है। Paxos Gold (PAXG), Tether Gold (XAUT) और Digix (DGX) इसके उदाहरण हैं, जिनकी वैल्यू गोल्ड के साथ स्टेबल रहती है।
- इनवॉइस और रिसिप्ट: SME कंपनियां वर्किंग कैपिटल से जुड़ी हुई अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इन्हें टोकेनाइज़ किया जाता है।
- आर्टिफेक्ट्स और कलेक्टिबल्स: जैसे पेंटिंग्स या हिस्टोरिकल आइटम का टोकनाइज़ेशन करके उन्हें Fractional NFTs के रूप में बेचा जा रहा है।
इन सभी का उद्देश्य यही है कि Real World Assets को ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए एक्सेसिबल बनाया जाए और बिना मिडलमैन के ओनरशिप और ट्रांसफर सुनिश्चित किया जा सके।
Blockchain पर Real World Assets को Tokenize कैसे किया जाता है?
RWA को डिजिटल रूप में ब्लॉकचेन पर लाने की प्रोसेस को टोकनाइज़ेशन कहा जाता है। इस प्रोसेस में:
- सबसे पहले रियल वर्ल्ड एसेट का आइडेंटिफिकेशन और वेरिफ़िकेशन किया जाता है।
- एक लीगल एग्रीमेंट तैयार किया जाता है जो उस एसेट को टोकन के रूप में रिप्रेजेंट करने की परमिशन देता है।
- इसके बाद Blockchain पर Smart Contract डिप्लॉय किया जाता है जो उस टोकन की सप्लाई, ट्रांसफर रूल्स और ओनरशिप को Logic के रूप में डिफाइन करता है।
- टोकन ब्लॉकचेन पर जनरेट और लिस्ट किया जाता है जिसके बाद यह टोकन DApps में इस्तेमाल करने योग्य बन जाता है।
इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं, कोई डेवलपर अपनी प्रॉपर्टी के 20% भाग को टोकन के रूप में इशू करता है। ये टोकन Ethereum Network पर ERC-20 स्टैंडर्ड में तैयार किए जाते हैं और उन्हें DeFi प्लेटफ़ॉर्म पर कोलेटरल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
RWA Token की विशेषताएँ और प्रकार
- Fractional Ownership: बड़े एसेट्स को छोटे हिस्सों में बांट दिया जाता है, जिससे ओनरशिप और इन्वेस्टमेंट के नए माध्यम तैयार किए जाते हैं।
उदाहरण के लिए ₹1 करोड़ वैल्यू की प्रॉपर्टी को ₹10,000 के 10,000 हिस्सों में बाँटना और इसे अलग-अलग इन्वेस्टर्स को बेचना। - 24/7 Liquidity: ये टोकन ग्लोबल ब्लॉकचेन नेटवर्क पर लगातार ट्रेड किए जा सकते हैं,
इस तरह से किसी एसेट के टोकन को इन्वेस्टर किसी भी समय सेकेंडरी मार्केट में बेच सकता है। - Transparency: सभी ट्रांज़ैक्शन का रिकॉर्ड ब्लॉकचेन पर वेरिफ़ाई किया जा सकता है।
Real World Assets Token के प्रमुख प्रकार
- Security Token: जो किसी रेगुलेटेड रियल एसेट को रिप्रेजेंट करते हैं। जैसे USA में Tokenized Real Estate Securities का बड़ा मार्केट विकसित हुआ है।
- Yield-bearing Token: जो इंटरेस्ट, रेंट जैसे इनकम सोर्स को रिप्रेजेंट करता है। इसका उदाहरण है Tokenized Rental Property।
- Collateralized Token: जो Lending और Borrowing के दौरान कोलेटरल के रूप में जमा किया जाता है, जैसे DeFi में इस्तेमाल होने वाले Tokenized Bonds।
- Real Estate Token: जो किसी प्रॉपर्टी की ओनरशिप को रीप्रेसेंट करते हैं।
RWA Token बेस्ड प्रमुख प्रोटोकॉल कौन-कौन से हैं?
