1 Bitcoin Price in 2009 in Indian Rupees, 2016 ने लिखी गई नई कहानी
Bitcoin आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। 2009 में जब इसे पहली बार पेश किया गया, तब यह महज एक टेक्नोलॉजी एक्सपेरिमेंट था। लेकिन आज यह डिजिटल गोल्ड के नाम से जानी जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण एसेट क्लास बन चुकी है। भारत में अक्सर लोग यह जानना चाहते हैं कि 1 Bitcoin Price in 2009 in Indian Rupees क्या थी और 2016 तक इसमें कैसा बदलाव आया।
जहाँ 2016 Bitcoin के लिए बेहद अहम साल रहा, जिसने इसे एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट एसेट में बदल दिया। इस ब्लॉग में हम 2009 से 2015 तक के सफर के साथ 2016 में 1 Bitcoin Price क्या था और इस समय के घटनाक्रम को विस्तार से समझेंगे।

Source - यह तस्वीर Bitcoin Whitepaper से ली गई है, यहाँ हमने इसकी ऑफिशियल लिंक भी दी है।
2009 से 2015 तक Bitcoin का सफर - एक रीवाइंड
1 Bitcoin Price in 2009 in Indian Rupees लगभग शून्य के बराबर थी और उस समय इसकी कोई मार्केट वैल्यू नहीं थी। 2010 में पिज्जा ट्रांजेक्शन ने पहली बार इसकी कीमत को जन्म दिया, जबकि 2011 में 1 Bitcoin Price $1 (करीब ₹45) तक पहुंचा। 2013 में साइप्रस क्राइसिस ने इसे $1000 (₹62,000) तक पहुंचाया, लेकिन 2014 में Mt. Gox Hack ने इसे $200-300 तक गिरा दिया। यानी 2009 से 2015 तक का दौर Bitcoin के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा, जिसने इसे एक टेक्नो एक्सपेरिमेंट से धीरे-धीरे ग्लोबल फाइनेंशियल एसेट बनने की ओर धकेला।
1 Bitcoin Price in 2016 in Indian Rupees
2016 वह साल था जब Bitcoin ने एक नई उड़ान भरी। इस दौरान 1 Bitcoin की औसत कीमत $400 से $950 के बीच रही। उस समय डॉलर-रुपया रेट लगभग ₹65-₹67 थी। यानी 2016 में 1 Bitcoin Price in Indian Rupees ₹26,000 से ₹63,000 के बीच रही।
यह एक ऐसा समय था जब भारत और दुनिया भर में लोग Bitcoin को गंभीरता से लेने लगे। 2013-14 की गिरावट के बाद 2016 की कीमत ने साबित कर दिया कि Bitcoin सिर्फ एक डिजिटल कॉइन नहीं, बल्कि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट है।
2016 में Bitcoin के लिए क्या खास हुआ?
1. 2nd Bitcoin Halving
जुलाई 2016 में दूसरी Bitcoin Halving हुआ। इससे माइनिंग रिवॉर्ड 25 BTC से घटकर 12.5 BTC हो गया। इसका सीधा असर सप्लाई पर पड़ा और कीमत में धीरे-धीरे बढ़त देखने को मिली। निवेशकों को यह समझ आने लगा कि Bitcoin की लिमिटेडसप्लाई (21 मिलियन) ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
2. भारत में डिमोनेटाइजेशन
नवंबर 2016 में भारत सरकार ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद कर दिए। अचानक कैश क्राइसिस की वजह से लोगों का ध्यान डिजिटल पेमेंट और ऑप्शनल करेंसी की ओर गया। उसी समय भारत में Bitcoin की डिमांड और सर्च ट्रेंड्स तेजी से बढ़ गए। कई छोटे निवेशकों ने पहली बार Bitcoin खरीदना शुरू किया।
3. ग्लोबल अडॉप्शन
2016 में दुनिया भर की कई कंपनियों ने Bitcoin को पेमेंट के तौर पर स्वीकार करना शुरू किया। इससे यह धारणा मजबूत हुई कि Bitcoin सिर्फ “ट्रेडिंग टोकन” नहीं बल्कि एक पेमेंट सिस्टम भी हो सकता है।
