DeepSeek का AI मॉडल R1-0528 हुआ लॉन्च, जाने इसमें क्या है ख़ास
2025 की शुरुआत में लॉन्च होने के बाद से चीनी AI मॉडल DeepSeek लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। DeepSeek के पहले AI मॉडल R1 ने लॉन्च के बाद से ही इंडस्ट्री में को चौंका दिया था। इसी दौरान कंपनी ने R2 मॉडल की घोषणा भी की थी, जिसका AI टेक्नोलॉजी यूजर्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन इससे पहले, DeepSeek ने एक और सरप्राइज देते हुए R1 का अपग्रेडेड वर्जन R1-0528 लॉन्च कर दिया है जिसकी जानकारी DeepSeek की X पोस्ट पर दी गई । कंपनी का दावा है कि यह OpenAI के O3 और Google Gemini 2.5 Pro मॉडल के बराबर क्षमता प्राप्त कर चुका है।
Hugging Face पर किया गया लॉन्च
DeepSeek ने इस नए वर्जन को Hugging Face प्लेटफॉर्म पर बिना किसी प्रेस रिलीज़ या बड़ी घोषणा के लॉन्च किया है। इसके बावजूद, R1-0528 ने फिर से वही चर्चा बटोरी जो R1 के लॉन्च के वक्त देखने को मिली थी। DeepSeek के मुताबिक, इस मॉडल में रीजनिंग डेप्थ, मैथेमेटिकल एक्यूरेसी और लॉजिकल इन्फेरेंस जैसी क्षमताओं में बड़ा सुधार किया गया है और अब यह वर्जन पहले से कहीं ज्यादा “स्मार्ट, लॉजिकल और एक्यूरेट” है।
क्या खास है R1-0528 में?
DeepSeek R1-0528 अब पहले से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से काम्प्लेक्स रीजनिंग टास्क को हैंडल कर सकता है। कंपनी का दावा है कि यह AI मॉडल अब OpenAI के o3 और Google Gemini 2.5 Pro जैसे टॉप-टियर मॉडलों के प्रदर्शन के करीब पहुंच चुका है। साथ ही, इसकी लॉजिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सोल्विंग एबिलिटी को भी काफी बेहतर किया गया है।
AI रिसर्चर Adina Yakefu का कहना है, “DeepSeek अब सिर्फ बड़ी कंपनियों का पीछा नहीं कर रहा, बल्कि उनसे सीधा मुकाबला कर रहा है।”
इसके अलावा, इस नए वर्जन में Hallucination Rate यानी गलत जानकारी देने की दर को कम किया गया है। DeepSeek का यह भी दावा है कि R1-0528 अब Vibe Coding में भी बेहतर परफॉर्म करता है।
लेकिन सेंसरशिप को लेकर उठे सवाल
जहां एक ओर DeepSeek R1-0528 की टेक्नोलॉजी की तारीफ हो रही है, वहीं इस नए वर्जन में सेंसरशिप को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
TechCrunch की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मॉडल चीन के शिनजियांग क्षेत्र या उइगर मुस्लिमों से जुड़े सवालों पर या तो स्पष्ट जवाब नहीं देता या फिर चीन सरकार के आधिकारिक दृष्टिकोण को दोहराता है। एक डेवलपर ने SpeechMap वेबसाइट पर विभिन्न AI मॉडल्स का सेंसरशिप टेस्ट किया और X पर लिखा, “DeepSeek का नया वर्जन R1-0528 फ्री स्पीच के मामले में एक कदम पीछे है।”
वैश्विक AI रेस में चीन की तेज़ी से बढ़ती भागीदारी
जब जनवरी 2025 में DeepSeek R1 लॉन्च किया गयाथा, तब यह एक सीमित बजट और कम संसाधनों में विकसित किया गया मॉडल था। बावजूद इसके, इसने Meta और OpenAI जैसे हाई-बजट प्रोजेक्ट्स को सीधे चुनौती दी थी। इसके चलते Nvidia जैसे अमेरिकी टेक दिग्गज के शेयरों में भी अस्थायी गिरावट देखी गई थी।
अब जब R1-0528 चर्चा में है, यह साफ है कि चीन की AI कंपनियां ग्लोबल AI रेस में न केवल जगह बना रही हैं, बल्कि क्वालिटी और प्रतिस्पर्धा के स्तर पर भी मजबूत होती जा रही हैं।
भारत की AI स्पेस में क्या स्थिति है?
जहां चीन और USA जैसे देश AI रेस में टॉप पोजिशन के लिए जूझ रहे हैं, वहीं भारत भी अब इस दौड़ में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने IndiaAI Mission की घोषणा की है, जिसके तहत ₹10,000 करोड़ से अधिक का बजट केवल AI इंफ्रास्ट्रक्चर, कम्प्यूट क्लस्टर्स और टैलेंट डेवलपमेंट के लिए तय किया गया है। भारत का फोकस न केवल AI टूल्स के इस्तेमाल पर है, बल्कि इंडिजिनस AI मॉडल्स को तैयार करने और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के साथ इनके इंटीग्रेशन पर भी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत कितनी जल्दी इस रेस में एक प्रतिस्पर्धी के रूप में जुड़ने वाला है।
कन्क्लूज़न
DeepSeek का R1-0528 वर्जन इस बात का संकेत है कि चीन की AI इंडस्ट्री अब न केवल तेजी से विकसित हो रही है, बल्कि वैश्विक लीडर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी है। यह मॉडल तकनीकी रूप से जहां एक ओर मजबूत लॉजिकल और मैथेमेटिकल कैपेबिलिटी दिखाता है, वहीं सेंसरशिप जैसे मुद्दे AI के फ्रीडम और निष्पक्षता पर सवाल भी खड़े करते हैं। दूसरी ओर भारत भी अब इस रेस में गंभीरता से उतर चुका है और एक ठोस रणनीति के तहत अपनी AI क्षमता को मजबूत कर रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इसमें किस तरह अपनी जगह बनाता है।
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