- Centrifuge: SME Invoices को टोकनाइज़ कर उन्हें लिक्विडिटी पूल्स से जोड़ता है। जैसे इसका इस्तेमाल करके ट्रेडिंग कंपनियां अपने इनवॉइस को Centrifuge के जरिए टोकन बनाकर इन्वेस्टर्स से कैपिटल जुटाने के लिए करती है।
- Goldfinch: यह DeFi लोन देने वाला प्लेटफ़ॉर्म है जो कोलैटरल की ज़रूरत नहीं रखता है। इसमें रियल वर्ल्ड में लिए जाने वाले लोन ऑफ़ चेन अप्रूव होते हैं लेकिन ऑन-चेन वापस किए जाते हैं।
- Ondo Finance: यह प्लेटफार्म Tokenized US treasury जैसे सेफ और रेगुलेटेड एसेट्स को ब्लॉकचेन पर लाता है। इसे स्टेबल इनकम सोर्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- Maple Finance: यह ओर्गेनाइजेशन को डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए क्रेडिट उपलब्ध कराता है। इसमें Borrowing और रिपेमेंट दोनों स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स द्वारा कण्ट्रोल किए जाते हैं।
Traditional Finance और DeFi के बीच पुल
RWA वह एलिमेंट हैं जो ट्रेडिशनल फाइनेंशियल आर्गेनाईजेशन और Web3 के बीच पुल का काम कर रहे हैं। बैंक, NBFC या म्यूच्यूअल फंड जैसी संस्थाएँ इन टोकन के द्वारा रेगुलेटेड तरीके से ब्लॉकचेन इन्फ्रास्ट्रक्चर को एक्सेस कर सकती हैं और अपने फंड्स को ग्लोबल DeFi नेटवर्क में डेप्लोय कर सकती हैं, जिससे स्टेबल यील्ड जनरेट होती है।
उदाहरण के लिए कोई बैंक बांड मार्केट में इशू करने की बजाए Blockchain पर बांड टोकन के रूप में जारी कर सकता है, जिससे उसका एक्सेस ग्लोबल लेवल तक बढ़ जाता है।
Real World Asset Token के फ़ायदे: Liquidity से लेकर Transparency तक
- Liquidity: Real World Assets Tokenization के द्वारा प्रॉपर्टी, बांड जैसे सभी एसेट्स का भी लिक्विडेशन किया जा रहा है और अब इन्हें एक्सचेंज में लाकर 24/7 ट्रेड किया जा सकता है।
- Accessibility: लिमिटेड कैपिटल वाला इन्वेस्टर भी बड़े और प्रोमिसिंग प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट कर सकता है और इससे इन्वेस्टमेंट अधिक इंक्लूसिव हो जाता है।
- Efficiency: डॉक्यूमेंटेशन, वेरिफ़िकेशन और ट्रांसफर की प्रोसेस स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिये ऑटोमेटेड होती है, जिससे टाइम और कैपिटल की बड़ी मात्रा में बचत होती है।
- Security: समार्ट कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड रूल्स एसेट की ओनरशिप और उससे जुड़े सभी पहलुओं को Trustless बनाते हैं।
- Global Participation: कोई इंडियन इन्वेस्टर भी दुबई में किसी प्रॉपर्टी में बिना किसी कागजी कार्यवाही के इन्वेस्ट कर सकता है।
Real World Asset Token से जुड़े चेलेंज और रिस्क
- Regulatory Complexity: हर देश के रूल्स अलग होते हैं जिससे इनका कंप्लायंस बहुत काम्प्लेक्स हो जाता है। जैसे USA और यूरोप में Security Tokens के लिए अलग-अलग लाइसेंसिंग की जरुरत होती है।
- Oracle Dependency: Off-chain डाटा को On-Chain लाने के लिए थर्ड पार्टी Oracle System पर डिपेंडेंट रहना पड़ता है।
- Asset Misrepresentation: यदि एसेट के सोर्स या कहा जाए एसेट की ओनरशिप पर डिस्प्यूट हो, तो On-chain Token की वैलिडिटी ही खतरे में पड़ जाती है।
- Liquidity Risk: कम डिमांड वाले RWA टोकन की सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी कम हो सकती है और इससे इसकी रियल वैल्यू पर भी नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ सकता है।
- Legal Enforcement: Off-chain Asset पर ओनरशिप को लागू करना बहुत कठिन हो सकता है।
RWA Token और Web3 का फ्यूचर
जैसे-जैसे Web3 इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो रहा है और इसके रूल्स स्पष्ट हो रहे हैं, वैसे-वैसे बड़े इंस्टीट्यूशन ने भी ब्लॉकचेन बेस्ड Real World Asset में इन्ट्रेस्ट लेना शुरू कर दिया है। आने वाले समय में Mutual Fund और इंश्योरेंस कंपनियाँ अपने प्रोडक्ट्स को टोकनाइज़ करेंगी, Central Bank Digital Currency के साथ RWA Ecosystem को जोड़ने का काम भी जारी है। इसके अलावा भारत जैसे देशों में MSME, रियल एस्टेट और दूरदराज के क्षेत्रों में फाइनेंशियल इन्क्लुजन भी बढ़ेगा। क्योंकि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों की फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर डिपेंडेंसी कम होगी।
Real World Assets को ब्लॉकचेन पर लाना केवल एक टेक्निकल एडवांसमेंट नहीं है, बल्कि एक ग्लोबल इकोनोमिक अपॉर्चुनिटी है। यह बदलाव सिर्फ ब्लॉकचेन डेवलपर्स के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो एसेट, फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की दुनिया को डेमोक्रेटिक देखना चाहता है।
RWA ही वह कड़ी है जो स्पेकुलेटिव वर्ल्ड और रियल वर्ल्ड इकोनोमी से जोड़ रही है और यही इसकी सबसे बड़ी ताक़त है।