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Proof of History क्या है, Solana को कैसे स्केलेबल बनाता है

सभी ट्रेडिशनल नेटवर्क में एक सेंट्रल क्लॉक होती है जो हर एक्टिविटी का समय निर्धारित करती है। लेकिन Blockchain जैसे डीसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम में यह सुविधा नहीं होती। ऐसे में यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा ट्रांज़ैक्शन पहले हुआ। इस चुनौती को हल करने के लिए Solana ने एक यूनिक सॉल्यूशन अडॉप्ट किया है, Proof of History (PoH)।

Proof of History (PoH) क्या है? 

Solana Blockchain पर काम में ली जाने वाली Proof of History (PoH) एक क्रिप्टोग्राफिक टाइमस्टैम्पिंग टेक्निक है जो नेटवर्क में इवेंट्स को एक स्पेसिफिक सीरीज में दर्ज करने की अनुमति देती है लेकिन इसमें किसी बाहरी टाइम सोर्स का यूज़ नहीं किया जाता है। इस टेक्निक का उद्देश्य यह प्रूव करना होता है कि कौन-सी घटना पहले हुई और कौन-सी उसके बाद में। इसका सीधा सा मतलब है कि यह ब्लॉकचेन पर किसी इवेंट के टाइम को वेरीफाई करने योग्य बनाती है।  

इसमें टाइम को कंप्यूटेशनल रूप से प्रूव किया जाता है, जिससे नेटवर्क को टाइमलाइन पर हर ट्रांज़ैक्शन का स्थान तय करने में आसानी होती है।

Proof of History कैसे काम करती है? 

PoH एक प्रकार के Verifiable Delay Function (VDF) का प्रयोग करता है, जो एक के बाद एक लगातार क्रिप्टोग्राफिक हैशिंग करने में सक्षम होता है। इस प्रोसेस में जब भी कोई इनपुट आता है तो उस पर SHA-256 जैसे हैश फ़ंक्शन को कई बार क्रमशः इम्प्लीमेंट किया जाता है। इसके बाद मिले आउटपुट को हर बार अगले इनपुट के रूप में उपयोग किया जाता है।

इस तरह से हर स्टेप के आउटपुट को रिकॉर्ड करके यह प्रूव किया जाता है कि कौन-सा इवेंट किसके बाद हुआ है। यह चेन ऑफ़ हैश एक प्रकार की Cryptographic Clock की तरह काम करती है।

Proof of History और Solana का Consensus: कैसे मिलकर काम करते हैं?

कंसेंसस के लिए Solana केवल PoH पर निर्भर नहीं करता है। बल्कि यह इसके Consensus Mechanism, Tower BFT (Byzantine Fault Tolerance) के पहले की जाने वाली प्रोसेस है। PoH नेटवर्क में यह तय करता है कि कोई ट्रांज़ैक्शन कब हुआ है और Tower BFT यह तय करता है कि कौन-सा ट्रांज़ैक्शन या ब्लॉक वैलिड है।

इस कॉम्बिनेशन के कारण Solana में बिना नेटवर्क ब्रॉडकास्ट के ट्रांज़ैक्शन का ऑर्डर डिसाइड किया जा सकता है। जिसके कारण इसमें ट्रांज़ैक्शन को फाइनल होने में बहुत कम समय लगता है, और ब्लॉकचेन की Consensus Layer पर लोड कम बना रहता है।

Traditional Timestamping vs PoH: क्या अंतर है?

Bitcoin या Ethereum जैसे नेटवर्क में, प्रत्येक ब्लॉक का टाइम उस ब्लॉक को बनाने वाले माइनर या वैलिडेटर द्वारा दिया जाता है। Timestamping की इस प्रोसेस के कारण नेटवर्क में टाइम सिंक्रनाइज़ नहीं किया जा सकता, जिसके कारण इसे एक मैन्युपुलेशन विंडो की तरह यूज़ किए जाने की सम्भावना बनी रहती है। इसके साथ ही कंसेंसस प्रोसेस भी धीमी हो जाती है।

वहीं Proof of History के कारण नेटवर्क को पहले से डिसाइडेड एक स्पष्ट टाइम लाइन मिलती है, जिससे पेरेलल प्रोसेसिंग और फ़ास्ट वैलिडेशन संभव हो पाता है।

Proof of History को अपनाने के क्या लाभ है? 

