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NFT की मार्केट वैल्यू को तय करने वाले फेक्टर्स को जानिए

मानव सभ्यता की शुरुआत से ही कला के विभिन्न रूप सामने आते रहे हैं। पेंटिंग्स, म्यूजिक, डांस, कहानी से लेकर Meme तक मानव ने कई तरह के आर्ट फॉर्म्स को जन्म दिया है, लेकिन हम आज इनको बनाने वालों में से अधिकांश का न तो नाम जानते हैं न ही यह जानते हैं कि उन्हें अपने इस महान काम का क्या फल मिला था। इसके कारण कला मनोरंजन के साधन के रूप में तो उभरी लेकिन कलाकार की स्थिति हमेशा की तरह दयनीय ही बनी रही।

लेकिन अब ऐसा नहीं है, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित NFT ने इस स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। इसने न केवल यह पक्का किया है की किसी आर्ट को बनाने वाले आर्टिस्ट को उसके काम के लिए रिकोग्निशन मिले बल्कि NFT Marketplace की शुरुआत ने उसे अपने आर्ट को सही वैल्यू पर बेचने की सुविधा भी प्रदान की है। 

हमने अपनी ब्लॉग सीरीज में इससे जुड़े सभी पहलुओं को शामिल किया है, जिन्हें आप हमारे Crypto Blog Hindi Section में जाकर पढ़ सकते हैं, आज इस ब्लॉग में हम समझेंगे की वो कौन-से फेक्टर्स हैं, जो किसी NFT की मार्केट वैल्यू पर प्रभाव डालते हैं, विस्तार से।

फेक्टर्स जो NFT की मार्केट वैल्यू को प्रभावित करते हैं

  • डिमांड: मार्केट में NFT को लेकर दिलचस्पी

डिमांड वह पहली और सबसे बड़ी शक्ति है जो किसी NFT की मार्केट वैल्यू को प्रभावित करती है। अगर किसी एनएफटी कलेक्शन की मार्केट में ज़बरदस्त डिमांड है, तो उसकी प्राइस ऑटोमेटिकली बढ़ जाती है।

उदाहरण के तौर पर, Bored Ape Yacht Club को लीजिए इस प्रोजेक्ट के एनएफटी की मार्केट वैल्यू इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि इनके पीछे एक वाइब्रेंट कम्युनिटी, सेलेब्रिटी इन्वॉल्वमेंट और एक्सक्लूसिविटी है।

अगर किसी एनएफटी में ट्रेंडिंग एलिमेंट्स हैं जैसे गेमिंग, म्यूज़िक या पॉप कल्चर तो उसकी डिमांड भी नैचुरली बढ़ती है। कई बार कुछ एनएफटी की डिमांड शोर्ट-टर्म हाइप से भी बनती है, लेकिन लॉन्ग-टर्म वैल्यू के लिए इसका लगातार ट्रेंड में बना रहना ज़रूरी है।

  • यूटिलिटी: क्या NFT की कोई यूटिलिटी भी है?

कई लोग सोचते हैं कि एनएफटी सिर्फ़ आर्ट या कलेक्टिबल्स हैं। लेकिन जब से NFT के साथ यूटिलिटी भी जुड़ी है, जैसे किसी खास इवेंट का एक्सक्लूसिव टिकट आजकल एनएफटी के रूप में बेचा जा रहा है, तब से यूटिलिटी भी NFT की मार्केट वैल्यू डिफाइन करने का बहुत अहम पैमाना हो गयी है।

उदाहरण के लिए, कुछ एनएफटी आपको किसी मेटावर्स इवेंट या गेमिंग प्लैटफ़ॉर्म पर एक्सेस देते हैं। कुछ एनएफटी Token-gated Content, IRL Events या सब्सक्रिप्शन मॉडल्स से जुड़े होते हैं मतलब सिर्फ़ एनएफटी होल्डर ही इसे एक्सेस कर सकता है। इस तरह की यूटिलिटी इसे एक डिजिटल पासपोर्ट बना देती है, जिससे उस NFT की मार्केट वैल्यू और भी बढ़ जाती है।

  • यूनिकनेस: NFT कितना रेयर और खास है?

किसी एनएफटी की एक बड़ी महत्वपूर्ण खूबी उसकी यूनिकनेस होती है मतलब वह कितना रेयर है और क्या उसमें कुछ ऐसा है जो उसे दूसरों से अलग बनाता है?

अगर किसी खास तरह की एनएफटी की टोटल सप्लाई बहुत लिमिटेड है, या फिर उसमें कुछ ऐसे रेयर ट्रेट्स जुड़े हैं जैसे अपनी तरह का अकेला आर्टवर्क या किसी मशहूर क्रिएटर का पहला पीस, तो उस NFT की मार्केट वैल्यू खुद-ब-खुद बढ़ जाती है। कलेक्टर्स ऐसे एनएफटी को ज़्यादा प्राइस पर खरीदने को तैयार रहते हैं क्योंकि वे उन्हें एक डिजिटल एसेट की तरह होल्ड करते हैं।

यूनिकनेस सिर्फ डिज़ाइन या ग्राफिक्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तय करती है कि वह एनएफटी डिजिटल इकोनॉमी में कितनी अहमियत रखता है।

  • क्रिएटर और ब्रांड वैल्यू: कौन बना रहा है NFT?