4. रेगुलेटरी बहस की शुरुआत
2016 ने सरकारों और रेगुलेटर्स को यह सोचने पर मजबूर किया कि Bitcoin को कैसे कंट्रोल किया जाए। हालांकि भारत में उस समय कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं थी, लेकिन डिमोनेटाइजेशन के बाद मीडिया और पब्लिक डिबेट में Bitcoin का नाम बार-बार आने लगा।
2016 में Bitcoin बना रियल फाइनेंशियल असेट
2016 तक Bitcoin कई लोगों के लिए “टेक लवर्स की हॉबी” था। लेकिन Halving, डिमोनेटाइजेशन और ग्लोबल अडॉप्शन ने इसे एक रियल फाइनेंशियल एसेट के रूप में स्थापित किया। यह वह समय था जब पहली बार लोग इसे “डिजिटल गोल्ड” कहने लगे। इसकी कीमत में स्थिरता ने इसे लॉन्ग-टर्म होल्डर्स का फेवरेट बना दिया। साथ ही साथ टेक्नोलॉजी कम्युनिटी से बाहर निकलकर यह आम जनता और निवेशकों तक पहुंच गया।
यानी 2016 ने Bitcoin को यह साबित करने का मौका दिया कि यह सिर्फ एक "एक्सपेरिमेंट" नहीं बल्कि एक "एसेट क्लास" है। अगर आप हमारी इस सीरिज का पिछला ब्लॉग 1 Bitcoin Price in 2009 in Indian Rupees, 2015 रहा गेम चेंजर, पढ़ना चाहते हैं तो लिंक पर क्लिक करें।
2016 में Bitcoin को मिली असली पहचान
मैं पिछले 3 साल से क्रिप्टो राइटिंग और रिसर्च कर रहा हूँ। इस दौरान मैंने Bitcoin और उससे जुड़ी कई स्टडीज को गहराई से पढ़ा है। मेरा मानना है कि 2016 Bitcoin के लिए वह साल था जब इसे असली पहचान मिली।
मैंने खुद कई क्रिप्टो प्लेटफॉर्म और Bitcoin चार्ट्स का विश्लेषण किया है। 2016 के डेटा को देखकर साफ दिखता है कि उस साल की घटनाओं ने लोगों की सोच बदल दी। अपने खुद के अनुभव से कहूं तो अगर किसी ने 2016 में सिर्फ ₹50,000 रूपए Bitcoin में निवेश किए होते, तो कुछ साल बाद उनकी वैल्यू लाखों में बदल जाती।
साथ ही, मैंने यह भी देखा है कि Bitcoin की वोलैटिलिटी ने कई शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को नुकसान पहुँचाया। इसलिए मेरी राय है कि Bitcoin को हमेशा लॉन्ग-टर्म नजरिए से देखना चाहिए। क्योंकि बीते सालों में BTC यह साबित कर चुका है कि वह है लॉन्ग-टर्म के लिए होल्ड करने वाली असेट है।
2009 से 2016 तक Bitcoin Price का बदलाव - एक झलक
साल | 1 Bitcoin Price (USD) | 1 Bitcoin Price (INR Approx.) | खास घटना |
2009 | कोई मार्केट वैल्यू नहीं | < ₹0.10 | Bitcoin का जन्म |
2010 | $0.003 | ₹0.15 | पहला Bitcoin ट्रांजेक्शन (पिज्जा) |
2011 | $1 - $30 | ₹45 - ₹1350 | पहली बड़ी स्पाइक |
2013 | $1000 | ~₹62,000 | साइप्रस क्राइसिस, पहली बुल रन |
2014 | $200-300 | ₹13,000 - ₹20,000 | Mt. Gox हैक |
2016 | $400-950 | ₹26,000 - ₹63,000 | दूसरा Halving, डिमोनेटाइजेशन |
कन्क्लूजन
1 Bitcoin Price in 2009 in Indian Rupees लगभग शून्य थी, लेकिन 2016 तक यह ₹63,000 तक पहुंच गई। यह सात साल का सफर Bitcoin की ताकत और इसकी संभावनाओं को दिखाता है।
2016 वह साल था जिसने Bitcoin को आम जनता तक पहुँचाया और इसे "डिजिटल गोल्ड" की पहचान दिलाई। मैं अपने अनुभव और विश्लेषण से यह कह सकता हूँ कि अगर 2016 नहीं होता, तो शायद Bitcoin आज इतना बड़ा नाम नहीं बन पाता।