PoH के कारण स्केलेबिलिटी, स्पीड और एफिशिएंसी में सुधार होता है। Solana की थ्रूपुट 65,000+ TPS (Transactions Per Second) तक जाती है और इसका मुख्य कारण PoH है। Proof of History अपनाने से Solana Blockchain को निम्नलिखित लाभ हुए हैं:

  • Ultra-fast Block Production: क्योंकि वैलिडेटर को टाइम स्टेम्पिंग नहीं करनी होती बल्कि  वे PoH के द्वारा निर्धारित किए गए ट्रांज़ैक्शन के आर्डर को मानते हैं।
  • Low Latency: हर वैलिडेटर को पूरे नेटवर्क से ट्रांज़ैक्शन टाइम का वैलिडेशन नहीं लेना होता है।
  • High Scalability: चूँकि ट्रांज़ैक्शन का आर्डर पहले से डिसाइडेड होता है जिसके कारण पेरेलल एग्जीक्यूशन संभव हो पाता है।
  • कंसेंसस में आसानी: वैलिडेटर्स को ब्लॉक वैलिडेट करने के लिए नेटवर्क में बहुत कम कम्युनिकेशन करने की जरुरत पड़ती है।
PoH की लिमिटेशन

जहाँ PoH कई समस्याओं का समाधान करता है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ लिमिटेशन भी हैं:

  • हार्डवेयर डिपेंडेंसी: PoH को लगातार और फ़ास्ट हैशिंग की ज़रूरत होती है, जिससे केवल हाई परफॉरमेंस वाले वैलिडेटर नोड्स ही पार्टिसिपेट कर पाते हैं।
  • सेंट्रलाइजेशन रिस्क: इसमें ज्यादा पावरफुल हार्डवेयर वाले वैलिडेटर्स के नेटवर्क को डोमिनेट करने की सम्भावना होती है।
  • Debugging Challenges: Sequential Hash Chain में हुई किसी गड़बड़ी को ट्रैक करना बहुत मुश्किल होता है।
अन्य Blockchain PoH क्यों नहीं अपनाते?

Ethereum, Polkadot, Avalanche जैसे नेटवर्क अलग-अलग कंसेन्सस मैकेनिज्म अपनाते हैं, जैसे Ethereum ने Proof of Stake को अपनाया है, Avalanche ने Snowman Consensus और Cosmos ने Tendermint BFT को। इन सभी में टाइम की आर्डरिंग अलग-अलग ढंग से की जाती है, इनमे से कुछ मैकेनिज्म नेटवर्क सिंक्रनाइज़ेशन (NTP) पर काम करते हैं, तो कुछ वेलिडेटर कंसेंसस  पर।

PoH का प्रयोग अधिकांश नेटवर्क्स द्वारा नहीं किये जाने का सबसे प्रमुख कारण इसमें इस्तेमाल की जाने वाली कंप्यूटेशनल प्रूफ की प्रोसेस है। जिसके कारण इसमें ज्यादा पावरफुल हार्डवेयर की जरुरत होती है, जो डिसेंट्रलाइजेशन और एनर्जी एफिशिएंसी के ऊपर नेगेटिव इम्पैक्ट डालता है। 

Solana के द्वारा उपयोग किया जा रहा Proof of History एक रिवॉल्यूशनरी मैकेनिज्म है, जिसने डिसेंट्रलाइज़्ड नेटवर्क में टाइम आर्डरिंग को रिडिफाइन किया है। इसके कारण जहाँ दूसरे नेटवर्क में ब्लॉक फाइनल होने और कंसेंसस में लम्बा समय लग जाता है, वहीं Solana पर पूरी रिलायबिलिटी के साथ मिली सेकंड्स में यह काम हो जाता है।

जैसे-जैसे ब्लॉकचेन एडॉप्शन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे Time Synchronization की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में PoH जैसे इनोवेशन की वैल्यू भी बढ़ती जा रही है। Proof of History ही वह फीचर है जो Solana को दूसरी ब्लॉकचेन से अलग बनाता है और पूरे ब्लॉकचेन इकोसिस्टम से जुड़ी स्केलेबिलिटी की प्रॉब्लम को सोल्व करता है।    

Ronak GhatiyaRonak Ghatiya
Ronak Ghatiya
Hindi Content Writer
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