Crypto Tax चोरी करने वालों पर भारत सरकार ने कसा शिकंजा
भारत सरकार अब Crypto Tax चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। Bitcoin, Ethereum और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) से कमाई करने वाले इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को टैक्स नियमों का पालन करना जरूरी है, लेकिन सच्चाई यह है कि बड़ी संख्या में लोग अब तक Crypto Tax से बचते रहे हैं। अब भारत सरकार के Central Board of Direct Taxes (CBDT) ने ऐसे मामलों की गहन जांच शुरू कर दी है और हज़ारों नोटिस भेजे जा चुके हैं। इस खबर ने भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग कम्युनिटी में हलचल मचा दी है।
कहाँ से शुरू हुई जांच और सरकार के क्या हैं कदम?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को यह संकेत मिले कि अधिकांश क्रिप्टो यूजर्स ने अपने मुनाफे की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दी है। Bitcoin, Ethereum जैसे टॉप डिजिटल एसेट्स की खरीद-फरोख्त से लाखों का लाभ होने के बावजूद टैक्स चोरी की जा रही थी।
इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए CBDT ने अब Crypto Tax चोरी को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के अंतर्गत भी देखना शुरू कर दिया है। मार्च 2023 में PMLA में बदलाव कर क्रिप्टो लेनदेन को भी शामिल किया गया, जिससे अब क्रिप्टो एक्सचेंजों को KYC जांच, लेनदेन रिकॉर्ड रखने और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग करना अनिवार्य है।
Crypto Tax नियम: क्या है कानून के तहत दंड?
भारत सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2022 के तहत Virtual Digital Assets पर कर व्यवस्था स्पष्ट की थी:
- 30% टैक्स: Crypto Tax का फ्लैट रेट सभी लाभ पर लगाया जाता है (Section 115BBH)
- 1% TDS: हर ट्रांजैक्शन पर कर कटौती (Section 194S)
इस Crypto Tax नियम के बावजूद बहुत से ट्रेडर्स और होल्डर्स अपनी आय की जानकारी नहीं दे रहे हैं। अब CBDT डेटा एनालिसिस और बैंक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड के आधार पर संदिग्ध यूज़र्स की पहचान कर रहा है और उन्हें नोटिस भेज रहा है।
नोटिस मिलने वाले कौन लोग हैं और सरकार की अगली कार्रवाई क्या हो सकती है?
CBDT के सूत्रों के अनुसार, अब तक हज़ारों लोगों को टैक्स चोरी के संदेह में नोटिस भेजे जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे यूजर्स हैं जिन्होंने वॉलेट्स या एक्सचेंजों पर बड़ी राशि में ट्रेड किया है लेकिन अपने आयकर विवरण में उसका उल्लेख नहीं किया।
यदि नोटिस मिलने के बावजूद कोई व्यक्ति टैक्स नहीं भरता है, तो उस पर पेनल्टी, ब्याज और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भी भूमिका हो सकती है।
इस विषय में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि, “क्रिप्टो डीलर और एक्सचेंजों को बैंक जैसी ज़िम्मेदारियां निभानी होंगी, जिससे सरकार ट्रेडिंग एक्टिविटी पर कड़ी निगरानी रख सके।”

Source – X
सरकार की कार्रवाई जरूरी लेकिन ट्रांसपेरेंसी और जागरूकता भी जरुरी
हम मानते हैं कि सरकार की यह Crypto Tax जांच जरूरी है ताकि टैक्स बेस मजबूत हो और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान न हो। हालांकि, इसका एक साइड इफेक्ट यह हो सकता है कि नए और छोटे क्रिप्टो निवेशकों के बीच डर या भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाए। अगर सरकार टैक्स नियमों के साथ-साथ आम लोगों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन और हेल्पलाइन सिस्टम भी उपलब्ध कराए, तो इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और यूज़र्स को सहजता से पालन करने में मदद मिलेगी।
इससे पहले भारत सरकार ने क्रिप्टो से जुड़े नियम जून में जारी करने के संकेत दिए थे। हालाँकि वर्तमान में भारत में क्रिप्टो को लेकर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को लेकर अभी भी एकरूपता की कमी है। जहाँ RBI Crypto को लेकर अभी भी सतर्क है और इस मुद्दे पर FIU और वित्त मंत्रालय के निर्देश और स्टेंड अलग-अलग नजर आते हैं, जिससे आम यूजर्स भ्रमित होते हैं। ऐसे में अगर केवल सख्ती होगी और मार्गदर्शन नहीं, तो इसका असर क्रिप्टो की घरेलू उपयोगिता पर पड़ सकता है।
कन्क्लूजन
सरकार का यह कदम निश्चित रूप से Crypto Tax के मामले में अनुशासन लाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। लेकिन जरूरी है कि साथ में क्रिप्टो यूज़र्स के लिए शिक्षा और मार्गदर्शन की भी व्यवस्था हो। केवल डर और दंड से ट्रांसपेरेंसी नहीं लाई जा सकती। भारत में क्रिप्टो भविष्य का एक मजबूत हिस्सा बन सकता है, बशर्ते कि सरकार और यूजर्स के बीच विश्वास बना रहे।