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Blockchain में Sybil Attack क्या है और इसे कैसे रोका जा सकता है?

Blockchain Technology बिना किसी अथोरिटी के ट्रस्ट का वादा करती है। ब्लॉकचेन नेटवर्क में यह ट्रस्ट डिजिटल आइडेंटिटी के द्वारा पैदा किया जाता है। इसी डिजिटल आइडेंटिटी पर आधारित ट्रस्ट मैकेनिज्म का फायदा उठाकर अटैकर एक साथ सैकड़ों फेक आइडेंटिटी बनाकर ब्लॉकचेन नेटवर्क की सिक्योरिटी को तोड़ने का प्रयास करते हैं। इस स्थिति को Sybil Attack कहा जाता है और यह Blockchain की सिक्योरिटी के लिए गंभीर चुनौती माना जाता है।

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि Blockchain में Sybil Attack क्या होता है, यह कैसे काम करता है, इसे डिटेक्ट करने और रोकने के लिए कौन-कौन-से तरीके हैं और यह 51% अटैक से कैसे अलग है।

Sybil Attack क्या होता है?

जब कोई अटैकर एक साथ कई फेक आइडेंटिटी या नोड्स बनाकर किसी डिसेंट्रलाइज़्ड नेटवर्क को मेनिपुलेट करने का प्रयास करता है, तो इस प्रकार के अटैक को Sybil Attack कहा जाता है। इन फेक आइडेंटिटी के ज़रिए अटैकर Consensus Mechanism को इन्फ्लुएंस करने, ट्रांज़ैक्शन की वैलिडिटी को प्रभावित करने या नेटवर्क की ट्रस्ट लेयर को ही कोम्प्रोमाईज़ करने का प्रयास करता है।

ऐसी स्थिति में अगर कोई नेटवर्क यह मान ले कि हर नोड एक अलग वैलिडेटर  है, तो अटैकर कई सारे फेक आइडेंटिटी के आधार पर नोड्स बनाकर नेटवर्क के बड़े हिस्से को कंट्रोल कर सकता है।

Sybil Attack के कुछ उदाहरण

  • Tor Network Attack: इसमें Sybil Attack के ज़रिए फर्जी एग्जिट नोड्स बनाए गए, जिससे डेटा ट्रैफिक को मॉनिटर किया गया।
  • Bitcoin Testnet: रीसर्चर्स ने जानबूझकर फर्जी नोड्स बनाकर Bitcoin Network के रिस्पांस को टेस्ट किया।
  • Airdrop Manipulation: कुछ Web3 प्रोजेक्ट्स में यूज़र्स ने बहुत से वॉलेट्स बनाकर फ्री टोकन हासिल करने की कोशिश की।
Blockchain में Sybil Attack क्यों खतरनाक होता है?

Blockchain Networks जैसे कि Bitcoin या Ethereum, कंसेंसस और ट्रस्ट के लिए नोड्स और वैलिडेटर पर निर्भर करते हैं। यदि कोई अटैकर कई फर्जी नोड्स बनाने में सक्षम हो जाता है, तो वह कंसेंसस में मेजोरिटी हासिल कर सकता है। इस तरह से अगर यह मेजोरिटी में आ जाए तो नेटवर्क से जुड़े रियल नोड्स को माइनॉरिटी में किसी ट्रांज़ैक्शन को सेंसर या मैनिपुलेट कर सकता है।

इस तरह का हमला न सिर्फ ब्लॉकचेन की सिक्योरिटी के लिए खतरनाक है, बल्कि पूरे नेटवर्क की रिलायबिलिटी और स्केलेबिलिटी को भी प्रभावित करता है।

Sybil Attack को कैसे डिटेक्ट किया जाता है?

Sybil Attack को डिटेक्ट करना आसान नहीं होता क्योंकि अटैकर अपने नोड्स को इस तरह से बनाता ही कि नेटवर्क उसे रियल नोड मानने लगता है। फिर भी कुछ इनडायरेक्ट इंडिकेटर्स होते हैं, जिनसे Sybil Attack को पहचाना जा सकता है:

  • अचानक बहुत सारे नए नोड्स का नेटवर्क से जुड़ना
  • नेटवर्क डेटा और ट्रैफिक में संदिग्ध पैटर्न्स
  • कोई एक आइडेंटिटी किसी गलत तरीके से डिसिजन में पार्टिसिपेट कर रही हो

ये इंडिकेटर्स हमें किसी अटैक का अंदाजा तो दे सकते हैं, लेकिन फिर भी निश्चित रूप से कुछ भी कहना कठिन होता है।

आइये जानते हैं वो Sybil Attack से बचाव के लिए कौन-से उपाय अपनाए जाते हैं।

Sybil Attack से बचाव कैसे होता है?