किसी NFT का क्रिएटर कौन है, यह उसकी मार्केट वैल्यू तय करने में बेहद महत्वपूर्ण होता है।

अगर कोई फेमस डिजिटल आर्टिस्ट जैसे Beeple या कोई ऐसा ब्रांड जो मार्केट में पहले से स्थापित है, जैसे Nike या Gucci कोई एनएफटी जारी करता है, तो उस पर तुरंत लोगों की नज़र जाती है। क्रिएटर की क्रेडिबिलिटी, उसका पिछला वर्क और उनकी कम्युनिटी एंगेजमेंट उस NFT की मार्केट वैल्यू को कई गुना बढ़ा सकते हैं। इस तरह से कह सकते हैं कि एनएफटी की वैल्यू सिर्फ़ डिजिटल फाइल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उस नाम और भरोसे की भी होती है जो उसके पीछे होता है।

  • NFT की हिस्ट्री और Provenance: पहले किसके पास था?

Provenance का अर्थ होता है, किसी NFT का इतिहास, वह पहले किसके पास था, कब मिंट हुआ, और वह पहले किस वैल्यू पर बिका था, उसकी वैल्यू समय के साथ कितनी बढ़ी या कम हुई, ये सब फैक्टर्स भी उस NFT की मार्केट वैल्यू को प्रभावित करते हैं।

अगर कोई एनएफटी किसी जानी-मानी वॉलेट से खरीदा गया हो या उसे किसी सेलेब्रिटी ने होल्ड किया हो, तो उसकी वैल्यू बढ़ना तय है। इसी तरह हर ट्रांज़ैक्शन के साथ अगर किसी NFT की वैल्यू बढ़ी ही है तो उसकी यह हिस्ट्री भी उसकी मार्केट वैल्यू तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है। Blockchain Technology और NFT के इंटीग्रेशन का सबसे बड़ा फायदा ही यह है कि इसपर हर ट्रांज़ैक्शन का ओपन रिकॉर्ड होता है, जिससे NFT की Ownership और Provenance के साथ-साथ उसकी ऑथेंटिसिटी ट्रेस करना आसान हो जाता है।

जैसे रियल वर्ल्ड में पुरानी पेंटिंग्स की वैल्यू उनके इतिहास से बनती है, वैसे ही डिजिटल वर्ल्ड में NFT का Provenance मायने रखता है।

  • प्लेटफॉर्म और लिक्विडिटी का इम्पैक्ट

कोई एनएफटी किस प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्टेड है और उस NFT Marketplace में कितनी लिक्विडिटी है, ये भी उसकी कीमत तय करने वाला अहम फैक्टर है, जिसे कई आर्टिस्ट और इन्वेस्टर इग्नोर कर देते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई एनएफटी OpenSea या Blur जैसे हाई-वॉल्यूम प्लेटफॉर्म पर है, तो उसके बिकने के चांसेज़ और प्राइस दोनों ही बेहतर होंगे। वहीं अगर किसी एनएफटी का ट्रेडिंग वॉल्यूम कम है, तो उसे सेल करना मुश्किल हो सकता है, जिससे उस NFT की मार्केट वैल्यू गिर सकती है।

प्लेटफ़ॉर्म्स की फीस स्ट्रक्चर, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट स्टैंडर्ड्स जैसे ERC-721 या ERC-1155 और ट्रेडिंग टूल्स भी NFT की वैल्यू पर असर डालते हैं।

तो इस तरह से हमने जाना की एनएफटी की डिमांड, यूटिलिटी, यूनिकनेस, क्रिएटर और ब्रांड वैल्यू, उसकी हिस्ट्री और Provenance, वह किस प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड है वो सारे इम्पोर्टेन्ट फेक्टर्स हैं जो किसी NFT की मार्केट वैल्यू को प्रभावित करते हैं। तो अगर आप इन्वेस्टर हैं और कोई एनएफटी खरीदना चाहते हैं या कोई आर्टिस्ट हैं और अपनी एनएफटी को बेचना चाहते हैं तो इन सभी फेक्टर्स का ध्यान रखें।  

डिमांड, यूनिकनेस और यूटिलिटी के संतुलन से ही असली क्रिएट होती है

एक अच्छा NFT वही होता है जिसमें डिमांड, यूनिकनेस और यूटिलिटी का संतुलन हो।

  • अगर कोई एनएफटी यूनिक है लेकिन उसमें कोई यूटिलिटी नहीं, तो वह सिर्फ एक कलेक्टिबल बनकर रह जाता है।
  • अगर उसमें यूटिलिटी है लेकिन मार्केट में कोई डिमांड नहीं, तो उसकी वैल्यू नहीं बनती।
  • और अगर वह बहुत डिमांड में है लेकिन ज़्यादा सप्लाई और कम रेयरनेस है, तो उसकी लॉन्ग-टर्म वैल्यू गिर सकती है।

इसलिए एनएफटी इन्वेस्टमेंट या क्रिएशन में इन तीनों एंगल्स का एनालिसिस करना बहुत ज़रूरी है।

इस तरह से हम समझ सकते हैं कि किसी NFT की मार्केट वैल्यू का असेसमेंट सिर्फ़ एक फॉर्मूला नहीं है, बल्कि एक डायनामिक प्रोसेस है जिसमें मार्केट बिहेवियर, टेक्नोलॉजी और ह्यूमन साइकोलॉजी सबका रोल होता है।

NFTs केवल डिजिटल फाइल्स नहीं, बल्कि वे एक नए तरह की डिजिटल एसेट क्लास हैं जिनमें कल्चर, कम्युनिटी और क्रिएटिविटी का संगम होता है। अगर आप एनएफटी में दिलचस्पी रखते हैं चाहे आप क्रिएटर हों या कलेक्टर तो आपको यह समझना ज़रूरी है कि उनकी वैल्यू कैसे और किन फेक्टर्स से तय होती है।

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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