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Wrapped Token क्या हैं, इनका Web3 में क्या महत्त्व है? 

क्रिप्टोकरेंसी का एडॉप्शन और इससे जुड़े इनोवेशन जैसे जैसे बढ़ रहे हैं , वैसे-वैसे Blockchain Interoperability की जरुरत लगातार बढ़ रही है। यह सुविधा न होने की स्थिति में किसी यूज़र जिसने Bitcoin होल्ड किए हुए हैं, अपनी होल्डिंग को Ethereum के किसी DeFi Protocol में इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि दोनों अलग-अलग नेटवर्क पर चलते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए Wrapped Tokens एक महत्वपूर्ण सॉल्यूशन बनकर उभरे हैं, जो Cross-chain Functionality को न केवल संभव बनाते हैं, बल्कि Web3 के पूरे इकोसिस्टम को इन्टीग्रेट करने में मदद करते हैं। आइये जानते हैं यह क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं और इनका Web3 व क्रिप्टोकरेंसी में क्या महत्त्व है।  

Wrapped Token क्या होता है?

Wrapped Token किसी ब्लॉकचेन के नेटिव एसेट का एक डिजिटल रिप्रजेंटेशन होता है, जो किसी अलग ब्लॉकचेन पर काम करता है। यह टोकन उस ओरिजिनल एसेट की वैल्यू को 1:1 के रेश्यो में बनाए रखता है।

उदाहरण के तौर पर, Wrapped Bitcoin (WBTC) एक ERC-20 टोकन है जो Ethereum Network पर काम करता है लेकिन इसकी वैल्यू हमेशा 1 BTC के बराबर होती है। यह यूज़र्स के Bitcoin को Ethereum Network पर उपयोग करने की सुविधा देता है।

Native Tokens की लिमिटेशन और Wrapped Tokens की ज़रूरत क्यों पड़ी?

अलग-अलग Blockchains, जैसे Bitcoin, Ethereum, Solana, या Avalanche, अपने-अपने नेटवर्क और प्रोटोकॉल पर चलते हैं, जो उन्हें आइसोलेटेड इकोसिस्टम की तरह बना देता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई एक टोकन सीधे दूसरे नेटवर्क पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसका कारण Native Token से जुड़ी कुछ लिमिटेशन हैं। 

Native Token की प्रमुख लिमिटेशन:

  • केवल अपने ही नेटवर्क पर काम करते हैं।
  • DeFi, NFT, या dApps जैसी सुविधाओं तक क्रॉस चेन एक्सेस नहीं होता है।
  • लिक्विडिटी फ्रेगमेंटेशन मतलब क्रिप्टो की लिक्विडिटी अलग-अलग नेटवर्क पर बँट जाती है।

इसलिए, एसेट्स को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर बिना रुकावट के इस्तेमाल करने के लिए Wrapped Tokens की ज़रूरत पड़ती है।

Wrapped Token कैसे काम करते हैं?

यह ट्रस्ट बेस्ड मैकेनिज्म और Smart Contracts पर काम करते  हैं। इसके काम करने की प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है:

  • Deposit: यूज़र अपने नेटिव एसेट जैसे BTC को किसी कस्टोडियन या स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में डिपाजिट करते हैं।
  • Minting: जब डिपाजिट वेरिफ़ाई हो जाता है, तब कस्टोडियन या Smart Contract, उसी अमाउंट का Wrapped Token जैसे WBTC मिंट करता है।
  • Usage: अब यूज़र इस Wrapped Token को किसी अन्य नेटवर्क पर DeFi, ट्रेडिंग, स्टैकिंग  आदि में उपयोग कर सकता है।
  • Burning/Redemption: जब यूज़र अपना ओरिजिनल एसेट वापस चाहता है, तो उसको Wrapped Token को बर्न करना पड़ता है और जिसके बाद कस्टोडियन उसे उससे जुड़ा नेटिव एसेट लौटा देता है।

Wrapped Token के कुछ सामान्य उदाहरण हैं:

  • WBTC (Wrapped Bitcoin): Bitcoin का Ethereum पर चलने वाला वर्जन।
  • wETH (Wrapped Ether): Ethereum का ERC-20 कम्पेटिबल वर्ज़न।
  • wAVAX: AVAX का Ethereum कम्पेटिबल टोकन।
Wrapping और Bridging में क्या अंतर है?