Blockchain Networks में इस तरह के हमलों से बचने के लिए कुछ कोर मैकेनिज्म अपनाए जाते हैं:

  • Proof of Work (PoW): हर आइडेंटिटी को ब्लॉक माइन करने के लिए कम्प्यूटेशनल पॉवर लगती है। इस तरह से जितनी ज़्यादा फेक आइडेंटिटी अटैकर क्रिएट करेगा, उसे उतना ही ज़्यादा खर्च करना पड़ेगा।
  • Proof of Stake (PoS): हर वेलिडेट को टोकन स्टैक करने होते हैं। ज़्यादा आइडेंटिटी का मतलब है कि उसे ज़्यादा Staking करनी पड़ेगी। जिसके कारण अटैकर के लिए यह बहुत बड़ी रिस्क हो जाती है।
  • Slashing: अगर कोई वेलिडेटर गलत व्यवहार करता है तो नेटवर्क उसका स्टैक काट लेता है।
  • Rate-limiting और आइडेंटिटी वेरिफिकेशन: कुछ नेटवर्क्स IP Address, जियोग्राफिक लोकेशन और नोड ओपरेटर की हिस्ट्री के ज़रिए Sybil Resistance बढ़ाते हैं।
Blockchain Networks में Sybil Resistance कैसे काम करता है?

Sybil Resistance का मतलब है, नेटवर्क में ऐसी टेक्निकल और इकोनोमिक बाधाएं खड़ी करना जो अटैकर के लिए हमले को महँगा और मुश्किल बना देते हैं:

  • Economic Cost: PoW और PoS अटैकर के लिए मल्टी आइडेंटिटी स्ट्रेटेजी को महंगा बनाते हैं।
  • Verification Barriers: Captcha, फोन वेरिफिकेशन या सोशल ग्राफ एनालिसिस जैसे ऑफ-चैन सॉल्यूशन।
  • Reputation Systems: पुराने वेरीफायड नोड्स को ज़्यादा ट्रस्ट दिया जाता है, जिससे नए फेक नोड्स का प्रभाव कम होता है।
Sybil Attack vs 51% Attack

हालांकि इन दोनों प्रकार के अटैक में अटैकर नेटवर्क पर कण्ट्रोल करना ही चाहता है, लेकिन इन दोनों में स्ट्रेटेजी अलग-अलग होती हैं:

  • 51% Attack: इसमें अटैकर नेटवर्क की हैश पॉवर या स्टैक पर मेजोरिटी हासिल करने का प्रयास करता है।
  • Sybil Attack: इस अटैक में अटैकर फेक आइडेंटिटी बनाकर इल्यूजन क्रिएट करने का प्रयास करता है, भले ही उसके पास वास्तविक शक्ति कम हो।

इसलिए 51% Attack अधिक महंगा होता है, जबकि Sybil Attack इसके मुकाबले आसान और अफोर्डेबल हो सकता है और यदि सेफगार्ड्स न हों तो इसके सफल होने की सम्भावना भी होती है।

Decentralized Identity और Reputation Systems का योगदान

Web3 space में Sybil Resistance को मज़बूत करने के लिए नए सॉल्यूशन उभर रहे हैं:

  • ENS (Ethereum Name Service): यूज़र्स को वेरीफाई की जाने योग्य आइडेंटिटी प्रदान करता है।
  • Gitcoin Passport: यूज़र्स की एक्टिविटी और ट्रस्ट स्कोर को ट्रैक करता है।
  • Proof of Humanity, BrightID: आइडेंटिटी वेरिफिकेशन के डिसेंट्रलाइज़्ड तरीके अपनाते हैं।

ये सिस्टम नेटवर्क की कोम्प्लेक्सिटी को कम करते हैं और इसे Sybil-proof बनाने में मदद करते हैं।

भविष्य में Zk-identity, बायोमेट्रिक्स और मशीन लर्निंग आधारित बेहविअर एनालिसिस जैसे उपाय Sybil Resistance को और मज़बूत बना सकते हैं।

Sybil Attack वास्तव में Blockchain की उसी नींव Trust Without Permission को चुनौती देता है जिस पर पूरा सिस्टम बना है। लेकिन Cryptoeconomics और DAO जैसे इनोवेशन से आज के Blockchain Network इस चुनौती का सामना कर पा रहे हैं।

हालांकि Sybil Resistance सिर्फ सिक्योरिटी मैकेनिज्म का ही नहीं, बल्कि ब्लॉकचेन आर्किटेक्चर का भाग बनाना जरुरी है क्योंकि भरोसा ही ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की नींव है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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