Meta की शानदार प्लानिंग, न्यूक्लियर से बनेगा AI KING
दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक Meta ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अपने डेटा सेंटर्स के लिए न्यूक्लियर एनर्जी का सहारा लेने का फैसला किया है। 3 जून 2025 को Meta ने ऐलान किया कि उसने Illinois के Clinton Clean Energy Center से 1.1 गीगावॉट बिजली को 20 सालों तक खरीदने की डील साइन की है। यह एनर्जी सप्लाई 2027 से शुरू होगी और Meta के भविष्य के AI टूल्स व इंफ्रास्ट्रक्चर को पॉवर देगी।
ये कंपनी AI Technology में तो आगे बढ़ ही रही है साथ ही Metaverse में VR, AR और MR की भूमिकाएँ भी है। VR, AR और MR मेटावर्स के अहम हिस्से हैं, जो यूज़र्स को एक इमर्सिव 3D वर्चुअल एक्सपीरियंस देते हैं, जिससे वे डिजिटल वर्ल्ड में खुद को मौजूद महसूस करते हैं।
Meta, AI की ग्रोथ के लिए न्यूक्लियर पॉवर जरूरी
Meta ने कहा,
“जैसे-जैसे हम AI Technology में आगे बढ़ रहे हैं, हमें भरोसेमंद और स्थायी बिजली की जरूरत है और न्यूक्लियर पॉवर इसमें अहम भूमिका निभा सकती है।”
AI Models को चलाने और भारी डेटा प्रोसेसिंग के लिए काफी ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक AI Data Centers की बिजली खपत आज के जापान जैसे देश की पूरी बिजली खपत से ज्यादा हो सकती है।
Meta की डील से Clinton न्यूक्लियर प्लांट को मिला नया जीवन
Illinois स्थित Clinton Nuclear Plant कभी बंद होने की कगार पर था। 2017 में यह प्लांट भारी घाटे के कारण लगभग बंद हो गया था। लेकिन Illinois के Future Energy Jobs Act ने इसे बचाया। इस एक्ट के ज़रिए Zero Emission Credit Program की शुरुआत हुई, जिसने प्लांट को 2027 तक चलने का सहारा दिया। अब Meta की इस डील से यह प्लांट 2027 के बाद भी बिना टैक्सपेयर्स के सपोर्ट के चल सकेगा।
Meta की डील से 1,100 नौकरियां और $13.5 मिलियन का फायदा
Constellation के ऑफिशियल X Account के अनुसार, Meta और Constellation की इस डील से 1,100 से भी ज्यादा लोकल जॉब्स को सुरक्षा मिलेगी और हर साल Illinois को $13.5 मिलियन टैक्स रेवेन्यू भी मिलेगा। खास बात यह है कि यह सब बिना राज्य की सब्सिडी या एक्स्ट्रा रेटपेयर चार्ज के होगा।
Illinois के रिपब्लिकन लेजिस्लेटर Regan Deering ने इस डील को “फॉरवर्ड थिंकिंग इनवेस्टमेंट” कहा है जो लोकल इकॉनोमी को भी बढ़ावा देगा।
Clinton प्लांट के बंद होने पर भारी नुकसान होता
Brattle Group नामक कंसल्टिंग फर्म के एक एनालिसिस के मुताबिक, अगर Clinton Plant को बंद कर दिया जाता, तो अगले 20 सालों में 34 मिलियन मीट्रिक टन से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन बढ़ जाता। यह ऐसा होता जैसे एक साल में 7.4 मिलियन पेट्रोल से चलने वाली कारें सड़कों पर दौड़ रही हों। साथ ही, Illinois का GDP हर साल करीब $765 मिलियन तक गिर सकता था।
Meta का भविष्य: ज्यादा न्यूक्लियर, ज्यादा स्थिरता
Meta सिर्फ इस एक प्लांट तक सीमित नहीं है। कंपनी दिसंबर 2024 में ही यह ऐलान कर चुकी है कि वह 1 से 4 गीगावॉट न्यूक्लियर पॉवर का टारगेट रखती है। इस दिशा में Meta कई अन्य न्यूक्लियर ऑपरेटर्स के साथ बातचीत कर रही है और फाइनल फेज़ में है।
Meta ने बताया:
“हम कई प्रोजेक्ट्स की लिस्ट के साथ आखिरी चर्चा में हैं ताकि अपने एनर्जी टारगेट को पूरा कर सकें।”
AI के लिए बढ़ती ऊर्जा जरूरतों का जवाब?
जैसे-जैसे टेक कंपनियां AI में और ज्यादा निवेश कर रही हैं, वैसे-वैसे एनर्जी कंजंप्शन भी तेजी से बढ़ रहा है। इस पर मैंने जो एनालिसिस किया उसके अनुसार, AI Models की ट्रेनिंग, क्लाउड सर्विसेस और रियल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग के लिए हजारों सर्वर्स को लगातार पॉवर की जरूरत होती है। ऐसे में न्यूक्लियर एनर्जी एक स्थायी और क्लीन विकल्प बनकर उभर रही है।
कन्क्लूजन
Meta का Clinton Plant से किया गया न्यूक्लियर एनर्जी समझौता केवल एक एनर्जी डील नहीं है, बल्कि Artificial Intelligence भविष्य की तैयारी का हिस्सा है। यह कदम न केवल ट्रस्टेड पॉवर सोर्स को सुनिश्चित करता है, बल्कि पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी और लोकल इकोनॉमी को भी सपोर्ट करता है। AI का विस्तार अब ऊर्जा के ऐसे सोर्सेज की डिमांड कर रहा है जो भरोसेमंद और कार्बन-फ्री हों और Meta का यह मूव उसी दिशा में एक मजबूत कदम है।