Wrapping एक सिंगल ब्लॉकचेन पर किसी अन्य ब्लॉकचेन के टोकन को रिप्रेजेंट करने की प्रोसेस है जबकि Blockchain Bridge का उद्देश्य दो ब्लॉकचेन के बीच टोकन या डाटा को ट्रान्सफर करना होता है।

हालांकि दोनों टेक्नोलॉजी का लक्ष्य Blockchain Interoperability को बढ़ाना है, Wrapping में टोकन रिप्रजेंटेशन होता है जबकि Bridging में टोकन मूवमेंट और कंसेंसस कोऑर्डिनेशन की प्रक्रिया शामिल होती है।

DeFi में Wrapped Tokens की भूमिका

आजकल DeFi (Decentralized Finance) Applications, मल्टी चेन आर्किटेक्चर पर डेवलप की जा रही हैं। Wrapped Tokens इन सर्विस को बिना किसी रुकावट के एक्सेस करने को संभव बनाते हैं, इसके कारण:

  • Bitcoin होल्डर्स भी अब Ethereum और अन्य ब्लॉकचेन पर Lending और Yield Farming कर सकते हैं।
  • Wrapped Tokens के द्वारा Liquidity Pools में पार्टिसिपेट किया जाता है, जो ट्रेडिंग को ज्यादा एफिशिएंट बनाता है।
  • मल्टीचेन एसेट की यूनिवर्सल एक्सेसिबलिटी DeFi एडॉप्शन की गति को तेज कर रही है।
NFTs और Cross-chain Applications में उपयोग
  • NFTs को मल्टीचेन मार्केटप्लेस में खरीदने और बेचने के लिए Wrapped Tokens पेमेंट गेटवे की तरह काम कर सकते हैं।
  • क्रॉस-चेन गेम्स, Metaverse एसेट्स और dApps में Wrapped Tokens यूनिवर्सल करेंसी  की भूमिका निभा सकते हैं।
  • Asset  Bridging की काम्प्लेक्स प्रोसेस को आसान बनाने के लिए Wrapped Tokens का प्रयोग किया जाता है।
Wrapped Tokens से जुड़े संभावित रिस्क

हालाँकि Wrapped Tokens टेक्निकल रूप से प्रभावशाली हैं, फिर भी इनमें कुछ रिस्क भी मौजूद रहते हैं:

  • Custodian Risk: अगर कस्टोडियन या प्लेटफार्म सेंट्रलाइज़्ड है, तो उसमें ट्रस्ट इशू और फेलियर का रिस्क होता है।
  • Smart Contract Bugs: वल्नरेबल या ठीक तरह से ऑडिट नहीं किया गया स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में गड़बड़ होने की संभावना होती है।
  • Centralization vs Trustlessness: अधिकांश Wrapping Solutions सेंट्रलाइज़्ड कस्टोडियन द्वारा अवेलेबल करवाए जा रहे हैं, जो ब्लॉकचेन और Web3 के डिसेंट्रलाइज़्ड नेचर को कमजोर करते हैं।
क्या Wrapped Tokens Interoperability का सस्टेनेबल सॉल्यूशन हैं?

Wrapped Tokens फिलहाल एक प्रैक्टिकल सॉल्यूशन हैं लेकिन इन्हें परमानेंट सॉल्यूशन नहीं माना  जा सकता है। Blockchain Interoperability को लेकर तेजी से काम हो रहा है और इसमें Layer-0 प्रोटोकॉल, Trustless Bridges और क्रॉस-चैन मेसेजिंग सिस्टम जैसे इनोवेशन डेवलप किए जा रहे हैं।

इनमें से कुछ इनोवेशन फ्यूचर में Wrapped Tokens पर डिपेंडेंसी को कम कर सकते हैं, लेकिन अभी के लिए ये एसेट्स को इसोलेटेड ब्लॉकचेन इकोसिस्टम से निकालकर ब्रॉडर Web3 इकोसिस्टम में उपयोग करने का सबसे प्रभावशाली तरीका हैं।

ब्लॉकचेन इकोसिस्टम में Wrapped Tokens ने इंटर ऑपरेबिलिटी और लिक्विडिटी जैसी बड़ी चुनौतियों को काफी हद तक हल कर दिया है। ये टोकन न केवल एसेट्स को अलग-अलग नेटवर्क पर एक्टिव बनाते हैं, बल्कि Web3 की मल्टीचेन दुनिया में आसान यूज़र एक्सपीरियंस की नींव रखते हैं।

हालाँकि, इनके उपयोग में कस्टोडियन ट्रस्ट और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिक्योरिटी को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। जैसे-जैसे DeFi, NFTs, और Cross-chain dApps का एडॉप्शन बढ़ रहा है, Wrapped Tokens की जरुरत भी लगातार बढती जा रही है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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