Cryptocurrency के लीगल स्टेटस को लेकर मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Madras High Court ने क्रिप्टो को बताया प्रॉपर्टी, क्या है इसके मायने
भारत में Cryptocurrency के लीगल स्टेटस पर चल रही बहस को लेकर Madras High Court ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि Cryptocurrency को भारतीय कानून के तहत “संपत्ति” (Property) माना जा सकता है, भले ही यह Legal Tender न हो।
यह निर्णय न केवल निवेशकों के लिए राहत भरा है बल्कि Coin Act और आने वाले रेगुलेटरी ढांचे की दिशा तय करने वाला भी साबित हो सकता है।

Source: यह इमेज Madras High Court के Official Judgement से ली गयी है।
मद्रास हाईकोर्ट का मत: "Crypto is Property, Not Currency"
शनिवार को आए इस फैसले में Justice N Anand Venkatesh ने कहा “Cryptocurrency एक ऐसी इनटेंजीबल प्रॉपर्टी है, जो भले करेंसी न हो, परंतु यह ओनरशिप और ट्रस्ट के रूप में रखी जा सकती है।”
यह फैसला Rhutikumari v. Zanmai Labs Pvt. Ltd. केस में आया, जिसमें एक इन्वेस्टर की WazirX अकाउंट से जुड़ी XRP Holdings साइबर हमले के बाद फ्रीज़ कर दी गई थीं।
क्यों Cryptocurrency को माना गया "Property Under Indian Law"
कोर्ट ने कहा कि क्रिप्टो एसेट्स भले डिजिटल डेटा के रूप में मौजूद हों, लेकिन उनमें प्रॉपर्टी के सभी आवश्यक गुण हैं, जैसे
- पहचानने योग्य (Identifiable)
- ट्रांसफर करने योग्य (Transferable)
- एक्सक्लूसिव कंट्रोल (Exclusive Control)
- स्वामित्व योग्य (Capable of Ownership)
इन गुणों के आधार पर न्यायालय ने माना कि Cryptocurrency भी एक ऐसी संपत्ति है जिसे भारतीय कानून के तहत स्वामित्व और संरक्षण प्राप्त हो सकता है।
कोर्ट ने अपने फैसले में Ahmed GH Ariff v. CWT और Jilubhai Nanbhai Khachar v. State of Gujarat जैसे भारतीय मामलों और Ruscoe v. Cryptopia Ltd (New Zealand) तथा AA v. Persons Unknown (UK) जैसे अंतरराष्ट्रीय मामलों का हवाला दिया।
क्या अब क्रिप्टो संपत्ति के अधिकार में शामिल होगी?
यह फैसला भारतीय कानूनी प्रणाली के लिए एक बड़ा संकेत है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(47A) पहले से ही Virtual Digital Asset (VDA) के रूप में Cryptocurrency को मान्यता देती है। कोर्ट ने कहा, “भारतीय कानून व्यवस्था में Cryptocurrency को एक Virtual Digital Asset के रूप में स्वीकार किया गया है, जिसे कलेक्ट, ट्रेड और सेल किया जा सकता है,”।
इससे संकेत मिलता है कि Cryptocurrency अब Right to Property के तहत भी आ सकती है, जिसका सीधा असर भविष्य में टैक्सेशन, इन्वेस्टमेंट और इनहेरिटेंस जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा।
केस डिटेल: WazirX हैक और निवेशक की याचिका
- जनवरी 2024 में Rhutikumari नामक इन्वेस्टर ने WazirX Exchange (Zanmai Labs द्वारा संचालित) पर ₹1,98,516 इन्वेस्ट कर 3,532.30 XRP कॉइन खरीदे।
- जुलाई 2024 में WazirX के एक Cold Wallet पर साइबर अटैक हुआ जिसमें Ethereum और ERC-20 टोकन चोरी हुए।
- इसके बाद WazirX ने सभी यूजर अकाउंट फ्रीज़ कर दिए, जिसमें याचिकाकर्ता का अकाउंट भी शामिल था।
इन्वेस्टर ने दावा किया कि उसके XRP होल्डिंग्स Ethereum Hack से प्रभावित नहीं थे और कंपनी उसके एसेट्स की कस्टोडियन थी। उसने Arbitration and Conciliation Act, 1996 की धारा 9 के तहत इंजंक्शन की मांग की।
कोर्ट की जुरिस्डिक्शन पर आपत्ति और फैसला
Zanmai Labs ने यह दलील दी कि कंपनी की पैरेंट एंटिटी Zettai Pte Ltd (सिंगापुर) है और मामला वहां की कोर्ट में चल रहा है, इसलिए Madras High Court का अधिकार नहीं बनता।
लेकिन Justice Venkatesh ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि
- इन्वेस्टर ने Kotak Mahindra Bank (Chennai) से ट्रांसफर किया,
- ट्रेडिंग भारत से ही की गई,
- और Zanmai Labs भारत में Financial Intelligence Unit (FIU) के तहत रजिस्टर्ड है।
इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि मामले का एक बड़ा भाग भारत से जुड़ा हुआ है, इसलिए Madras High Court को इस पर अधिकार है।
Coin Act और रेगुलेशन की दिशा तय कर सकता है यह फैसला
यह निर्णय क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए बेहद अहम है क्योंकि यह भारतीय कानून में क्रिप्टो एसेट्स की वैधता (Legality) को मजबूती देता है। यदि सरकार आने वाले Coin Act में इस दिशा को अपनाती है, तो निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ Crypto Custody, Taxation और Fraud Prevention जैसी नीतियों को भी कानूनी आधार मिलेगा।
यह फैसला भारतीय न्यायपालिका द्वारा Web3 और Blockchain Asset Ownership को मान्यता देने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
कन्क्लूज़न
मद्रास हाईकोर्ट का यह फैसला सिर्फ एक कानूनी निर्णय नहीं, बल्कि भारत में क्रिप्टो एसेट्स के लीगल स्टेटस में स्पष्टता लाने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ है। इसने यह साफ कर दिया है कि Virtual Digital Assets, भले मुद्रा न हों, लेकिन वे “संपत्ति” के रूप में भारतीय नागरिकों के स्वामित्व और अधिकार में शामिल हैं।
यह फैसला आगे चलकर भारत में Crypto Regulation Framework की नींव रख सकता है, जिससे Blockchain Economy को एक लीगल, ट्रांसपेरेंट और सुरक्षित दिशा मिल सकती है।
Disclaimer: यह आर्टिकल इनफार्मेशन के पर्पस से लिखा गया है। क्रिप्टो मार्केट वोलेटाइल है किसी भी प्रकार के इन्वेस्टमेंट के लिए अपनी रिसर्च जरुर करें।
