टैरिफ वॉर का इम्पैक्ट, China-Russia करेंगे Bitcoin में ट्रेड
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टैरिफ वॉर का इम्पैक्ट, China-Russia करेंगे Bitcoin में ट्रेड

आज के डिजिटल युग में दुनिया भर के देश अपने फाइनेंशियल सिस्टम्स को नए तरीके से देख रहे हैं और इस बदलाव के सेंटर में है Bitcoin। अब ये सिर्फ एक इन्वेस्टमेंट असेट नहीं रहा, बल्कि ग्लोबल ट्रेड का एक इम्पॉर्टेंट टूल बनता जा रहा है। VanEck की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, रूस और चीन ने इसे एनर्जी ट्रेड जैसे अहम सेक्टर्स में अपनाना शुरू कर दिया है, जो उनकी उस स्ट्रैटेजी का हिस्सा है जिसमें वो डॉलर-डॉमिनेटेड सिस्टम से हटकर एक इंडिपेंडेंट डिजिटल तरीका अपना रहे हैं।

रूस और चीन की नई स्ट्रैटेजी

रूस और चीन ने हाल ही में कुछ एनर्जी डील्स और फाइनेंशियल ट्रांज़ैक्शन्स Bitcoin के थ्रू सेटल किए हैं। ये मूव एक क्लियर सिग्नल है कि वो अपने ट्रेड को ट्रेडिशनल अमेरिकी डॉलर सिस्टम से बाहर निकालना चाहते हैं। Bitcoin (BTC) का सबसे बड़ा एडवांटेज ये है कि इस पर किसी भी गवर्नमेंट का डायरेक्ट कंट्रोल नहीं होता, जिससे इन देशों को अपने ट्रेड में ज़्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और ऑटोनॉमी मिलती है।

इन दोनों देशों के लिए BTC सिर्फ एक डिजिटल असेट नहीं, बल्कि एक जियो-इकोनॉमिक टूल बन गया है, जिसके ज़रिए वो अपने फाइनेंशियल डिसीज़न्स, बिना किसी सेंट्रलाइज़्ड इंटरफेरेंस के खुद ले सकते हैं।

अमेरिकी पॉलिसी और ग्लोबल रिस्पॉन्स

अमेरिका की तरफ से लगाए गए ट्रेड टैरिफ्स और फाइनेंशियल प्रेशर ने रूस और चीन को मजबूर किया कि वो अल्टरनेटिव पेमेंट सिस्टम्स को एक्सप्लोर करें। इन्हीं कंडीशन्स ने Bitcoin जैसे डिसेंट्रलाइज़्ड पेमेंट ऑप्शन्स को सीरियसली लेने का रास्ता खोला है। आज के ग्लोबल लैंडस्केप में देश अपने ट्रेड सिस्टम्स को डाइवर्सिफाई कर रहे हैं ताकि वो एक ही करेंसी या एक ही इकोनॉमी पर डिपेंड न रहें।

इस बदलाव का मतलब है कि अब क्रिप्टो एडॉप्शन सिर्फ एक टेक या इन्वेस्टमेंट का क्रेज़ नहीं, बल्कि जियोपॉलिटिकल और फाइनेंशियल सेल्फ-रिलायंस का एक स्ट्रॉन्ग स्टेप है।

फ्रांस, बोलिविया और दूसरे देश भी लाइन में

क्रिप्टो एडॉप्शन सिर्फ रूस और चीन तक सीमित नहीं है। बोलिविया ने भी अनाउंस किया है कि वो आने वाले समय में बिजली को क्रिप्टो-बेस्ड पेमेंट्स के ज़रिए इंपोर्ट करेगा। फ्रांस की बड़ी एनर्जी कंपनी EDF भी अपनी सरप्लस एनर्जी का यूज़ करके Bitcoin Mining का प्लान बना रही है, जो अभी जर्मनी को एक्सपोर्ट होती है।

साथ ही, अर्जेंटीना और वेनेज़ुएला जैसे देशों में ,जहां महंगाई ज़्यादा है और लोकल करेंसी कमज़ोर हो चुकी है, वहां के लोग भी BTC को एक “सेफ़र स्टोर ऑफ वैल्यू” के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। ये सारे एग्ज़ाम्पल्स दिखाते हैं कि डिजिटल करेंसी का रोल अब गवर्नमेंट्स से लेकर आम लोगों तक हर लेवल पर बढ़ रहा है।

बिटकॉइन की बदलती हुई इमेज

पहले जहां Bitcoin को एक सट्टेबाज़ी वाला असेट माना जाता था, अब इन्वेस्टर्स इसे एक Macro Hedge के रूप में देखने लगे हैं। डॉलर की कमजोरी, फेडरल रिज़र्व की नीतियां और मार्केट लिक्विडिटी, ये सारे फैक्टर्स Bitcoin के फेवर में जा रहे हैं। अब ये ट्रेडिशनल इकोनॉमिक प्रेशर के लिए पहले जितना सेंसिटिव नहीं रहा, जो इसकी मैच्योरिटी और स्टेबिलिटी को दिखाता है।

कन्क्लूज़न

जब रूस और चीन जैसे बड़े देश BTC का इस्तेमाल अपने स्ट्रैटेजिक ट्रेड में करने लगें, तो ये साफ हो जाता है कि फाइनेंशियल वर्ल्ड तेजी से शिफ्ट हो रहा है। देश अब डॉलर-बेस्ड सिस्टम्स से हटकर अपना खुद का इकोनॉमिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं और Bitcoin उस ट्रांज़िशन का कोर पार्ट है।

अगर आप क्रिप्टो में इन्वेस्ट करते हैं या करने का सोच रहे हैं, तो ये समझने का सही समय है कि Bitcoin अब सिर्फ एक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन नहीं, बल्कि एक ग्लोबल फाइनेंशियल रिवॉल्यूशन का हिस्सा है।

About the Author Srishty Malviya

Crypto Journalist Cryptohindinews.in

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